किसी योद्धा सी तुम कमजोर विचारों को
मन से झटकते हुए आगे बढ़ती
करती सवाल खुद से
आस्थाओं का मान रखना
सबका ह्रदय में सम्मान रखना
पर फिर क्यूँ
जीवित न अपना स्वाभिमान रखना
कर्तव्य का रक्त धमनियों में
नितांत वेग से बहता हरदम
मैं करती हूँ, कर लूगीं, तुम फिक्र मत करो
हौसले की परछाईं बनकर
समर्पित खुद को करना
मुश्किलें कैसी भी आईं
त्याग की पहली सीढ़ी पर कदम
खुद का रखने में पहल करना
वक़्त की कसौटियों पर
हँसकर खुद को परखना
बेफिक्री की चादर उढ़ाकर सबको
खुद ख्यालों के बिस्तर पे करवट बदलना
तुम्हारा देखा है मैने
...
आस्थाओं का मान रखना
सबका ह्रदय में सम्मान रखना
पर फिर क्यूँ
जीवित न अपना स्वाभिमान रखना
इस बात से सहमत हूँ शत-प्रति-शत
कुछ रहे न रहे
तुम्हारा यह हौसला और यह स्वाभिमान सदा रहे
यह दुआ है तुम्हारे लिए... !!!
वक़्त की कसौटियों पर
जवाब देंहटाएंहँसकर खुद को परखना
बेफिक्री की चादर उढ़ाकर सबको
खुद ख्यालों के बिस्तर पे करवट बदलना
तुम्हारा देखा है मैंने
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .... किसी की हर बात का खयाल रख दुआ देना ...बहुत खूब
बहुत सुन्दर.....मन से की गयी दुआ कबूल होती है...
जवाब देंहटाएंसस्नेह
स्वाभिमान सम्मान,ही जीवित रहने की अदा
जवाब देंहटाएंइस बात से सहमत हूँ, शत- प्रति-शत सदा,,,,,,
MY RECENT POST...:चाय....
बहुत सुन्दर .. हर दुआ कबूल हो..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआस्थाओं का मान रखना
सबका ह्रदय में सम्मान रखना
ये अपेक्षा तो हर किसी से की जानी चाहिए।
बहुत अच्छी कविता दी!बेह्द उम्दा और गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर एवं सार्थक अभिव्यक्ति आभार.... हर दुआ कुबूल हो...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंबधाई सदा जी ||
बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंशेअर करने के लिए आभार!
बहुत ही सुन्दर रचना .बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंत्याग की पहली सीढ़ी पर कदम
जवाब देंहटाएंखुद का रखने में पहल करना
वक़्त की कसौटियों पर
हँसकर खुद को परखना
बेफिक्री की चादर उढ़ाकर सबको
खुद ख्यालों के बिस्तर पे करवट बदलना
तुम्हारा देखा है मैने
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, खुद नारी होकर जब नारी के त्याग और दायित्वों की सूली पर चढ़ा हुआ देखते हैं तो गर्व होता है लेकिन उसकी सराहना अगर सिर्फ हमने की तो क्या? उसके इस स्वरूप को सबको सराहना होगा तभी उसके तपस्या सार्थक होगी.
bhetreen rachna
जवाब देंहटाएंवक़्त की कसौटियों पर
जवाब देंहटाएंहँसकर खुद को परखना
बेफिक्री की चादर उढ़ाकर सबको
खुद ख्यालों के बिस्तर पे करवट बदलना
तुम्हारा देखा है मैने
फिर तो दुआ मांगना भी चाहिए..... सुंदर लिखा है...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएं:-)
हौसला ही तो आगे बढाता है जीवन में, हमारी क्षमता को निखारता है । दुआ कबूल हो, आमीन ।
जवाब देंहटाएंजीवन में मान और सम्मान का बहुत बड़ा महत्व है, वहीं अभिमान का परित्याग भी उतना ही ज़रूरी है।
जवाब देंहटाएंदुआ कबूल हो...आमीन।
जवाब देंहटाएंसदा जी आपका ईमेल आईडी चाहिए
जवाब देंहटाएंकृपा मेल करें : deepak.mystical@gmail.com
आभार
मेरी प्यारी लाडली कभी शिकायत की मौका नहीं देती ! फिर इससे नफरत क्यों ? समाज को हजार बार सोंचना होगा ! सुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएंहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंस्त्री के स्वाभिमान की जंग का सटीक वर्णन. 'मैं करती हूँ, मैं कर लूँगी' जैसे विश्वास के बाद फिर एक कमज़ोर विचार से जंग. बहुत सुंदर रचना है.
जवाब देंहटाएंमैं बहुत गन्दा हूँ... अच्छी चीज़ें अक्सर मुझसे छूट जातीं हैं.. यह कविता सच में बहुत अच्छी लगीं...दिल को छू गईं....
जवाब देंहटाएंमैं बहुत गन्दा हूँ... अच्छी चीज़ें अक्सर मुझसे छूट जातीं हैं.. यह कविता सच में बहुत अच्छी लगीं...दिल को छू गईं....
जवाब देंहटाएंमैं बहुत गन्दा हूँ... अच्छी चीज़ें अक्सर मुझसे छूट जातीं हैं.. यह कविता सच में बहुत अच्छी लगीं...दिल को छू गईं....
जवाब देंहटाएंआमीन ।
जवाब देंहटाएंआस्थाओं का मान रखना
जवाब देंहटाएंसबका ह्रदय में सम्मान रखना..
क्या बात !