शनिवार, 3 अगस्त 2019
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
लेबल
- 13 फरवरी / जन्मदिन (1)
- काव्य संग्रह 'अर्पिता' (1)
- गजल (1)
- ग़ज़ल (21)
- नया ब्लाग सद़विचार (1)
- बसन्त ... (1)
- यादें (1)
- kavita (30)
ब्लॉग आर्काइव
मेरे बारे में

- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
वाह बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (05-08-2019) को "नागपञ्चमी आज भी, श्रद्धा का आधार" (चर्चा अंक- 3418) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच कहती थी माँ ...
जवाब देंहटाएंकाश हम सब बच्चे रहते तो दोस्त भी बच्चे ही रहते ... समय ने सब बदल दिया ...
बहुत प्यारी भावनाओं को स्नेह के शब्दों में पिरोयी सुंदर अभिव्यक्ति दी।
जवाब देंहटाएंअत्यंत स्नेह अनुजा
हटाएंलाजवाब सृजन ।
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया
हटाएं"दोस्त एक हो पर सच्चा हो"
जवाब देंहटाएंआपकी रचना के सारे सुन्दर, अप्रतिम बिम्बों से परे यथार्थ को दर्शाती, अहसास कराती पंक्ति ... आभार आपका महोदया ... आज छदम् भीड़ की चाह रखने वाले लोगों के बीच ये संदेश दुहराने के लिए
जी आभार आपका
हटाएंसदा की भाँति अति सुंदर कहा है ।
जवाब देंहटाएं