बुधवार, 25 जुलाई 2012

गिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा

डर था मुझे वो टूटेगा तो बिखर जाएगा,
तुमसे जो मुंह फेरेगा तो किधर जाएगा ।

संभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
गिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।

बेबसी जब भी पूछती मेरा हाल धीमे से,
सोचता कुछ कहा तो बन ज़हर जाएगा ।

बुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
कहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा ।

गुनाहों  की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
पूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा ।

33 टिप्‍पणियां:

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  2. हर पंक्ति बेजोड़ |
    बधाई सदा ||

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  3. संभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
    गिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।

    Bahut Sunder.....

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  4. छोटी, प्यारी और सुंदर रचना .बधाई

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  5. संभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
    गिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।

    सच्चाइयो के कहती शानदार प्रस्तुति।

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  6. सरल,सुंदर और गहरे एहसास लिए रचना ......

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  7. गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
    पूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा ।

    बहुत खूब ...

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  8. बुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
    कहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा ...

    लाजवाब शेर ... जब इंसान पथरा जाता है गम से तो एक तरह से मरने के करीब ही आ जाता है ... लाजवाब लिखा है ..

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  9. गहरे एहसास लिए सुंदर रचना ...........बधाई

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  10. ...सभी उक्तियाँ बहुत सुन्दर है!

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  11. श्रेष्ठ अभिव्यक्ति!!
    चरम शेर तो लाजवाब है।
    गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
    पूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा ।

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  12. बुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
    कहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा । ... वाह

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  13. गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
    पूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा । waah bahut badhiya .accha likha hai

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  14. संभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
    गिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।
    इस दुनिया के साथ दौड़ना ज़रूरी है. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल.

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  15. सुभानाल्लाह.....हर शेर मुकम्मल.....दाद कबूल करें।

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  16. बहुत खूबसूरत बधाई, मेरे दिल को छू गयी ये ग़ज़ल.

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  17. प्यारी सी सुन्दर सुन्दर रचना..

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  18. संभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
    गिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।
    बहुत सुन्दर रचना, बधाई.

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  19. एक-एक शेर लाजवाब...मज़ा आ गया...

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  20. बुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
    कहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा ।

    मरी हुई सी संवेदनाओं के साथ जीने से
    है अच्छा कि वो कुछ कर गुज़र जाएगा।

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  21. गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
    पूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा ।

    नहीं सीमा जी ....

    जिन्हें अपनी गलती का एहसास ही न हो उनसे तो खुद को बचाना भी कठिन है....

    बहुत सुन्दर रचना.....!!

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  22. गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
    पूछो तो बचाया इनको किस कदर जाएगा
    बस इतना सा बता दो उनको
    आज हँस लो चाहे जितना भी
    कल हर हाल में उन्हें रोना पडेगा
    गुनाहों की सज़ा को भुगतना पडेगा

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  23. बुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
    कहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा ।

    बहुत खूब

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....