कुछ शब्दों के अर्थ
अनर्थ होने के भय से
जिभ्या पर आने से कतराते हैं
...
कुछ शब्द सिर्फ़ श्रापित होते हैं
जो औरों की जिन्दगी में
आ जाते हैं अभिशाप़ बनकर
दे जाते हैं एक संताप मन में
अंजानी पीड़ा लिए
कोरों में छलकते आंसू
अपना खारापन देकर छीन लेते हैं
मिठास होठों की
...
मैं हर क्षण को ज़ीने के लिए
मन मुताबिक
शब्दों के औज़ार लिए रहता हूँ,
काट देता हूँ संवेदनाओं को जब भी मुझे वो
भावनाओं में बहाती हैं
पूछता हूँ अपने आप से
खुद का वो ठिकाना
जहां निर्वाण होता हो मा़सूमिय़त का
परखा नहीं जाता हो जिसे
वक़्त बे़वक़्त कसौटियों पर !!!
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंकुछ शब्द सिर्फ़ श्रापित होते हैं
जो औरों की जिन्दगी में
आ जाते हैं अभिशाप़ बनकर
दे जाते हैं एक संताप मन में
अंजानी पीड़ा लिए
बहुत सुंदर, क्या बात
वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना....
सस्नेह
अनु
मासूमियत का निर्वाण .... समवेदनाओं को काटने के लिए औज़ार ... गहन भाव हैं ....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमैं हर क्षण को ज़ीने के लिए
जवाब देंहटाएंमन मुताबिक
शब्दों के औज़ार लिए रहता हूँ,
काट देता हूँ संवेदनाओं को जब भी मुझे वो
भावनाओं में बहाती हैं
पूछता हूँ अपने आप से
खुद का वो ठिकाना
जहां निर्वाण होता हो मा़सूमिय़त का
परखा नहीं जाता हो जिसे
वक़्त बे़वक़्त कसौटियों पर !!!.... एक शब्द , शानदार अभिव्यक्ति
मैं हर क्षण को ज़ीने के लिए
जवाब देंहटाएंमन मुताबिक
शब्दों के औज़ार लिए रहता हूँ,
काट देता हूँ संवेदनाओं को जब भी मुझे वो
भावनाओं में बहाती हैं
पूछता हूँ अपने आप से
खुद का वो ठिकाना
जहां निर्वाण होता हो मा़सूमिय़त का
waah...bauhat khoob upmaayein!!
वाह वाह निवार्ण ही निमार्ण की कुंजी होती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव व प्रभावी रचना..
जवाब देंहटाएंमन मुताबिक शब्द मिल जाएँ तो अभिव्यक्ति भी आसान हो जाती है ...
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावी ...
बहुत ही सुंदर भाव एवं प्रभावी रचना...
जवाब देंहटाएंमासूमियत के लिए अभिव्यक्ति……
जवाब देंहटाएंपरखा नहीं जाता हो जिसे
वक़्त बे़वक़्त कसौटियों पर !!!
कोरों में छलकते आंसू
जवाब देंहटाएंअपना खारापन देकर छीन लेते हैं
मिठास होठों की
.........क्या बात है! जस्ट अमेंजिंग!
शब्दों के औज़ार लिए रहता हूँ,
जवाब देंहटाएंकाट देता हूँ संवेदनाओं को जब भी मुझे वो
भावनाओं में बहाती हैं
काश मुझसे भी ऐसा हो पाता ... !
कुछ शब्दों के अर्थ
जवाब देंहटाएंअनर्थ होने के भय से
जिभ्या पर आने से कतराते हैं
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,,लाजबाब प्रस्तुति के लिए बधाई,,,,सदा जी,,,,,
RECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,
संवेदनाओं और मासूमियत के आभाव में तो जिंदगी ही बेस्वाद हो जाएगी सदा जी...
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों की संवेदना और मासूमियत ही तो है, जिस पर ये दुनिया अभी तक टिकी हुयी है...
Bahut sundar rachana...aur masoom tasveer.
जवाब देंहटाएंअन गढ़ बिम्ब लिए है यह रचना संवेदन शून्य होते जीवन और जगत के ,व्यवहार जगत के अपने दवाबों के ....शब्द जो हमारे अनुकूल नहीं होते घेरे रहतें हैं परिवेश को ,शब्दों का ही पैरहन हमें नचाए है ...बढ़िया रचना .
जवाब देंहटाएंभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
जवाब देंहटाएंकाट देता हूँ संवेदनाओं को जब भी मुझे वो
जवाब देंहटाएंभावनाओं में बहाती हैं
अपनी संवेदनाओं को नियंत्रित करना, जीवन के यथार्थ को उसके मूल स्वरूप में जीना साहस का काम होता है. आपकी यह कविता अध्यात्म की ओर मुडती चली जाती है.
शीर्षक ही अनुपम है, आगे क्या कहूँ.
जवाब देंहटाएंपूछता हूँ अपने आप से
खुद का वो ठिकाना
जहां निर्वाण होता हो मा़सूमिय़त का
परखा नहीं जाता हो जिसे
वक़्त बे़वक़्त कसौटियों पर
अद्भुत, इन भावनाओं को इन शब्दों में समेटना भी कला है.
सच है..... ऐसा समय भी आता है ....
जवाब देंहटाएंSUNDAR BHAVABHIVYAKTI .BADHAI
जवाब देंहटाएंजहां निर्वाण होता हो मा़सूमिय़त का
जवाब देंहटाएंऔर बुद्ध गति प्राप्त होती हो...सुख-दुःख में सम-भाव...खूबसूरत रचना...
बहुत खूब लिखा है जी
जवाब देंहटाएंकुछ शब्दों के अर्थ
अनर्थ होने के भय से
जिभ्या पर आने से कतराते हैं
इसी लिये तो हम भी
सब कुछ नहीं कह पाते हैं जी !
कुछ शब्द सिर्फ़ श्रापित होते हैं
जवाब देंहटाएंजो औरों की जिन्दगी में
आ जाते हैं अभिशाप़ बनकर
दे जाते हैं एक संताप मन में
अंजानी पीड़ा लिए......बहुत सुन्दर..
sundar bhaavon se paripoorn ,umdaa
जवाब देंहटाएंकुछ शब्द सिर्फ़ श्रापित होते हैं
जवाब देंहटाएंजो औरों की जिन्दगी में
आ जाते हैं अभिशाप़ बनकर
दे जाते हैं एक संताप मन में
अंजानी पीड़ा लिए
कोरों में छलकते आंसू
अपना खारापन देकर छीन लेते हैं
मिठास होठों की
बेहद प्रभावी और सुन्दर पोस्ट।
मैं हर क्षण को ज़ीने के लिए
जवाब देंहटाएंमन मुताबिक
शब्दों के औज़ार लिए रहता हूँ,
अत्यंत प्रभावपूर्ण रचना .....
वो मासूमियत ही है जिस पर सब से अधिक वार होते हैं. उसे बचा कर रखना कठिन होता है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..शब्द कई बार मन पर न मिटने वाले घाव छोड़ जाते हैं..
जवाब देंहटाएंपर इन शब्द रुपी बाणों को जीवन और मन से निकाल कर फेंक देना ही उत्तम है
Bohot sundar rachna...
जवाब देंहटाएंशब्दों के साथ हमारे सम्बन्ध द्वंदात्मक होते है पर उन्हें विभिन्न सन्दर्भों में परखने का ज़ज्बा बनाये रखें
जवाब देंहटाएंसीमा जी नमस्कार...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग 'सदा' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 24 अगस्त को 'जहां निर्वाण होता है मासूमियत का ...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव