वो आज रूठा है यादों से
गुस्से से बोला
निकम्मी हैं ये तो
जब भी छुट्टी होती है
सोचता हूँ आज तो जी भर के सोना है
पर कहां आज तो आंखे रोज से पहले ही
तरोताज़ा हो गईं
यादें ले आईं सवेरे-सवेरे
एक फीकी सी बेड टी
मैं करवट बदल - बदल कर उसे अनदेखा करता रहा
कानों में एक धीमी फुसफुसाहट सी हुई
ठंडी हो जाऊंगी तो बेस़्वाद लगूंगी
....
उफ् तुम्हें पता है हफ्तें भर की भागमभाग के बाद
ये संडे कितना प्यारा लगता है
एक भरपूर नींद हो कुछ ख्वाब हों
बस कोई खल़ल डालने वाला न हो
यादों का सुबह से आ धमकना
सच इन यादों की जगह
तुम होती तो
ये फीकी सी बेड टी भी मीठी लगती
हम मिलकर कुछ यादों का
एक स्पेशल बुके तैयार करते
कुछ यादों को साथ शेअर कर खिलखिलाते
कुछ को गुनगुनाते गीत की तरह
कुछ पलों को बनाते हम भी इक याद
कहते - कहते वो बड़बड़ा उठा
लो इन निकम्मी यादों ने मुझे भी
निकम्मा कर दिया :)
क्या कहूँ अब इन यादों को ... !!!
वाह....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर........
सस्नेह
अनु
bahut sundar rachna.......yade hi to apni hoti hai sirph apni
जवाब देंहटाएंफीकी सी बेड टी भी मीठी लगती !
जवाब देंहटाएंक्या खूब!
क्या कहा जा सकता है …………सिवाय मुस्कुराने के :)
जवाब देंहटाएंवाह अनोखी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंहम मिलकर कुछ यादों का
जवाब देंहटाएंएक स्पेशल बुके तैयार करते
कुछ यादों को साथ शेअर कर खिलखिलाते
मन को छू लेने वाली रचना......
बहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंसादर अभिनन्दन ।।
इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
जवाब देंहटाएंवरना हम भी आदमी थे काम के !
सच इन यादों की जगह
तुम होती तो ...
मेरी कविता तो यहीं पर पूरी हो गई सदा जी !
ये संडे कितना प्यारा लगता है
जवाब देंहटाएंएक भरपूर नींद हो कुछ ख्वाब हों
बस कोई खल़ल डालने वाला न हो .... सप्ताह भर की थकान उतारनी होती है , और खलल से .... मन थक जाता है
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
यह भी तो देखिये जनाब ,की यादों की उम्र कितनी लम्बी होती है,शायद अपनी ज़िन्दगी से भी ज्यादा, और हर याद का एक अपना अलग अंदाज
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत कविता
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसादर
यादें भी तो संडे को ही आएँगी न...फुरसत में:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा.... :)
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना...सचमुच कोई साथ दे न दे लेकिन गुजरे दिनों की यादें हमेशा साथ देती हैं. वही जिंदगी का सरमाया होती हैं.
जवाब देंहटाएंसही है सारे फसाद कि जड़ यह मुई यादें ही तो है :)सुंदर भाव संयोजन...
जवाब देंहटाएंअब क्या कहें बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंयादें तो बस यादें होती हैं...
गुनगुनाती सुबह का आनंद
जवाब देंहटाएं:):) यादों मेँ रचे बसे प्यारे से लम्हे ...
जवाब देंहटाएंयादों के कोमल संसार की सारी खूबियाँ यह कविता कह जाती है. सुंदर अहसासों की रचना.
जवाब देंहटाएंबस ये यादें ही तो हैंजो सोने नही देती ..सुन्दर अहसास..
जवाब देंहटाएंलो इन निकम्मी यादों ने मुझे भी
जवाब देंहटाएंनिकम्मा कर दिया :)
क्या कहूँ अब इन यादों को ... !!!
Sach....kabhee socha hee nahee tha ki yaden bhee nikamma kar detee hain!
हम मिलकर कुछ यादों का
जवाब देंहटाएंएक स्पेशल बुके तैयार करते
कुछ यादों को साथ शेअर कर खिलखिलाते
कुछ को गुनगुनाते गीत की तरह
सुन्दर एहसासों से भरी प्यारी सी कविता
आभार
यादों का प्रभाव संबंद्ध घटनाओं से कहीं अधिक होता है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रसतुति
जवाब देंहटाएंkuchh kah bhi nahi sakte in yaadon ko....bahut khoob...
जवाब देंहटाएंलो इन निकम्मी यादों ने मुझे भी
जवाब देंहटाएंनिकम्मा कर दिया :)
क्या कहूँ अब इन यादों को ... !!!
यादों का सिलसिला ऐसा ही है.
आज 16/07/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजब भी छुट्टी होती है
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ आज तो जी भर के सोना है
पर कहां आज तो आंखे रोज से पहले ही
तरोताज़ा हो गईं
बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट।