शनिवार, 3 अप्रैल 2021

दबे पाँव आई अनहोनी !!

 दबे पाँव आई अनहोनी

बड़ी ख़ामोशी से,

हुआ हादसा ..

कुछ ज़ख्म, कुछ खरोचें

कुछ मुंदी चोटें

गहरे काले निशानों के साथ

रक्तरंजित कर गईं

चेहरे को 

यक़ीन के परे का एक सच

ये कह गया चुपके से कानों में

समय का मरहम

मिटा देगा हर ज़ख्म का निशान !!!

… 




8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 04 अप्रैल 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-04-2021) को   "गलतफहमी"  (चर्चा अंक-4026)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  3. सदा ,
    अनहोनी ऐसे ही आती है .... बुरा वक्त ऐसी घटनाएं घटित कर देता है ... और वक़्त का मरहम ही उन चोटों को ठीक भी करता है ... यथार्थ अभिव्यक्ति ।

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    उत्तर
    1. सदा दीदी दुर्घटनाग्रस्त हो गई हैं
      काफी चोंट लगी है..
      सादर..

      हटाएं
  4. अनहोनी....एक ऐसे शब्द को उकेरा है आपने, जो आए दिन हर किसी को कभी न कभी प्रभावित करती है।
    सुन्दर लेखन।।।। बबहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया सदा जी।

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  5. अनहोनी जीवन को जितना प्रभावित करती,समय उतनी जल्दी उन जख्मों को भूलने में सहायता करता है। सार्थक सृजन।

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  6. शीघ्र स्वस्थ हों
    यही कामना करती हूं
    आराम करिएगा..
    सादर नमन..

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....