माँ कहती थी
आँगन के एक कोने में तुलसी
और दूसरे में गुलमोहर हो
तो मन से बसंत कभी नहीं जाता
तपती धूप में भी
खिलखिलाता गुलमोहर जैसे
कह उठता हो
कुछ पल गुजारो तो सही
मेरे सानिध्य में
मन का कोना-कोना
मेरी सुर्ख पत्तियों के जैसा
खुशनुमा हो जाएगा!
…
नहीं है इस बड़े महानगर में
गुलमोहर का पेड़
मेरे आस-पास
पर कुछ यादें आज भी हैं
इसके इर्द-गिर्द
बचपन की, माँ की,
और इसकी झरतीं सुर्ख पत्तियों की
मेरी यादों में गुलमोहर
हमेशा मेरे साथ ही रहेगा
मेरे पीहर की तरह
अपनेपन की छाँव लिये !!
..
आँगन के एक कोने में तुलसी
और दूसरे में गुलमोहर हो
तो मन से बसंत कभी नहीं जाता
तपती धूप में भी
खिलखिलाता गुलमोहर जैसे
कह उठता हो
कुछ पल गुजारो तो सही
मेरे सानिध्य में
मन का कोना-कोना
मेरी सुर्ख पत्तियों के जैसा
खुशनुमा हो जाएगा!
…
नहीं है इस बड़े महानगर में
गुलमोहर का पेड़
मेरे आस-पास
पर कुछ यादें आज भी हैं
इसके इर्द-गिर्द
बचपन की, माँ की,
और इसकी झरतीं सुर्ख पत्तियों की
मेरी यादों में गुलमोहर
हमेशा मेरे साथ ही रहेगा
मेरे पीहर की तरह
अपनेपन की छाँव लिये !!
..
मन को मोहती बहुत ही सुन्दर रचना प्रिय दी
जवाब देंहटाएंसादर
वाह आत्म मुग्ध करती कोमल अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.......
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (11 -05-2019) को "
हर दिन माँ के नाम " (चर्चा अंक- 3332) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
....
अनीता सैनी
मनमोहक सृजन ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
12/05/2019 को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
बहुत सुन्दर मां के प्रेम पर सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंमन की यादों में गुलमोहर पीहर की तरह....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर... मनभावनी रचना....।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१३ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
वाह!!!
जवाब देंहटाएंअपनेपन की छाँव लिए गुलमोहर के और तुलसी के लिए भाव पूर्ण रचना प्रिय सदा जी। तुलसी और पेड़ों से स्नेह एक संस्कार है जो हर माँ अपनी बेटी को देतीं हैं। हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंमाँ को कहती है करती है ... तभी तो यादों में उसकी बातें सच बन कर सामने आती हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण यादें माँ की ...
माँ, तुलसी और गुलमोहर ...
जवाब देंहटाएंवाह कविता का शीर्षक ही बहुत सूंदर है बहुत सुंदर
आपको पढना वाकई सुखद अनुभव है...सदा दी