शनिवार, 16 जून 2018

पिता का स्नेह
खुशियों का आँगन
झूमता मन !
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थाम ऊँगली
खिलखिलाता मन
पापा के संग !
...
थाम के हाँथ
जग दिखे मेले सा
पापा के संग !
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पिता का साया
जीवन धड़कन
हँसते हम !
..
काँधे पे हाँथ
पापा ने जब रखा
मन मुस्काया !
...

शुक्रवार, 8 जून 2018

घर की दहलीज़ !!!!

घर की दहलीज़ ने
आना-जाना और निभाना देखा
बन्द किवाड़ों ने सिर्फ़
अपना वजूद जाना
ये भूलकर की उन्हें थामकर
रखने वाली दहलीज़ 
कोई साँकल नहीं जो हर बार
बजकर या कुंदे पे चढ़कर
अपने होने का अहसास कराती
वो तो बस मौन ही
अपना होने का फ़र्ज निभाती है !!
...
खुशियों में रौनक बन जाती 
त्योहारों पे दीप सजा
जगमग हो जाती 
बने रंगोली जब भी
ये फूली न समाती
रंग उत्सव के पूछो इससे
हर क्षण बस मंगल गाती !!!!

मंगलवार, 5 जून 2018

श्रृंगार धरती का !!!!

हरियाली ये
श्रृंगार धरती का
उजाड़ो मत !
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हैं वरदान
धरा में पेड़ पौधे
बचा लो इन्हें !
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बो देना बीज
धरा की गोद सूनी
प्रकृति कहे !
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खुद तपते
शीतल छाँव देते
हमें वृक्ष ये!
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कड़वी नीम
मीठी निम्बोली देती
शीतल छाँव !
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कुल्हाड़ी मार
गिराया जो पेड़ को
चीखी थीं जड़ें !
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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....