सीखा है तुमसे मुस्कराने का फ़न
जादूगरी शब्दों की पाई है आशीष में
'' वक़्त की कलम में सच की स्याही भरना
हर फै़सला तुम्हारी मुट्ठी में होगा ''
डगमगाये जब भी मेरे कदम
मुश्किल भरी राहों में
उंगली तुम्हारी मैं झट से थाम लेती हूँ
बुनियाद कितनी भी कमज़ोर हो
हौसला बन जाती हो तुम मेरा
जब भी तुम्हारा नाम लेती हूँ
... जब भी जिन्दगी के साथ
चलना हो तो मैं तुम्हारा नाम लेती हूँ
मैं जानती हूँ
रब मेरे गुनाहों को माफ़ नहीं करेगा
मैं जागते ही तुम्हारा नाम लेती हूँ
नहीं दौड़ता मेरी धमनियों में
तुम्हारा रक्त
लिखा नहीं है मेरी हथेली की रेखाओं में
तुम्हारा नाम
फिर भी दुआओं में तुम्हारा साथ
सुब्हो - शाम मैं रब से मांग लेती हूँ
....
जादूगरी शब्दों की पाई है आशीष में
'' वक़्त की कलम में सच की स्याही भरना
हर फै़सला तुम्हारी मुट्ठी में होगा ''
डगमगाये जब भी मेरे कदम
मुश्किल भरी राहों में
उंगली तुम्हारी मैं झट से थाम लेती हूँ
बुनियाद कितनी भी कमज़ोर हो
हौसला बन जाती हो तुम मेरा
जब भी तुम्हारा नाम लेती हूँ
... जब भी जिन्दगी के साथ
चलना हो तो मैं तुम्हारा नाम लेती हूँ
मैं जानती हूँ
रब मेरे गुनाहों को माफ़ नहीं करेगा
मैं जागते ही तुम्हारा नाम लेती हूँ
नहीं दौड़ता मेरी धमनियों में
तुम्हारा रक्त
लिखा नहीं है मेरी हथेली की रेखाओं में
तुम्हारा नाम
फिर भी दुआओं में तुम्हारा साथ
सुब्हो - शाम मैं रब से मांग लेती हूँ
....
बहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंमगर तस्वीर थोड़ा भ्रमित कर रही है भाव समझने में...याने "तुम" किसके लिए प्रयुक्त हुआ है!!!
सस्नेह
जो साथ नहीं, जो किस्मत में नहीं....उसे रब से माँगना अंतः को एक गहन पीड़ा के भाव से भर देता है. पर शायद मुट्ठी में भरे सच का फैसला यही है. भावमयी कविता.
जवाब देंहटाएंvery nice .thanks
जवाब देंहटाएंTIME HAS COME ..GIVE YOUR BEST WISHES TO OUR HOCKEY TEAM -BEST OF LUCK ..JAY HO !
कोई हो ऐसा प्रेरणास्रोत तो हौसला हमेशा ही बना रहेगा .... समर्पण के भावों को बखूबी लिखा है ॥
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंमन को छू लेने वाला भाव
बहुत ही सरल अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअद्भुत समर्पण ...बहुत सुंदर भाव ....
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारे अहसास
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया. सुन्दर.
जवाब देंहटाएंहृदय टटोलती रचना..
जवाब देंहटाएंBehad sundar likhtee hain!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार को ३१/७/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंनहीं दौड़ता मेरी धमनियों में
जवाब देंहटाएंतुम्हारा रक्त
लिखा नहीं है मेरी हथेली की रेखाओं में
तुम्हारा नाम
फिर भी दुआओं में तुम्हारा साथ
सुब्हो - शाम मैं रब से मांग लेती हूँ
आप खुशनसीब हो और आपसे खुशनसीब वो जिस पर आपको विश्वास है
बहुत सुन्दर काव्यकृति!
जवाब देंहटाएंbauhat sunder :)
जवाब देंहटाएंअंतर्मन को छूती हुई ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंsunder kavya rachna........
जवाब देंहटाएंनहीं दौड़ता मेरी धमनियों में
जवाब देंहटाएंतुम्हारा रक्त
लिखा नहीं है मेरी हथेली की रेखाओं में
तुम्हारा नाम
फिर भी दुआओं में तुम्हारा साथ
सुब्हो - शाम मैं रब से मांग लेती हूँ,,,,
फिर भी आपको विश्वास है,,,,,,
RECENT POST,,,इन्तजार,,,
बहुत सुन्दर और भाव प्रधान रचना है सदाजी |
जवाब देंहटाएंआशा
... जब भी जिन्दगी के साथ
जवाब देंहटाएंचलना हो तो मैं तुम्हारा नाम लेती हूँ
कैसे सहेज लेती हैं आप .... सबके मन के से भाव.... बहुत सुंदर
बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार. मोहपाश को छोड़ सही राह अपनाएं . रफ़्तार ज़िन्दगी में सदा चलके पाएंगे .
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है...
जवाब देंहटाएंअंतर्मन को छूती सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंहथेली की रेखाओं की क्या जरूरत, जब मन के आंगन पर लिखा हो नाम...
जवाब देंहटाएंसीमा जी नमस्कार...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग 'सदा' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 31 जुलाई को 'मेरी हथेली की रेखाएं...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
कर्म ही मेहनत है और मेहनत हाथो की लकीरो से पहचान सकते है
जवाब देंहटाएंयूनिक तकनीकी ब्लाग
समर्पण का सुन्दर भाव ....
जवाब देंहटाएंमन को छू जाने वाली रचना
bahut sundar likha hai...
जवाब देंहटाएंसाथ न होते हुवे भी मांगने की चाह ... शायद इसी को प्रेम की इन्तेहा कहते हैं ...
जवाब देंहटाएंसंगीता आंटी की बात से सहमत हूँ।
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