बुधवार, 19 सितंबर 2012

वो बनकर आंसू बिखर गया ...

ये बिखराव कैसा है
जिसे समेटने के लिए
मेरी हथेलियां दायरे बनाती हैं
फिर कुछ समेट नहीं पाने का
खालीपन लिये
गुमसुम सी मन ही मन आहत हो जाती हैं
अनमना सा मन
ख्‍यालों के टुकड़ों को
उठाना रखना करीने से लगाना
सोचना आहत होना
फिर ठहर जाना
....

मन का भारी होना जब भी
महसूस किया
तुम्‍हारा ही ख्‍याल सबसे पहले आया
तुम कैसे जीते हो हरपल
बस इतना ही सोचती तो
मन विचलित हो जाता
इक टूटे हुए ख्‍याल ने आकर
मुझसे ये पूछ लिया
इन टुकड़ों में तुम भी बंट गई हो
मैं मुस्‍करा दी जब आहत भाव से
वो बनकर आंसू
बिखर गया मेरी हथेलियों में

31 टिप्‍पणियां:

  1. मन को बचाये रखना है तो आँसू बहा देने होंगे।

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  2. वाह सदा जी बेहद भावपूर्ण रचना, गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
    अरुन = www.arunsblog.in

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  3. मुझसे ये पूछ लिया
    इन टुकड़ों में तुम भी बंट गई हो
    सुन्दर रचना की सुन्दर पंक्ति
    दीदी सच में कमाल की हो आप
    सादर

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  4. मन की वेदना आँसुओं मे बह गयी

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  5. आँसु नही वेदना का सैलाब था जो बहा..चलो मन तो हल्का हुआ...

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  6. गुमसुम रहता मन तभी,जाता है दिल टूट
    वेदना आँसू बनते ,साथी जाता छूट,,,,,,,

    गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं,,,,
    RECENT P0ST फिर मिलने का

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  7. बहुत सुंदर लिखा, मन के अंतर्भावों को जिस तरह से प्रस्तुत किया भा गया.

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  8. मन को छू जाती बहुत सुन्दर रचना...

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  9. आँसू बहने से हमेशा दुख कम तो नहीं होता लेकिन फिर भी इन आँसुओं का बह जाना ही अच्छा है बहुत ही सुंदर दिल को छूती हुई भावपूर्ण अभिव्यक्ति....

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  10. बहुत सुंदर पंक्तियाँ दर्द में डूबी हुईं..

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  11. जैसे दिए की लौ को आंधी से बचने के लिए हथेलियों का घेरा बनाया जाता है बस आपने भी बना लिया हथेलियों को समेत लीजिये ख्यालों को अंजुरी में

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  12. जैसे दिए की लौ को आंधी से बचाने के लिए हथेलियों का घेरा बनाया जाता है बस आपने भी बना लिया हथेलियों को समेट लीजिये ख्यालों को अंजुरी में

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  13. बहुत सुंदर कविता. एक एक शब्द कुछ अलग भाव जगाता है.

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  14. एक तसव्वुर को कागज़ पे उतारा है आपने ,
    समेटा है एक मानसिक कुन्हासे को ,
    भागते खयालात को ,
    चोर की लंगोटी ही सही ....

    बहुत बढ़िया मानसी सृष्टि की है इस रचना में आपने .

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  15. आपकी कवितायें हमेशा ही बेहतरीन होती है...भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति।।।

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  16. आँसुओं का बह जाना ही अच्छा...अलग तरह की अभिव्यक्ति !!

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  17. अनमना सा मन
    ख्‍यालों के टुकड़ों को
    उठाना रखना करीने से लगाना
    सोचना आहत होना
    फिर ठहर जाना

    सुंदर प्रस्तुति

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  18. मन का भारी होना जब भी महसूस किया..
    तुम्‍हारा ही ख्‍याल सबसे पहले आया!!
    Sundar abhivyakti didi..

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  19. बिखराव का सिलसिला शुरू होने पे मुश्किल ही रुकता है ... दिल में दर्द सा उठता है ...
    गहरे समेटा है इस दर्द को शब्दों में ...

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  20. बहुत खुबसूरत प्रस्तुति |
    बधाइयां -

    कुछ पंक्तियाँ
    सादर
    इन टुकड़ों में तुम भी बंट गई हो
    मैं मुस्‍करा दी जब आहत भाव से
    वो बनकर आंसू
    बिखर गया मेरी हथेलियों में
    ............ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

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  21. आँखों से गिरते अश्कों को अपनी मुट्ठी में सहेज लीजिए ...

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  22. बहुत ही तरल भाव ,बहती हुई सी अभिव्यक्ति ।

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  23. बहुत सुन्दर...
    वो बनकर आंसू
    बिखर गया मेरी हथेलियों में..............

    और मैंने घबराकर मट्ठियाँ बंद कर लीं.....
    आह...लगता है कुछ चुभा...
    सस्नेह
    अनु

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  24. इक टूटे हुए ख्‍याल ने आकर
    मुझसे ये पूछ लिया
    इन टुकड़ों में तुम भी बंट गई हो
    मैं मुस्‍करा दी जब आहत भाव से
    वो बनकर आंसू
    बिखर गया मेरी हथेलियों में

    रोने-हँसने के दो भावों में घिरे मन का सुंदर वर्णन. बहुत खूब.







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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....