रविवार, 26 अक्टूबर 2014

'मैं' रिश्‍तों का सूत्रधार !!!!

मैं का संसार
अनोखा होता है
कभी विस्‍तृत तो
कभी शून्‍य
मैं गुरू जीवन का
इसका ज्ञान इसका मंत्र
मैं का ही रूप
जिसके भाव अनेक
मैं परम साधक
तप की साधना में
मैं हिमालय पे नहीं जाता
ना ही रमाता है धूनी
ना ही जगाता है
सुप्‍त भावनाओं को
अलख निरंजन बोल के !
....
मैं तो बस
चलता है साथ मैं के
मंजिल पर पहुँच जाने तक
मुश्किलों में साथ
निभाने के लिए
निराशा के क्षणों में
उम्‍मीद की एक किरण
हो जाने के लिए !!
...
मैं होता है
रिश्‍तों का सूत्रधार
जुड़ता कड़ी दर कड़ी
हम हो जाने के लिए
जीवन के अर्थों को देखता है
कर्तव्‍य की हथेलियों में
जितनी बार कोई
उँगली उसकी मुट्ठी में
क़ैद होती !!!

... 

21 टिप्‍पणियां:

  1. सचमुच अनोखा होता है मैं का ससार.....,सुंदर अभिव्यक्ति...सदा

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (27-10-2014) को "देश जश्न में डूबा हुआ" (चर्चा मंच-1779) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. मैं के रूप अनेक...सुंदर प्रस्तुति...

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  4. मैं, मैं से मिलकर हम हो जाता है
    हम के अंदर ही मैं का अस्तित्व है
    सार्थक रचना !
    साभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. सच है मैं के अस्तित्व को भुलाया नहीं जा सकता पर मैं अगर हद से ज्यादा हो जाए तो विनाश की और भी ले जाता है ...
    मैं के भाव को बाखूबी लिखा है आपने ...

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह सदाजी ...रिश्तों को खूब पहचाना और परिभाषित किया
    सुन्दर एहसासों को संजोये आपकी यह रचना अच्छी लगी......बधाई:)

    जवाब देंहटाएं
  7. Aapka jawaab nhi mujhe behad acchi lagi aapki rachna...lajawaab :)

    जवाब देंहटाएं
  8. मैं होता है
    रिश्‍तों का सूत्रधार
    जुड़ता कड़ी दर कड़ी
    हम हो जाने के लिए
    बहुत सुन्दर और गहन भाव

    जवाब देंहटाएं
  9. मैं का होना ही तो हम की सार्थकता है...बेहद सुन्दर और गहन भाव..
    सस्नेह
    अनु

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  10. मैं का गहन चिन्तन है यह कविता । यह भी सच है कि मैं का हम बनना ही रिश्तों का सच्चा सूत्रधार होता है ।

    जवाब देंहटाएं
  11. मैं होता है रिश्‍तों का सूत्रधार जुड़ता कड़ी दर कड़ी हम हो जाने के लिए जीवन के अर्थों को देखता है कर्तव्‍य की हथेलियों में जितनी बार कोई उँगली उसकी मुट्ठी में क़ैद होती !!!
    .............वाह !

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  12. गहन भावों को व्यक्त करती सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  13. मैं हद में रहे तो ठीक रहता है सबके लिए
    बहुत बढ़िया

    जवाब देंहटाएं
  14. मैं एक रूप अनेक...बहुत सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति....

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  15. मैं रिश्तों का सूत्रधार ।सच ही तो है मैं है तो सारे रिश्ते हैं ।

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....