प्रेम के रिश्ते
निभते जाते हैं
इन्हें निभाना नहीं पड़ता
कोई रहस्य
कोई पर्दा
नहीं ढक पाता है
इसके होने के
वज़ूद को !
...
ये जब होता है
तो पूरी क़ायनात
एक हो जाती है
इसकी तरफ़दारी में
सारी नफ़रतों को
पिघलना पड़ता है
प्रेम में
ईश्वर का साक्षात्कार
होना तय है !!
...
जो नहीं मानता प्रेम को
उससे तुम
घृणा मत करो
ये सोचो
जाने कौन सा
गुऩाह किया होगा इसने
जो रब़ ने
इसे ये नेम़त नहीं बख़्शी !!!