बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

दीपोत्‍सव मनाना है ....


फैलाने को उजाला

जला आज फिर

नन्‍हा दिया भी

उसकी लौ ने

खुशी से कहा

मैं साथ दूंगी

अपनी अन्तिम

सांस तक तुम्‍हारा

बस तुम विचलित

मत होना

हवा के झौके से

फैलाते रहना

अपना उजाला

बच्‍चे कभी

फुलझड़ी भी जलाएंगे

कभी वह बम की

लड़ी भी सुलगाएंगे

तुम डरना मत

जलते रहना

हमें भी रौशन होकर

आज दीपोत्‍सव मनाना है

जलकर भी पड़ता मुस्‍कराना है ।

11 टिप्‍पणियां:

  1. सदा सलामत रहे आपका नन्हा दिया।

    धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

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  2. बिल्कुल सच कहा आपने ....जलकर भी मुस्कुराना पडता है ! दीपली की शुभकामनाये स्वीकारे!

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  3. तुम विचलित

    मत होना

    हवा के झौके से |
    sachchi baat hai

    जवाब देंहटाएं
  4. जीवन एक तरह से जलना ही तो है । शुभकामनाये पर्व की ।

    जवाब देंहटाएं
  5. Is diwali ki aapko is diye ke saath saath bahut si shubhkaamnaaye
    http/jyotishkishore.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  6. आज दीपोत्‍सव मनाना है

    जलकर भी पड़ता मुस्‍कराना है ।

    achchi lagi yeh kavita...

    aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen...

    जवाब देंहटाएं
  7. सदा जी नमस्कार ,

    आप को दीपावाले की शुभकामनाये . कविता अच्छी है

    जवाब देंहटाएं
  8. बढ़ा दो अपनी लौ
    कि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,

    इससे पहले कि फकफका कर
    बुझ जाए ये रिश्ता
    आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
    दीपावली की हार्दिक शुभकामना के साथ
    ओम आर्य

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  9. बहुत् अच्छी कविता ह। सेहत ठीक नहीं थी इस लिये देर से आयी शुभकामनाये

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....