शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

क्‍या कहूँ अब इन यादों को ... !!!














वो आज रूठा है यादों से
गुस्‍से से बोला
निकम्‍मी हैं ये तो
जब भी छुट्टी होती है
सोचता हूँ आज तो जी भर के सोना है
पर कहां आज तो आंखे रोज से पहले ही
तरोताज़ा हो गईं
यादें ले आईं सवेरे-सवेरे
एक फीकी सी बेड टी
मैं करवट बदल - बदल कर उसे अनदेखा करता  रहा
कानों में एक धीमी फुसफुसाहट सी हुई
ठंडी हो जाऊंगी तो बेस्‍़वाद लगूंगी
....
उफ् तुम्‍हें पता है हफ्तें भर की भागमभाग के बाद
ये संडे कितना प्‍यारा लगता है
एक भरपूर नींद हो कुछ ख्‍वाब हों
बस कोई खल़ल डालने वाला न हो
यादों का सुबह से आ धमकना
सच इन यादों की जगह
तुम होती तो
ये फीकी सी बेड टी भी मीठी लगती
हम मिलकर कुछ यादों का
एक स्‍पेशल बुके तैयार करते
कुछ यादों को साथ शेअर कर खिलखिलाते
कुछ को गुनगुनाते गीत की तरह
कुछ पलों को बनाते हम भी इक याद
कहते - कहते वो बड़बड़ा उठा
लो इन निकम्‍मी यादों ने मुझे भी
निकम्‍मा कर दिया :)
क्‍या कहूँ अब इन यादों को ... !!!


30 टिप्‍पणियां:

  1. वाह....
    बहुत सुन्दर........
    सस्नेह

    अनु

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  2. फीकी सी बेड टी भी मीठी लगती !
    क्या खूब!

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  3. क्या कहा जा सकता है …………सिवाय मुस्कुराने के :)

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  4. हम मिलकर कुछ यादों का
    एक स्‍पेशल बुके तैयार करते
    कुछ यादों को साथ शेअर कर खिलखिलाते

    मन को छू लेने वाली रचना......

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया ।

    सादर अभिनन्दन ।।

    जवाब देंहटाएं
  6. इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
    वरना हम भी आदमी थे काम के !

    सच इन यादों की जगह
    तुम होती तो ...

    मेरी कविता तो यहीं पर पूरी हो गई सदा जी !

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  7. ये संडे कितना प्‍यारा लगता है
    एक भरपूर नींद हो कुछ ख्‍वाब हों
    बस कोई खल़ल डालने वाला न हो .... सप्ताह भर की थकान उतारनी होती है , और खलल से .... मन थक जाता है

    जवाब देंहटाएं
  8. यह भी तो देखिये जनाब ,की यादों की उम्र कितनी लम्बी होती है,शायद अपनी ज़िन्दगी से भी ज्यादा, और हर याद का एक अपना अलग अंदाज
    बहुत ही खूबसूरत कविता

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  9. यादें भी तो संडे को ही आएँगी न...फुरसत में:)

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  10. बहुत अच्छी रचना...सचमुच कोई साथ दे न दे लेकिन गुजरे दिनों की यादें हमेशा साथ देती हैं. वही जिंदगी का सरमाया होती हैं.

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  11. सही है सारे फसाद कि जड़ यह मुई यादें ही तो है :)सुंदर भाव संयोजन...

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  12. अब क्या कहें बेहतरीन रचना...
    यादें तो बस यादें होती हैं...

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  13. :):) यादों मेँ रचे बसे प्यारे से लम्हे ...

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  14. यादों के कोमल संसार की सारी खूबियाँ यह कविता कह जाती है. सुंदर अहसासों की रचना.

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  15. बस ये यादें ही तो हैंजो सोने नही देती ..सुन्दर अहसास..

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  16. लो इन निकम्‍मी यादों ने मुझे भी
    निकम्‍मा कर दिया :)
    क्‍या कहूँ अब इन यादों को ... !!!
    Sach....kabhee socha hee nahee tha ki yaden bhee nikamma kar detee hain!

    जवाब देंहटाएं
  17. हम मिलकर कुछ यादों का
    एक स्‍पेशल बुके तैयार करते
    कुछ यादों को साथ शेअर कर खिलखिलाते
    कुछ को गुनगुनाते गीत की तरह


    सुन्दर एहसासों से भरी प्यारी सी कविता
    आभार

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  18. यादों का प्रभाव संबंद्ध घटनाओं से कहीं अधिक होता है।

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  19. लो इन निकम्‍मी यादों ने मुझे भी
    निकम्‍मा कर दिया :)
    क्‍या कहूँ अब इन यादों को ... !!!

    यादों का सिलसिला ऐसा ही है.

    जवाब देंहटाएं
  20. आज 16/07/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  21. जब भी छुट्टी होती है
    सोचता हूँ आज तो जी भर के सोना है
    पर कहां आज तो आंखे रोज से पहले ही
    तरोताज़ा हो गईं

    बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट।

    जवाब देंहटाएं

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....