शब्दो का अलाव
मत जलाओ इनकी जलन से
तुम्हारे मन की तपिश
शीतलता में नहीं बदलेगी
जो शब्द अधजले हैं
उनके धुंए से
दम घुट जाएगा
भावनाओं को आंच पर
जिस किसी ने भी रखा है
उसकी तपिश से वह भी
सुलग गया है भीतर ही भीतर
इन भावनाओं की
समझ तो है न तुम्हें
ये जितना दुलार देती हैं
जितना समर्पण का भाव रखती हैं
हृदय में उतनी ही निष्ठुर भी हो जाती हैं
इनका निष्ठुर होना मतलब
पूरी तरह तुमसे मुँह फेर लेना
....
भावनाओं को जानना है तो
जिन्दगी से पूछना
बड़ा ही प्यारा रिश्ता होता है
इनका जिन्दगी के साथ
ये जन्म से ही आ जाती हैं साथ में
फिर मरते दम तक
हमारी होकर रह जाती हैं
हमारे दुख में दुखी तो
हमारी खुशी में खुश रहना
इनकी फि़तरत होती है
...
इनका समर्पण रूह तय करती है
प़ाक लिब़ास में लिपटी
भावनाएं जैसे मां के आंचल में
कोई अबोध शिशु
बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
जिसकी जैसी नज़र होती है
बिल्कुल वैसे ही दिखती हैं ये भावनाएं भी ...!!!
कोई अबोध शिशु
जवाब देंहटाएंबस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
जिसकी जैसी नज़र होती है
बिल्कुल वैसे ही दिखती हैं ये भावनाएं भी ...!!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,
सुंदर रचना,भाव बहुत अच्छे लगे,...सदा जी...
MY RECENT POST.....काव्यान्जलि.....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
भावनाओं को जानना है तो
जवाब देंहटाएंजिन्दगी से पूछना
बड़ा ही प्यारा रिश्ता होता है
इनका जिन्दगी के साथ
ये जन्म से ही आ जाती हैं साथ में
फिर मरते दम तक
हमारी होकर रह जाती हैं
हमारे दुख में दुखी तो
हमारी खुशी में खुश रहना
इनकी फि़तरत होती है
colour of life is such abeautiful and childish.
शब्दो का अलाव
जवाब देंहटाएंमत जलाओ
इनकी जलन से
तुम्हारे मन की तपिश
शीतलता में नहीं बदलेगी
जो शब्द अधजले हैं
उनके धुंए से
घुट जायेगा दम .... माना घुटता है दम पर शब्दों की यज्ञ अग्नि में कितना कुछ जल जाता है , और मिलता है एक निर्वाण
sundar bhavon ki abhivyakti .aabhar
जवाब देंहटाएंLIKE THIS PAGE AND WISH INDIAN HOCKEY TEAM FOR LONDON OLYMPIC
भावनाएं जैसे मां के आंचल में
जवाब देंहटाएंकोई अबोध शिशु
बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
जिसकी जैसी नज़र होती है
बिल्कुल वैसे ही दिखती हैं ये भावनाएं भी ........गहन भावों को बहुत् खुबसूरत शब्दों से पिरो दिया है.....बहुत सुन्दर सदा जी..
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
सुभानाल्लाह कितनी गहन है पोस्ट.....बेहतरीन और लाजवाब......हैट्स ऑफ इसके लिए।
जवाब देंहटाएंसदा जी!
जवाब देंहटाएंभावनाओं को शब्द देना और शब्दों की भावनाओं को अभिव्यक्ति देना यह आपकी विशेषता है.. जितनी आसानी से आप अपनी बात कह देती हैं, उन्हें दिल में उतरने में तनिक भी समय नहीं लगता.. परमात्मा आपकी कविताओं को संजीदगी का शिखर प्रदान करे!!
सक्स्च कहा है तभी हर कोई नहीं समझ पाता भावनाओं कों ... पाक और सच्ची नज़र चाहिए देखने वाले के पास ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएं--
आज चार दिनों बाद नेट पर आना हुआ है। अतः केवल उपस्थिति ही दर्ज करा रहा हूँ!
भावनाएं जैसे मां के आंचल में
जवाब देंहटाएंकोई अबोध शिशु
यकीनन, कभी किलकारियां मारता हुआ तो कभी रूदन करता हुआ
bahut sunder varnan kiya shabdo k aur bhawnaao k roop,gun ka.
जवाब देंहटाएंvaah!bahut sunder...jiski jaisi bhaavna vaisa hi sansaar
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहमारी जिन्दगी ...हमारी भावनाओं से मिल के खेलती है !!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अहसास ....
एक अपील ...सिर्फ एक बार ?
इनका समर्पण रूह तय करती है
जवाब देंहटाएंप़ाक लिब़ास में लिपटी
भावनाएं जैसे मां के आंचल में
कोई अबोध शिशु
बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
जिसकी जैसी नज़र होती है
बिल्कुल वैसे ही दिखती हैं ये भावनाएं भी ...!!!बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......
अच्छी कविता है। अवगत हुआ आपकी भावनाओं से भी।
जवाब देंहटाएंप़ाक लिब़ास में लिपटी
जवाब देंहटाएंभावनाएं जैसे मां के आंचल में
कोई अबोध शिशु
बड़ा अच्छा लगा यह प्रयोग! कविता के भाव भी मन को भाए।
बिलकुल ठीक कहा आपने जिसकी जैसी नज़र उसे वैसे ही नज़र आती हैं यह भावनायें...बहुत बढ़िया भाव संयोजन से सजी सार्थक प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंIntense and profound. The poem present many facets of life...
जवाब देंहटाएंभावनाएं जैसे मां के आंचल में
जवाब देंहटाएंकोई अबोध शिशु
बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
जिसकी जैसी नज़र होती है
बिल्कुल वैसे ही दिखती हैं ये भावनाएं भी ...!!!
सच ...ऐसी ही होती हैं भावनाएं..... सुंदर रचना
प़ाक लिब़ास में लिपटी
जवाब देंहटाएंभावनाएं जैसे मां के आंचल में
कोई अबोध शिशु !
निर्दोष या कुटिल भावनाएं , कई बार अपने मन का दोष हो जाता है ....जांकी रही भावना जैसी !
बहुत सुंदर सदा,,,,,,,,
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी अभिव्यक्ति.
सस्नेह.
जिसकी जैसी नज़र होती है
जवाब देंहटाएंबिल्कुल वैसे ही दिखती हैं ये भावनाएं भी ...!!!ekdam solah aane sach....
इनका समर्पण रूह तय करती है
जवाब देंहटाएंप़ाक लिब़ास में लिपटी
भावनाएं जैसे मां के आंचल में
कोई अबोध शिशु
बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
जिसकी जैसी नज़र होती है
बिल्कुल वैसे ही दिखती हैं ये भावनाएं भी ...!!!
जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी …………अति उत्तम अभिव्यक्ति
भावनाओं और ज़िंदगी का रिश्ता .... बहुत सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंशब्दो का अलाव
जवाब देंहटाएंमत जलाओ इनकी जलन से
तुम्हारे मन की तपिश
शीतलता में नहीं बदलेगी
जो शब्द अधजले हैं
उनके धुंए से
दम घुट जाएगा
गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ... हार्दिक बधाई
शब्द भी तो मन की तपन से ही निकलते हैं, हर बार और प्रखर हो
जवाब देंहटाएंभावनायों की अभिव्यक्ति बेहद संजीदगी से बयान कर गई ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावमय अभिव्यक्ति ...आभार
जवाब देंहटाएंभावनाओं को बहुत गहराई से समझा है...बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंsada ji----ye panktiyan bahut bahut hi sateek lagin
जवाब देंहटाएंइनका समर्पण रूह तय करती है
प़ाक लिब़ास में लिपटी
भावनाएं जैसे मां के आंचल में
कोई अबोध शिशु
बस उतनी ही अबोध होती हैं ये भी
जिसकी जैसी नज़र होती है
बिल्कुल वैसे ही दिखती हैं ये भावनाएं भी ...!
bahut bahut hi behtreen prastuti
hardik badhai
poonam
बेहतरीन .......
जवाब देंहटाएंशब्दो का अलाव और अधजले शब्द मन में खलिश जरूर पैदा करते है. सुंदर कविता बेहतरीन शब्द सयोजन के साथ.
जवाब देंहटाएंबधाई और शुक्रिया.
भावनाओं को जानना है तो
जवाब देंहटाएंजिन्दगी से पूछना
बड़ा ही प्यारा रिश्ता होता है
इनका जिन्दगी के साथ!
...बहुत सुन्दर रचना!