गुरुवार, 23 अगस्त 2012

संकल्‍प शक्ति बड़ी है ...

तुम्‍हें पता है
ये मन्‍नतों के धागे कितने विश्‍वास से
संकल्‍प की गठान बांधकर
निकलते हैं अंजान यात्रा पर
कभी पल भर तो कभी दिन महीनों के साथ
वर्षों की कड़ी तपस्‍या
मन्‍नतों के धागे जिद्दी होते हैं
यूँ ही नहीं श्री हरि का मन पसीज़ता
यूँ ही नहीं किसी की खाली झोली में
डाल देते हैं मुरादों के फूल
...
आस्‍था की कसौटी पर
परखे जाने के लिए
ये परवाह नहीं करते बिल्‍कुल भी खुद की
इन्‍हें तो बस समर्पण आता है
दुआओं में बँधना आता है
तभी तो मंदिर के बाहर
वो पेड़ है न आस्‍था का
हॉं आस्‍था ही तो जो श्री हरि के दर्शन पश्‍चात्
बॉंध जाते हैं भक्‍त पूरी श्रद्धा के साथ
उस की शाखाओं में बस तभी से
वह बेपरवाह है
तपती धूप से, मूसलाधार बारिश से
बस अपने बँधन का मान रखते हुए
बँधे रहना है उसे तो  तब तक
जब तक ईश्‍वर की हथेलियों में
उसकी मुराद पूरी होने का
प्रण न करवा ले
...
श्री हरि भी
उसकी इस निष्‍ठा का मान रखते हैं
बँधन मुक्‍त करने के लिए उसे
अपने भक्‍त की आन रखते हैं
भक्‍त और भगवान के बीच की
यह बड़ी ही सशक्‍त कड़ी है
मन्‍नतों के धागे में
संकल्‍प शक्ति बड़ी है ...

42 टिप्‍पणियां:

  1. भक्‍त और भगवान के बीच की
    यह बड़ी ही सशक्‍त कड़ी है
    मन्‍नतों के धागे में
    संकल्‍प शक्ति बड़ी है ...
    बस समर्पण .... !

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  2. बेहतरीन भाव भरे लाजवाब पोस्ट।

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  3. भक्‍त और भगवान के बीच की
    यह बड़ी ही सशक्‍त कड़ी है

    बिल्कुल सही लिखा...यह धागा मन में आत्मविश्वास का संचार करता है|
    यही ईश्वर पर आस्था कहलाता है|

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  4. यही तो विश्वास होता है और विश्वास है तो ईश्वर नहीं तो पत्थर . अगर उन पर डाल जाय तो निराश वे नहीं करते . बस अंतर में विश्वास हो.

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  5. बिलकुल, इसी आस्था पे सारा संसार टिका है.. सुन्दर प्रस्तुति!

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  6. सच्ची.....मानता के वो कच्चे धागे,सच्ची कड़ी हैं, उसके और हमारे बीच....
    सुन्दर!!!
    सस्नेह
    अनु

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  7. बढ़िया नज़्म है लेकिन आप तो अध्यात्म की दुनिया की और बढती जा रही है.

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  8. संकल्प एक प्रवाह बना देता है जीवन में..

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  9. भक्‍त और भगवान के बीच की
    यह बड़ी ही सशक्‍त कड़ी है
    मन्‍नतों के धागे में
    संकल्‍प शक्ति बड़ी है ... लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,,

    RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,


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  10. Zindagee me kayee baar eeshwar parse bhee wishwas uth jata hai...

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  11. आस्था व विश्वास से बडा सम्बल कुछ नही ।

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  12. मन्नत के धागों में और कुछ हो न हो आस्था तो होती है किसी के प्रति .आज इसी आस्था का अभाव है .आस्था से ही खुद में आत्म विश्वास पैदा होता है ,मनो -रोग की उग्रता भी घटती है अवसाद से दूर ले जाती है आस्था और विश्वास यही है उसका "प्लेसिबो -प्रभाव ",बढ़िया प्रस्तुति काव्य की सहस्र धार लिए है . .बधाई स्वीकारें .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    "आतंकवादी धर्मनिरपेक्षता "-डॉ .वागीश मेहता ,डी .लिट .,/ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
    ram ram bhai/

    बृहस्पतिवार, 23 अगस्त 2012
    Neck Pain And The Chiropractic Lifestyle
    Neck Pain And The Chiropractic Lifestyle

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  13. भक्त और भगवान् के बीच यही मजबूत कड़ी है !
    उम्मीद और विश्वास की बढ़िया रचना !

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  14. सकल्‍प बढी शक्‍ती है इसी से बडा से बडा काम बनात है आपने सही कहा
    यूनिक तकनीकी ब्लाकग

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  15. आपने सह कहा सक्‍लप ही सबसे बडी शक्ति है

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  16. भक्‍त और भगवान के बीच की
    यह बड़ी ही सशक्‍त कड़ी है
    मन्‍नतों के धागे में
    संकल्‍प शक्ति बड़ी है ...

    ...बिलकुल सच कहा है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  17. भक्‍त और भगवान के बीच की
    यह बड़ी ही सशक्‍त कड़ी है
    मन्‍नतों के धागे में
    संकल्‍प शक्ति बड़ी है ...

    सशक्त अभिव्यक्ति ...
    शुभकामनायें..

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  18. बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति

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  19. मुरादों के फल उगते हैं लेकिन यदि वृक्ष को संकलों की शक्ति के जल से सींचा जाए।

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  20. संकल्प के साथ कर्त्तव्य करते रहना चाहिए ... अच्छी रचना, बधाई.

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  21. हमने देखा है इन धागों में आस और विश्वास को बंधते हुये, फिर उस आस को पूरा करने में खुद को जुडते हुये, क्योकि नही देख सकते हम टूटते मन की आस्था, भक्ति और भगवान के इस बंधन की डोर कर्म से ही तो मजबूत होती है और ये धागें हमे उस कर्म की ओर अग्रसर होने को प्ररित कर देते है......

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  22. अच्छी प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  23. बहुत सुन्दरता से आस्‍था को व्यक्त किया है...

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  24. सच में ...बहुत खूब

    मन की शक्ति बस यूँ ही कायम रहे ..

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  25. आस्था और संकल्प ही भीतरी-बाहरी हर प्रकार की उपलब्धि के मूल में हैं।

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  26. संकल्प ही संसार की छवि निर्धारित करता है और बनाता है. सुंदर बिंबों में कही गई कविता.

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  27. श्रद्धा से सब संभव है ...
    आभार !

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  28. श्री हरि भी
    उसकी इस निष्‍ठा का मान रखते हैं
    बँधन मुक्‍त करने के लिए उसे
    अपने भक्‍त की आन रखते हैं
    भक्‍त और भगवान के बीच की
    यह बड़ी ही सशक्‍त कड़ी है
    मन्‍नतों के धागे में
    संकल्‍प शक्ति बड़ी है .

    BEAUTIFUL FEELINGS

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  29. बेहतरीन रचना...
    सादर नमन..

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  30. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ६ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  31. बहुत सुंदर आस्था के आयाम।
    विश्वास और आस्था का सुंदर संगम।

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  32. वाह!!बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति!!

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  33. आस्था की शक्तियों को दर्शाता ,बेहतरीन सृजन....

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  34. तपती धूप से, मूसलाधार बारिश से
    बस अपने बँधन का मान रखते हुए
    बँधे रहना है उसे तो तब तक
    जब तक ईश्‍वर की हथेलियों में
    उसकी मुराद पूरी होने का
    प्रण न करवा ले
    बहुत ही सुन्दर ..लाजवाब।

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....