शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
हंस के मना लेती है मां .....
कोई रूठता है तो तब हंस के मना लेती है मां,
खुद के सारे गम जाने कहां छिपा लेती है मां ।
आहत होती है जब भी कभी हद से ज्यादा वो,
तब बस खामोशी का पहरा लगा लेती है मां ।
दस्तक दरवाजे पे देने से पहले खोलती दरवाजा,
मेरे आने का अंदाजा जाने कैसे लगा लेती है मां ।
खजाना अनमोल रखती है मन में सब के लिए,
मुश्किल घड़ी मैं जाने कैसे मुस्करा लेती है मां ।
मेरी हंसी मेरे आंसुओं से कीमती है कहकर जब,
आंचल में सर मेरा अपने जब छिपा लेती है मां ।
बुधवार, 20 जुलाई 2011
संदेशा बादल का .....
रिमझिम ... रिमझिम
गिरती बूंदे
लाई संदेशा बादल का
धरती पे
प्यास बुझा लो अपनी
नभ विचलित है ...
मुस्काती धरती स्नेह से
अम्बर को देखकर
महकी हैं सारी फिजा़एं,
उमड़ी हैं काली घटाएं
देखो तो दी हैं किसने सदाएं ...
कोई बूंद
ठहरी है आकर पत्ते पर
थिरक सी रही टहनी कोई
बातें करती फूलों से ...
इस बूंद ने देखो
किसी को जीवनदान दिया
कोई बीज
फिर अंकुरित हुआ
उसके नवांकुर
देख रहे सहमे से इन फुहारों को ...
कोई गली आज नदी हो गई
किसी छत से
बहा है झरना जोर का
नाव कागज की बनाकर
बच्चे खुश हैं उसको यूं बहाकर
गिरा है कोई फिसलकर
उठ रहा है फिर भी मुस्कराकर ...
उनकी शैतानियों को देखो
इन बूंदों के संग
मन मोर हुआ जाता है
तभी तो देखो
बचपन कैसे खिलखिलाता है ...।।
शनिवार, 16 जुलाई 2011
रश्मि प्रभा जी ....
ब्लॉग जगत की ऐसी शख्सियत जिनके न रहने पर सब कुछ अधूरा सा लगता है .. एक खालीपन सा उभर आता है ... क्योंकि वो हैं ही ऐसी कभी वह मेरी भावनाएं में ले आती एक से एक भावनाओं के सूत्र जो हमें ले आते हैं एक दूसरे के करीब शख्स मेरी कलम से में मिलवा देती हैं अंजान शख्स से यूं जैसे कितना करीब था यह हमारे और हम इसे जानते ही न थे उन्हें परिकल्पना पर सुना इन दिनों समय के रूप में जी हां मैं बात कर रही हूं आदरणीय रश्मि प्रभा जी की उनका स्वास्थ्य पिछले कई दिनों से खराब चल रहा है ...पर वह निरन्तर हम सबके बीच अपनी उपस्थिति बनाये हुये यूं रह रही थी जैसे कोई बात न हो उनकी यह जिन्दादिली यूं ही हमेशा कायम रहे और वह यूं ही हमेशा ऊर्जावान रहें ... मैने उनके स्वास्थ्य के बारे में कहा तो बताना चाहूंगी यहां पर कि 1 जुलाई को उन्हें डॉक्टर ने जांच के दौरान बताया कि उनकी किडनी में स्टोन है ... और उस दिन से सिलसिला शुरू हुआ उनकी जांच का ..कभी वह ब्लड टेस्ट कराने जाती तो कहीं किसी अन्य जांच के लिये ...फिर आकर हम सबके बीच उसी तरह शामिल हो जाती जैसे कोई बात नहीं हुई सब ठीक है ..आज उनका ऑपरेशन होना है और वह हॉस्पिटल में थोड़ी ही देर पहले एडमिट हुई हैं ..हम सबसे शायद एक सप्ताह के लिये दूर रहेंगी ..बस इतना ही चाहूंगी वो जल्दी ही इस तकलीफ से निजा़त पायें और शीघ्र स्वस्थ्य होकर हम सबके बीच पुन: शामिल हों ...उनका ऑपरेशन सफल हो ताकि पूर्णत: स्वस्थ्य हो सके ... इन्हीं शुभकामनाओं के साथ ...उनके लिये प्रतीक्षारत हूं ... ।
बुधवार, 13 जुलाई 2011
कोई खिलौना चाबी वाला ....
कोई खिलौना चाबी वाला
अगर मैं होता तो
कैसा होता
जब मन करता किसी का
मुझको चलाता
जब मन होता कोने में मुझको रख देते,
तुम ये मत करो,
वो मत करो
बाहर मत जाओ छोटे हो अभी,
कभी कहते हैं
इतने बड़े हो गये फिर भी
हर समय शैतानी करते रहते हो
सब आफिस जाते हैं
मम्मी हो या पापा
मैं अकेला आया के साथ
रहता हूं घर पर
टीवी पर कार्टून भी नहीं देखने देती वो मुझको
खुद देखती है
भूख लगती है तो बस एप्पल दे देती है
या गंदा लगने वाला दूध
मुझको पीना पड़ता है ....
क्या मैं भी जल्दी से बड़ा हो सकता हूं
बड़ा होकर फिर
मैं भी आफिस जा सकता हूं .....।
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मेरे बारे में
- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....