सोमवार, 13 सितंबर 2021

मातृ भाषा की उन्नति !!!

 



पर्व है ये

मातृ भाषा की उन्नति का

मन से मन को मिलाती

करती परिक्रमा

अंतर्मन की

सृजित होती,

उर्जित करती कर को

मन की करता चल

रुक मत तू आगे ही आगे

बढ़ता चल !

जाने कितने रंग समेटे 

उत्सव का दिन

लेकर आई हिंदी

उल्लासित हैं

सब मिल-जुल,

स्वर-व्यंजन भी

हुए अलंकृत 

नये-नये प्रतिमानों से,

मन के द्वार 

सजी रंगोली

मंगल कलश 

सजा कर कमलों में

करती हूँ अभिनन्दन तेरा

हिंदी, लगाकर तुझको

रोली चन्दन मैं !!

ब्लॉग आर्काइव

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....