शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016

बासन्‍ती पर्व कहलाऊंगा !!!!

बसंत पंचमी को
माँ सरस्‍वती का वंदन
अभिनन्‍दन करते बच्‍चे आज भी
विद्या के मन्दिरों में
पीली सरसों फूली
कोयल कूके अमवा की डाली
पूछती हाल बसंत का
तभी कुनमुनाता नवकोंपल कहता
कहाँ है बसंत की मनोहारी छटा
वो उत्‍सव वो मेले
सब देखो हो गये हैं कितने अकेले
मैं भी विरल सा हो गया हूँ
उसकी बातें सुनकर
डाली भी करूण स्‍वर में बोली
मुझको भी ये सूनापन
बिल्‍कुल नहीं भाता!
...
विचलित हो बसंत कहता
मैं तो हर बरस आता हूँ
तुम सबको लुभाने
पर मेरे ठहरने को अब
कोई ठौर नहीं
उत्‍सव के एक दिन की तरह
मैं भी पंचमी तिथि को
हर बरस आऊंगा
तुम सबके संग माता सरस्‍वती के
चरणों में शीष नवाकर
बासन्‍ती पर्व कहलाऊंगा !!!!
...


5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    माँ शारदा को नमन
    उन्हीं की कृपा से
    कलम..लिख सकती है
    कुछ सही..और
    कुछ गलत भी
    मैं इन्तजार कर रही हूँ

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया रचना ।

    मेरी २००वीं पोस्ट में पधारें-

    "माँ सरस्वती"

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर और सटीक वासंती अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर और सटीक वासंती अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर पंक्तियाँ , बसंत का निर्भीक वर्णन

    जवाब देंहटाएं

ब्लॉग आर्काइव

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....