कभी कुछ होता है कहने को
पर जाने क्यूँ
मौन उतर आता है
बड़ी ही तेजी से धड़धड़ाते हुए
सब दुबक कर बैठ जाते हैं
सारी ख़्वाहिशों की बोलती बंद
अरमान अपना कमरा बंद करते हैं तो
पलकें बंद होकर लाइट ऑफ !
....
नहीं समझ आता मुझे
मौन का कभी यूँ सभी को सताना
जहाँ सब डरे-सहम से रहते हैं
कौन पहल करे
कौन उस मुस्कान को खींच कर लाए
जो गायब है बिना बताये किसी को
हँसी ने तो एक लम्बी छुट्टी भी मार दी
ठहाका गया तो लौटा ही नहीं
सब उसी को ढूँढते फिर रहे थे
ऊपर से यह मौन की साधना
जिसे देख कर सब
मन ही मन कुढ़ से रहे थे !!
....
हाँ एक मुखौटा भी दिखा था
किसी को आते देख
पहन लेते किसी को पता ही नहीं चलता
ये मुस्कान नकली है
हँसी छुट्टी पर है
सबका काम तो चल ही रहा था
पर तुम ही सोचो
क्या काम चलने का नाम जिंदगी है ?
कहीं सुना था मैने
हँसने-हँसाने का नाम जिंदगी है
तो आओ फिर जिंदगी को आवाज देकर
कुछ मुस्कराहटों को इसके नाम कर दें !!!
....
हँसी-ठाहके तो कहीं खो गये ...और मुस्कान नकली ...
जवाब देंहटाएंहोठों की मुस्कान में ढल के
ग़म आया है भेस बदल के ...,
शुभकामनायें!
पीड़ादायक पर सच
जवाब देंहटाएंमैं सबसे पहले हाज़िर हूँ सदा जी ....!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत बात ....!!
आपने लिखा....
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए शनिवार 04/05/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
सकारात्मक कविता ………काश आज के दौर मे ये संभव हो पाता
जवाब देंहटाएंतो आओ फिर जिंदगी को आवाज देकर
जवाब देंहटाएंकुछ मुस्कराहटों को इसके नाम कर दें !!
अपनी कोशिस में मेरा साथ रख लें
हार्दिक शुभकामनायें
हँसने-हँसाने का नाम जिंदगी है
जवाब देंहटाएंतो आओ फिर जिंदगी को आवाज देकर
कुछ मुस्कराहटों को इसके नाम कर दें !!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,अंतिम पक्तियां सार है.
lateast post मैं कौन हूँ ?
latest post परम्परा
हँसने-हँसाने का नाम जिंदगी है
जवाब देंहटाएंतो आओ फिर जिंदगी को आवाज देकर
कुछ मुस्कराहटों को इसके नाम कर दें !!!
बहुत बेहतरीन पंक्तियाँ ,,,
RECENT POST: मधुशाला,
जीवन का सच..
जवाब देंहटाएंआज सहज चेहरे मिलते ही नहीं कहीं .... हर जगह मुखौटा है ..... कभी असल हंसी भी हो तो लगता है कहीं नकली तो नहीं :):)
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत भावों को लिए सुंदर रचना ।
सन्दर कविता ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सकारात्मक कविता,आभार.
जवाब देंहटाएंहंसना तो मानो आउट ऑफ़ फैशन हो गया है .. या फिर हम भूल ही गये हैं.. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंहँसने-हँसाने का नाम जिंदगी है
जवाब देंहटाएंतो आओ फिर जिंदगी को आवाज देकर
कुछ मुस्कराहटों को इसके नाम कर दें !!बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
अर्थपूर्ण बात ...ये सच ही है ...
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंहाँ, आपने सच कहा ....आज यही हो रहा है ...
जवाब देंहटाएं-----------------------
तो क्यों न जिन्दगी को आवाज देकर बुलाएं और उसे हंसाएं ??
jeevan ke naam kuchh muskurahat karna hi hoga..:)
जवाब देंहटाएंकाम चलना जीवन नहीं, दम भर ख़ुशी से जीना ज़िंदगी है, पुकार लो ज़िन्दगी को और जी लो जी भर हँस कर... बहुत सुन्दर सार्थक रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने।
जवाब देंहटाएंbehtareen
जवाब देंहटाएंबढ़िया रूपक बुना है इस पोस्ट में आओ खुशियाँ बांटे महसूस करें लौटें मायूसी के दयार से .
जवाब देंहटाएंमौन, मुस्कराहट और मुखौटे की अलग अलग कहानी है.. आपने सबको छुआ है.. कभी अलग अलग इनसे बतियाकर देखिये.. बड़ा अच्छा लगेगा.. मौन को हम इग्नोर करते हैं ना, इसीलिये डिस्टर्ब करता है.. कभी प्यार से बिठाइए, बात कीजिये.. बहुत कुछ कहना होगा उसे, बताएगा वो!!
जवाब देंहटाएंकविता शानदार!!
नहीं समझ आता मुझे
जवाब देंहटाएंमौन का कभी यूँ सभी को सताना
जहाँ सब डरे-सहम से रहते हैं
कौन पहल करे
कौन उस मुस्कान को खींच कर लाए
जो गायब है बिना बताये किसी को
हँसी ने तो एक लम्बी छुट्टी भी मार दी
ठहाका गया तो लौटा ही नहीं
सब उसी को ढूँढते फिर रहे थे
ऊपर से यह मौन की साधना
जिसे देख कर सब
मन ही मन कुढ़ से रहे थे !!
ऐसे ही समय में वक़्त ठहर जाता है *****
......बस ज़रा इस दहशत से उबार लें...!!!
जवाब देंहटाएंकभी कुछ होता है कहने को
जवाब देंहटाएंपर जाने क्यूँ
मौन उतर आता है
बड़ी ही तेजी से धड़धड़ाते हुए
सब दुबक कर बैठ जाते हैं
सारी ख़्वाहिशों की बोलती बंद
अरमान अपना कमरा बंद करते हैं तो
पलकें बंद होकर लाइट ऑफ !-----
अदभुत
आप रचना की तह तक डूबकर लिखती हैं
यह विरलों में ही होता है
आपको और आपके लेखन को साधुवाद
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसबसे ज्यादा ज़रूरी है संतुष्टा ,अपनी आत्म स्वरूप की जानकारी ,मैं शरीर मात्र नहीं हूँ शांत स्वरूप ज्ञान स्वरूप आत्मा हूँ .साक्षी भाव से पार्ट बजाने आई हूँ .ख़ुशी लौटेगी .उदासी भागेगी मौन टूटेगा .मौन सिंह भी कह उठेगा -मैं रिमोट नहीं हूँ .
मुखौटे झेलना हमारी मजबूरी है और कभी कभी पहनना भी ...
जवाब देंहटाएंमंगल कामनाएं आपको !
कहीं सुना था मैने
जवाब देंहटाएंहँसने-हँसाने का नाम जिंदगी है
तो आओ फिर जिंदगी को आवाज देकर
कुछ मुस्कराहटों को इसके नाम कर दें !!!
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
जीवन के मन के विविध आयामों को खंगालती पोस्ट बेहतरीन अंदाज़ और तारतम्य लिए .जीवन के उजले पक्ष को वजन देती पोस्ट .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
जवाब देंहटाएंजीवन मे मौन कई बार बहुत कष्टकारी होता है ..बहुत सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंमौन का क्या है बंद पलकें हो या लाइट ऑफ फिर भी सुनाई देता है... बहुत खूबसूरत भाव
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सकारात्मक भाव लिए अभिव्यक्ति...:-)
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