ये हौसला है न
इसको मैंने नजरें उठाकर
देखा भी नहीं,
पर जितनी बार टूटती हूँ मैं
उतनी बार इसे
अपने आस-पास ही देखती हूँ !
…
एक चुटकी उम्मीद की
बजाना कभी
उदासियां भी खिलखिलाकर
गले लग जाती हैं
खामोशियाँ बतियाने लगती हैं
आपस में
और मन चल पड़ता है
एक नई डगर पे !!
.....
वाह
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (20-12-2020) को "जीवन का अनमोल उपहार" (चर्चा अंक- 3921) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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वाह ! आपकी आशाभरी दृष्टि सदा राह दिखाती है
जवाब देंहटाएंसुन्दर लेखन
जवाब देंहटाएंek yah bhi post padhe tension dur karne ke upay
जवाब देंहटाएंजीवन मंत्र भी यही है ।
जवाब देंहटाएंसुंदर.... हृदयस्पर्शी रचना....
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंआभार आप सभी का ...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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