खोजते थे तुम पल कोई ऐसा
जिसमें छिपी हो
कोई खुशी मेरे लिए
मैं हंसती जब भी खिलखिलाकर
तुम्हारे लबों पर
ये अल्फ़ाज होते थे
जिन्दगी को जी रहा हूं मैं
ठिठकती ढलते सूरज को देखकर जब भी
तो कहते तुम
रूको एक तस्वीर लेने दो
मैं कहती
कभी उगते हुए सूरज के साथ भी
देख लिया करो मुझे
चिडि़यों की चहचहाहट
मधुरता साथ लाती है
तुम झेंपकर
बात का रूख बदल देते थे
कुछ देर ठहरते हैं
बस चांद को आने दो छत पे
जानते हो
वो मंजर सारे अब भी
वैसे हैं
मेरी खुशियों को किसी की
नजर लग गई है
मैने बरसों से
ढलता हुआ सूरज नहीं देखा ... !!!
sundar bhaaw , badhayi
जवाब देंहटाएंबस चांद को आने दो छत पे
जवाब देंहटाएंजानते हो
वो मंजर सारे अब भी
वैसे हैं
मेरी खुशियों को किसी की
नजर लग गई है
मैने बरसों से
ढलता हुआ सूरज नहीं देखा ... !!!
बहुत खूब सदा जी!
सादर
इस कविता की खूबसूरती उस तलाश में है जिसे प्रातः की ताज़ग़ी और रोशनी चाहिए. बहुत खूबसूरत भाव को संप्रेषित करती रचना.
जवाब देंहटाएंbahut khoobsoorat rachna ...
जवाब देंहटाएंWaah !!! Behtareen :-)
जवाब देंहटाएंwww.poeticprakash.com
जानते हो
जवाब देंहटाएंवो मंजर सारे अब भी
वैसे हैं
मेरी खुशियों को किसी की
नजर लग गई है
मैने बरसों से
ढलता हुआ सूरज नहीं देखा ... !!!
Aah!
प्यार और इंतज़ार का मंज़र ..इस से खूबसूरत नहीं हो सकता...बहुत खूब .....
जवाब देंहटाएंमेरी खुशियों को किसी की
जवाब देंहटाएंनजर लग गई है
मैने बरसों से
ढलता हुआ सूरज नहीं देखा ... !!!
.....वाह! बहुत सुंदर वर्णन ॥
खूबसूरत कविता बधाई और शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंमेरी खुशियों को किसी की
जवाब देंहटाएंनजर लग गई है
मैने बरसों से
ढलता हुआ सूरज नहीं देखा
वियोग से भरी रचना ....
marmsparshi
जवाब देंहटाएंएक दर्द झलकता है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रण!
मैं कहती
जवाब देंहटाएंकभी उगते हुए सूरज के साथ भी
देख लिया करो मुझे
बहुत दर्द इन पक्तियो में
आभार
खूबसूरत अहसास।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
kabhi ugte suraj ke saath....
जवाब देंहटाएंbahut gahan
डूबते सूरज का निष्कर्ष काली रात के पहले आ जाये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ... आपको ढलते सूरज को देखने का इंतज़ार करते देख रही हूँ ...
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobsurat ehsaas likhe hain.....
जवाब देंहटाएंshukriya
सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
मेरी खुशियों को किसी की
जवाब देंहटाएंनजर लग गई है
मैने बरसों से
ढलता हुआ सूरज नहीं देखा ... !!!
सुन्दर रचना .. एहसास का बखूबी चित्रण
अंत तक आते-आते कविता इंद्र्धानुष सा निखार गयी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना....लाजवाब।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया .... बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंमैने बरसों से
जवाब देंहटाएंढलता हुआ सूरज नहीं देखा ... !!!
सुंदर अभिव्यक्ति
शुभकामनायें आपको !
मैने वर्षों से ढलता हुआ सूरज नहीं देखा।..इसे पढ़कर आह ही निकलती है।
जवाब देंहटाएंकोमल भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति. बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंढलता हुआ,सूरज नहीं देखा--- दिल छूती हुई,रचना.
जवाब देंहटाएंवाह सदा जी क्या बात है....
जवाब देंहटाएंमेरी खुशियों को किसी की
नजर लग गई है
मैने बरसों से
ढलता हुआ सूरज नहीं देखा ..
गहन भावों को लिए बहुत ही भावपूर्ण, दिल को छु लेने वाली कविता सच मज़ा आगया पढ़कर....
बहुत भावपूर्ण रचना । शुभकामनाएँ ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति, शुभकामनाएँ .
जवाब देंहटाएंबहुत ही भाव पूर्ण ... कमाल की रचना है ...
जवाब देंहटाएंअत्यंत भावपूर्ण दिल में घर करतीएक खूबसूरत रचना ! बधाई सदा ! आपके दिल की सदा हम तक पहुँच गई है !
जवाब देंहटाएंबधाई !
क्या बात है, बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंभावप्रवण सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब............यादों के भंवर में कभी कभी दिल ऐसे ही डूब जाता है|
जवाब देंहटाएंमैने बरसों से
जवाब देंहटाएंढलता हुआ सूरज नहीं देखा ... !!!
बहुत खूब
सदा दी आपकी इस रचना को कविता मंच पर शामिल किया गया है
जवाब देंहटाएंकविता मंच
http://kavita-manch.blogspot.in/
अक्सर ढ़लता सूरज जीवन के आँगन में कई यादें छोड़ जाता है
जवाब देंहटाएंऔर इन यादों में किसी का इन्तजार ....
साभार !