बुधवार, 26 सितंबर 2018

तर्पण करता मन !!!!

तर्पण करता मन
जब भी
भावनाओं की अँजुरी से
गंगाजल के साथ
कुछ बूँदें नयनों से भी
आ मिलतीं
पलकों की मुंडेर पे
कितने पलों को
भीगते देखा है हर बार
पितृपक्ष में पापा !!!
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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....