मंगलवार, 10 जुलाई 2012

कभी यूँ भी आज़मा के देख ...

आज़माना है तो मुझे तो कभी यूँ भी आज़मा के देख,
मैं हँसती रहूँ तेरे हर सितम पर तू मुझे रूला के देख ।

जा डाल दी खाक़ मैने तेरे हर गुनाह पे कोई शिक़वा नहीं,
जा माफ़ कर तू भी कभी किसी को यूँ अपना बना के देख ।

मुश्किलों का भी अपना है एक मज़ा तू इक बार यकीं से
इन मुश्किलों की ओर हौसले से सर अपना उठा के देख ।

दौर मुश्किल हो हालात नाजु़क हों जब भी कोई साथ न दे,
ऐसे वक्‍़त में तू इक बार दिल से मुझे आवाज़ लगा के देख ।

बुलन्‍दी पर पहुंचने का कोई टोटका नहीं होता है बता दे उसे,
बस इक बार सदा  तू मन में लगन का दीप जला के देख ।

35 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर....
    बहुत अच्छे भाव समेटे हैं..

    सस्नेह
    अनु

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  2. मुश्किलों का भी अपना है एक मज़ा तू इक बार यकीं से
    इन मुश्किलों की ओर हौसले से सर अपना उठा के देख । ..
    waah.. sach mein isi me maza hai...

    शुक्रिया ज़िन्दगी.....

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  3. इन मुश्किलों की ओर हौसले से सर अपना उठा के देख । ... फिर कई मायने मिलेंगे

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  4. जा डाल दी खाक़ मैने तेरे हर गुनाह पे कोई शिक़वा नहीं,
    जा माफ़ कर तू भी कभी किसी को यूँ अपना बना के देख ...

    बहुत मुश्किल है किसी को माफ कर देना ... बहुत ही गहरी बात कह दी इस शेर के माध्यम से ...

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  5. यह है बुधवार की खबर ।

    उत्कृष्ट प्रस्तुति चर्चा मंच पर ।।



    आइये-

    सादर ।।

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  6. दौर मुश्किल हो हालात नाजु़क हों जब भी कोई साथ न दे,
    ऐसे वक्‍़त में तू इक बार दिल से मुझे आवाज़ लगा के देख .....वाह:वाह: सदा जी, बहुत खुबसूरत गजल..आभार

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  7. हर सपना किसी का पूरा नहीं होता !
    कोई किसी के बिना अधुरा नहीं होता !!
    जो रौशन करता हैं सब रातों को....!
    वो चाँद भी तो हर रात पूरा नहीं होता !!

    बहुत बढ़िया सदाजी बहुत ही बढ़िया ...

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  8. किसी रंजिश हो हवा दो कि मै जिन्दा हु अभी

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  9. बहुत बढ़िया है आप की यह पेशकश ||

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  10. वाह....हर शेर मुकम्मल और शानदार.....बहुत खूब।

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  11. वाह! बहुत खूब... बेहतरीन अभिव्यक्ति......

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  12. वाह!!!सदा जी क्या बात है....बहतरीन भावभिव्यक्ति ....

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  13. मुश्किलों का भी अपना है एक मज़ा तू इक बार यकीं से
    इन मुश्किलों की ओर हौसले से सर अपना उठा के देख ।
    वाह …………बहुत सुन्दर और सहज प्रस्तुति।

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  14. दौर मुश्किल हो हालात नाजु़क हों जब भी कोई साथ न दे,
    ऐसे वक्‍़त में तू इक बार दिल से मुझे आवाज़ लगा के देख ।

    सदा जी आज आपने दिल की बात कह दी बस कोई बात नहीं ना ही कोई टिपण्णी प्रणाम प्रणाम प्रणाम ........

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  15. जा डाल दी खाक़ मैने तेरे हर गुनाह पे कोई शिक़वा नहीं,
    जा माफ़ कर तू भी कभी किसी को यूँ अपना बना के देख ।

    दौर मुश्किल हो हालात नाजु़क हों जब भी कोई साथ न दे,
    ऐसे वक्‍़त में तू इक बार दिल से मुझे आवाज़ लगा के देख ।

    vaah aaj is gazal ne to apka mureed bana diya.
    ham bhi ehsas likhte hain par apke lafzon ne to jadu chala diya.

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  16. बेदर्दी यह दर्द नहीं सबको,ऐसे मिल जाता
    प्यार करोगे तब जानोगे,कैसे है यह आता,,,,,,,,

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  17. जा डाल दी खाक़ मैने तेरे हर गुनाह पे कोई शिक़वा नहीं,
    जा माफ़ कर तू भी कभी किसी को यूँ अपना बना के देख ।

    Bahut Umda...Waah

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  18. शिकवा और शिकायतें, इस जीवन के साथ।
    आजमाइए दोस्त को, बुरा वक्त जब आय।।

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  19. बहुत सुंदर

    आज़माना है तो मुझे तो कभी यूँ भी आज़मा के देख,
    मैं हँसती रहूँ तेरे हर सितम पर तू मुझे रूला के देख ।

    क्या कहने

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  20. जा डाल दी खाक़ मैने तेरे हर गुनाह पे, कोई शिक़वा नहीं,
    जा माफ़ कर तू भी कभी किसी को यूँ अपना बना के देख
    बेतरीन ग़ज़ल कही है आपने. बहुत ख़ूब.

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  21. बुलन्‍दी पर पहुंचने का कोई टोटका नहीं होता है बता दे उसे,
    बस इक बार सदा तू मन में लगन का दीप जला के देख ।
    वाह बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...!!

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  22. दौर मुश्किल हो हालात नाजु़क हों जब भी कोई साथ न दे,
    ऐसे वक्‍़त में तू इक बार दिल से मुझे आवाज़ लगा के देख ।
    सुन्दर ग़ज़ल लिखी है ये शेर बेहद पसंद आया

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  23. बुलन्‍दी पर पहुंचने का कोई टोटका नहीं होता है बता दे उसे, behad sunder.

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  24. बहुत खूब....

    माफ कर देने वाले शेर में छुपा दर्शन सबसे अच्छा लगा।

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  25. मन में लगन हो तो बुलंदी का कोई टोटका ज़रूरी नहीं ...
    प्रेरक !

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  26. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....