मंगलवार, 8 नवंबर 2011

कैसे न करूं मैं परिक्रमा आपकी .....!!!

















मां ...आप
हर बात मन में कैसे
जज्‍ब सी कर लेती हैं
देखिए ना मेरा स्‍नेह
आपको धूरी बना
बस आपकी ही
परिक्रमा करता रहता है
कुछ पूछने पर
आंखो में उसके
नजर आती है
आपकी तस्‍वीर
ये कैसी है तलाश इसकी
जो कभी खत्‍म
नहीं होती ....।
मां ..आप
हर बात को इतनी सहजता से
कैसे ले लेती हैं
जब हम नाराज होते हैं तो
आप झांककर हमारी आंखों में
मुस्‍करा के कहती हैं
तुम्‍हारा चेहरा
बिल्‍कुल अच्‍छा नहीं लगता ऐसे
बताओ तो मुझे क्‍या हुआ
और हम शुरू हो जाते हैं
टेप रिकार्ड का प्‍ले बटन दबा दिया हो
किसी ने जैसे
शिकायतें और शिकायतें
और उस वक्‍त
हम ध्‍यान देते तो देखते
आपका हांथ हमारे सिर पर होता
बस इतनी सी बात
हां मां बात इतनी सी है
इसका अहसास हुआ हमें
आपकी मुस्‍कराहट में
उस धवल हंसी  से
जाना कितना सुकून है
आपके साये में
तो कहिए
कैसे न करूं मैं परिक्रमा आपकी  .....!!!

24 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर पंक्तिया... माँ शब्द को सार्थक करती हुई ,,,,

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  2. भावमय कविता !

    कृपया पधारें ।

    http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर भाव............सच है माँ के कदमो में ही जन्नत है |

    जवाब देंहटाएं
  4. माँ तो माँ ही होती है .... गज़ब के भाव हैं इस रचना में ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूब, माँ के बड़ी कोई नेमत नहीं

    आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. यह मैंने कहीं पढ़ी है। मगर खैर कोई बात नहीं, जिसने भी लिखा है एक एक शब्द सही है।

    जवाब देंहटाएं
  7. पल्‍लवी जी,

    आपने बिल्‍कुल सही कहा ... इस रचना को आप पहले वटवृक्ष पर पढ़ चुकी हैं ... ।

    जवाब देंहटाएं
  8. माँ तो आखिर माँ है ना.

    बहुत सुंदर.

    जवाब देंहटाएं
  9. http://urvija.parikalpnaa.com/2011/10/blog-post_03.html

    yahan yah rachna inki aa chuki hai pahle

    जवाब देंहटाएं
  10. “माँ सम बोलें कौन है, माँ रहकर के मौन
    अन्तर की भाषा पढ़े, माँ से बढ़कर कौन?”

    बहुत ही प्यारी रचना...
    सादर बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  11. सदा जी,..माँ और बेटी के जज्बातों की सुंदर प्रस्तुति..लाजबाब पोस्ट
    मेरे नए पोस्ट में स्वागत है....

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  12. आपकी तस्‍वीर
    ये कैसी है तलाश इसकी
    जो कभी खत्‍म
    नहीं होती ....।

    sundar...

    जवाब देंहटाएं
  13. मां को समर्पित सुंदर रचना।
    आभार.....

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  14. बहुत प्यारे भाव लिए हुए ... माँ की परिक्रमा कर ली तो सारी दुनिया की कर ली ..

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  15. सही है ....माँ के कदमों में ही सब कुछ है
    माँ को समर्पित सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....