प्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं,
इसने तो बस मन का गहना पहना है ।
कभी तकरार कहाँ हुई इसकी बोलियों से,
कहता है कह लो जिसको जो भी कहना है ।
लाख दूरियाँ वक्त ले आये परवाह नहीं,
हमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है ।
दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है ।
शिकायतों की चिट्ठी भी हँस के बाँचता,
प्रेम विश्वास का सदा अनुपम गहना है ।
इसने तो बस मन का गहना पहना है ।
कभी तकरार कहाँ हुई इसकी बोलियों से,
कहता है कह लो जिसको जो भी कहना है ।
लाख दूरियाँ वक्त ले आये परवाह नहीं,
हमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है ।
दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है ।
शिकायतों की चिट्ठी भी हँस के बाँचता,
प्रेम विश्वास का सदा अनुपम गहना है ।
प्रेममय रचना.
जवाब देंहटाएंलाख दूरियाँ वक्त ले आये परवाह नहीं,
हमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है ।
यही तो सच्चा प्यार है.
आपने लिखा....
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 22/05/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
bahut bahut badhiya rachna .....
जवाब देंहटाएंप्रेम में कोई शर्त नहीं ॥बस विश्वास है .... लेकिन न जाने क्यों प्रेम करने वाले ही सबसे ज्यादा शक करते हैं :):)
जवाब देंहटाएंकह लो जिसको जो भी कहना है ।
जवाब देंहटाएं!!
प्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं,
जवाब देंहटाएंइसने तो बस मन का गहना पहना है ।
सच में ऐसी रचनाएं कभी कभी ही ब्लाग पर मिलती हैं।
बहुत सुंदर भाव और प्रस्तुति
लाख दूरियाँ वक्त ले आये परवाह नहीं,
जवाब देंहटाएंहमको तो एक दूसरे के दिल में रहना है ..
बहुत खूब .... प्रेम दिल और दिल में ही रहता है ...हकीकत में जीता है ...
लाजवाब गज़ल ...
bahut hi sundar prastuti
जवाब देंहटाएं्सही कहा प्रेम विश्वास का अनुपम गहना है …………सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंदिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
हकीकत की धरा पर इसको तो बहना है ।
बहुत अच्छी ग़ज़ल..
सस्नेह
अनु
prem si bhinchi gajal :)
जवाब देंहटाएंshikayat bhi pyar barsa rahi..
मन से जानी हो यह भाषा।
जवाब देंहटाएंसच्चा प्रेम मन का गहना ही तो होता है,बेहतरीन प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंpyar ki gahantam anubhuti ka charam aur param bindu,wah.....gazab
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना कल मंगलवार (21 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण अंक - २ पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंमें आपके ब्लॉग से जुड़ा हुआ हूँ फिर भी आपकी रचनाएं ब्लोगर डेशबोर्ड पर नहीं आती है जिसके कारण मुझे आपकी पोस्ट का पता हि नहीं चल पाता है !!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन भारत के इस निर्माण मे हक़ है किसका - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंप्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं,
जवाब देंहटाएंइसने तो बस मन का गहना पहना है । ....बहुत सुन्दर ग़ज़ल..आभार !
सुंदर भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंप्रेम को भाषा के लिबास में बांध पाना नितांत मुश्किल है...
बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंप्रेम विशवास का सदा अनुपम गहना है ,
ऋषि मुनियों का भी यही कहना है ,
परमात्म प्रेम में रहना है .ॐ शान्ति .बढ़िया भाव राग
शिकायतों की चिट्ठी भी हँस के बाँचता,
जवाब देंहटाएंप्रेम विश्वास का सदा अनुपम गहना है ।
...वाह! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
Sikke Ke Do Pahlu,Jahan Prem Hai Wahi Pr Shikayat Bhi....
जवाब देंहटाएंप्रेम ने कब भाषा का लिबास पहना हैं,
जवाब देंहटाएंइसने तो बस मन का गहना पहना है ।
Lekin yebhi dekha ki,prem jab bhasha ka libas pahan leta hai to phir shikayaton me tabdeel ho jata hai!
bahut sundar bhav purn rachna
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसुना बहुत और कहा ख़ूब, हुआ बहुत कहना-सुनना
जवाब देंहटाएंमौन रहें,दो क्षण तौलें, क्या कहना, क्या सुनना है !
दिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
जवाब देंहटाएंहकीकत की धरा पर इसको तो बहना है------
प्रेम मन के भीतर अंकुरित बीज है
जैसा पनपेगा वैसा ही फलेगा----
सुंदर रचना
सादर
विचार दें
ओ मेरी सुबह---------
प्रेम में शिकायतों की भी इंतज़ार रहती है ....उनका अलग मज़ा है .......
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
प्रेम की कोई भाषा नहीं होती और न ही कोई दिखावा ...
जवाब देंहटाएंसार्थक सुन्दर रचना
सादर आभार!
प्रेम की रसधार व्यक्ति को अंतर मुखी बना देती है जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली ,शीशा -ए -दिल में बसी तस्वीरे यार ......श्याम रंग में रंगी चुनरिया अब रंग दूजो भावे न .....तुम मेरे पास होते हो ,जब कोई दूसरा नहीं होता ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंदिखावट का आईना नहीं होता प्रेम कभी,
जवाब देंहटाएंहकीकत की धरा पर इसको तो बहना है ।
वाह बहुत सुन्दर रचना
प्रेम की कोई भाषा नहीं होती...सुन्दर
जवाब देंहटाएं