डर था मुझे वो टूटेगा तो बिखर जाएगा,
तुमसे जो मुंह फेरेगा तो किधर जाएगा ।
संभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
गिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।
बेबसी जब भी पूछती मेरा हाल धीमे से,
सोचता कुछ कहा तो बन ज़हर जाएगा ।
बुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
कहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा ।
गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
पूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा ।
तुमसे जो मुंह फेरेगा तो किधर जाएगा ।
संभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
गिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।
बेबसी जब भी पूछती मेरा हाल धीमे से,
सोचता कुछ कहा तो बन ज़हर जाएगा ।
बुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
कहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा ।
गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
पूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा ।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंwah..har couplet shaandar hai :)
जवाब देंहटाएंहर पंक्ति बेजोड़ |
जवाब देंहटाएंबधाई सदा ||
संभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
जवाब देंहटाएंगिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।
Bahut Sunder.....
Bemisaal rachana!
जवाब देंहटाएंछोटी, प्यारी और सुंदर रचना .बधाई
जवाब देंहटाएंसंभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
जवाब देंहटाएंगिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।
सच्चाइयो के कहती शानदार प्रस्तुति।
सरल,सुंदर और गहरे एहसास लिए रचना ......
जवाब देंहटाएंगुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
जवाब देंहटाएंपूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा ।
बहुत खूब ...
बुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
जवाब देंहटाएंकहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा ...
लाजवाब शेर ... जब इंसान पथरा जाता है गम से तो एक तरह से मरने के करीब ही आ जाता है ... लाजवाब लिखा है ..
गहरे एहसास लिए सुंदर रचना ...........बधाई
जवाब देंहटाएं...सभी उक्तियाँ बहुत सुन्दर है!
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंचरम शेर तो लाजवाब है।
गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
पूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा ।
बुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
जवाब देंहटाएंकहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा । ... वाह
गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
जवाब देंहटाएंपूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा । waah bahut badhiya .accha likha hai
संभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
जवाब देंहटाएंगिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।
इस दुनिया के साथ दौड़ना ज़रूरी है. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल.
बेहतरीन अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंसुभानाल्लाह.....हर शेर मुकम्मल.....दाद कबूल करें।
जवाब देंहटाएंबेहतर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत बधाई, मेरे दिल को छू गयी ये ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंप्यारी सी सुन्दर सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंसंभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
जवाब देंहटाएंगिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।
बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
एक-एक शेर लाजवाब...मज़ा आ गया...
जवाब देंहटाएंसराहनीय - संग्रहणीय प्रस्तुति .आभार हमें आप पर गर्व है कैप्टेन लक्ष्मी सहगल
जवाब देंहटाएंबुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
जवाब देंहटाएंकहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा ।
मरी हुई सी संवेदनाओं के साथ जीने से
है अच्छा कि वो कुछ कर गुज़र जाएगा।
गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
जवाब देंहटाएंपूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा ।
नहीं सीमा जी ....
जिन्हें अपनी गलती का एहसास ही न हो उनसे तो खुद को बचाना भी कठिन है....
बहुत सुन्दर रचना.....!!
waah bahut sundar rachna .......
जवाब देंहटाएंBehtreen Rachna ......sada , sis
जवाब देंहटाएंगुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
जवाब देंहटाएंपूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा
बस इतना सा बता दो उनको
आज हँस लो चाहे जितना भी
कल हर हाल में उन्हें रोना पडेगा
गुनाहों की सज़ा को भुगतना पडेगा
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंबुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
जवाब देंहटाएंकहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा ।
बहुत खूब