मंगलवार, 27 अक्टूबर 2009

रूह को सुकूं दे जाए ....

(1)

भरम आंखों का

रहने दो आंखो में

छिप जाये जहां

कोई आंसू की बूंद

तेरे सजल नयनों में

इतना दर्द हो

तेरे बैनों में

चीत्‍कार करता

तेरा हृदय

दर्द से तड़पती

रूह को सुकूं दे जाए ।

(2)

मन को मेरे

अहसास तो था

कि तू मेरा नहीं है,

भरोसे को अपने

मैने

मन से ऊपर कर दिया

और

कहा हो सकता है

यह मेरा भरम हो

पर बेवफा

तूने उस भरम को भी

मेरा रहने न दिया

तोड़ दिया

जज्‍बातों को ।

13 टिप्‍पणियां:

  1. चलो अच्छा हुआ भ्रम टूटा
    अच्छी रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया शब्द-चित्र पेश किये हैं,सदा जी।
    बहुत-बहुत बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. यह मेरा भरम हो

    पर बेवफा

    तूने उस भरम को भी

    मेरा रहने न दिया

    तोड़ दिया

    जज्‍बातों को ।


    wah! sampoorn kavita bahut achchi lagi..... shabdon ko bahut khoobsoorti se dhaala hai aapne.....

    जवाब देंहटाएं
  4. हकीकत में रहना भी तो जरूरी है .......... सत्य से जितना जल्दी परिचय हो उतना ही अच्छा है ........
    सुन्दर रचना है .......

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रेम में हार जीत नहीं होती ...कभी पराजय नहीं होती ...फिर ऐसा श्राप क्यों ....शुभ हो ..!!

    जवाब देंहटाएं
  6. bhram hain to tootenge hi ...........tabhi to apna naam sarthak karenge...........bahut hi sundar rachna.

    जवाब देंहटाएं
  7. भरोसे को अपने
    मैने
    मन से ऊपर कर दिया
    भरोसा तो ऊपर होता ही है तभी तो टूटता है.

    जवाब देंहटाएं

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....