बुधवार, 24 अक्तूबर 2018

माँ की ममता से !!!!

माँ तुम्हारे
शब्दों की विरासत
मेरी हथेलियों को देती है ताक़त
मन को संबल
कदमों को हौसला
मस्तिष्क को
कभी हार कर भी
नहीं हारने देना
सोचती हूँ
शब्दों में इतनी हिम्मत
पहले तो नहीं थी
जरूर तुमने अभिमंत्रित किया होगा
इन्हें अपनी ममता से
सुना है कि
माँ की ममता से
कोई पार नहीं पा सकता !!!
....


5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व पोलियो दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-10-2018) को "प्यार से पुकार लो" (चर्चा अंक-3136) (चर्चा अंक-3122) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. सच ही तो है ...
    माँ की ममता से सब कुछ पार लग जाता है ...
    दिल को छूते शब्द ...

    जवाब देंहटाएं

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....