जब भी कुछ लिखती हूँ
मन को सुकून देने के लिए
जाने क्यूँ दिल में
ये अहसास होता कहीं
मैं तुमसे शिकायत तो नही कर रही
तुम्हें पता चलेगा तो
तुम्हारा मन दुखी होगा
ऐसे ही जाने कितने पन्नों की
मैने जिन्दगी छीन ली
कितनी रचनाओं का कत्ल कर डाला
क्या कुसूर था सोचती हूं तो
यह ख्याल ज़ेहन में आता है
जो वक़्त की किताब में पढ़ा था बस
उन्हें ही तो उतारा था हू-ब-हू
पर एक दिन
तुमने ही कहा था न
लिखा हुआ सुबूत होता है
बस इसी घबराहट में आकर
मैने इन्हें जीवन दान नहीं दिया
...
कोई ऐसा सुबूत
जो तुम्हारे सामने आए
मेरे वज़ूद की निशानी की तरह
नहीं रहने देना चाहती
नहीं कहना चाहती
तुमसे कुछ ऐसा जिसे सुनकर
तुम्हारा मन खराब हो
कुछ पन्ने आज़ भी गव़ाह हैं हमारी
हँसी के .. कुछ बेबसी के ... कुछ खाम़ोशी के
पर इन सबके बीच
एक खा़ली पन्ना भी है जिसे इन्त़ज़ार है
कौन पहल करेगा
एक दूसरे को मनाने की
दोनो ही नाराज़ हैं एक दूसरे से
या फिर अपने आप से
अभी ये तय होना बाक़ी है ... !!!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार ||
बहुत सुन्दर भावपूर्ण..रचना....
जवाब देंहटाएंकौन पहल करेगा
जवाब देंहटाएंएक दूसरे को मनाने की
दोनो ही नाराज़ हैं एक दूसरे से
या फिर अपने आप से
अभी ये तय होना बाक़ी है ... !!!
अति सुंदर भाव पुर्ण अभिव्यक्ति ,...
MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
ये तो घर है प्रेम का खाला का घर नाहिं
जवाब देंहटाएंसीस उतारे भुईं धरे तब बैठे घर माहिं ॥
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
superb ...
जवाब देंहटाएंवाह................
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.................
सस्नेह.
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति है सदा दी ...शुरू से आखिर तक कविता के साथ बंधा रहा
जवाब देंहटाएंये पहल की जिद ये खामोशी की जुबाँ
जवाब देंहटाएंना तुम्हारी खता ना हमारी खता
हर आलेख ली सार्थकता होती है सदाजी ,आपकी भवों की अभिव्यक्ति मुझे पसंद आई |
जवाब देंहटाएंकुछ और जमाना कहता है कुछ और है जिद्द मेरे दिल की ,
मैं बात जमाने की मानून या बात सुनूँ अपने दिल की|
मेरा ख्याल है दिल की सदा सुनी जाये |
मन को लिख देना आवश्यक है, लिख देने से मन हल्का हो जाता है, शिकायत डायरी में दर्ज हो जाती है।
जवाब देंहटाएंकौन पहल करेगा
जवाब देंहटाएंएक दूसरे को मनाने की
दोनो ही नाराज़ हैं एक दूसरे से
या फिर अपने आप से
अभी ये तय होना बाक़ी है ... !!!
...कोमल अहसासों की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति....
इसी पहले आप, पहले आप में, अक्सर गाड़ी छूट जाती है और वक्त हाथ से निकल जाता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव संयोजन से सजी भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
कौन पहल करेगा
जवाब देंहटाएंयह तो शाश्वत प्रश्न है ...
बहुत बढ़िया । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंएक खा़ली पन्ना भी है जिसे इन्त़ज़ार है
जवाब देंहटाएंकौन पहल करेगा
एक दूसरे को मनाने की
दोनो ही नाराज़ हैं एक दूसरे से
या फिर अपने आप से
अभी ये तय होना बाक़ी है ... !!!bhaut hi khubsurat alfaazo ko piro diya aapne....
पर इन सबके बीच
जवाब देंहटाएंएक खाली पन्ना भी है जिसे इन्तजार है
कौन पहल करेगा
एक दूसरे को मनाने की
दोनों ही नाराज़ हैं एक दूसरे से
या फिर अपने आप से
अभी यह तय होना बाकी है.
क्या गज़ब की नज़्म कही है आपने सदा जी! वाह!
"पर इन सबके बीच
जवाब देंहटाएंएक खा़ली पन्ना भी है..."
बस रच जाए ज़िन्दगी उसमे!!
बहुत सुन्दर
सादर
दोनो ही नाराज़ हैं एक दूसरे से
जवाब देंहटाएंया फिर अपने आप से
संबंधों में यह निर्णय करना कठिन होता है कि नाराज़गी किस बात की है. संभव है नाराज़गी किसी तीसरे से या फिर तीसरे पन्ने से हो कि इस पर कुछ लिखा क्यों नहीं जाता.
रचना संबंधों की कसमसाहट से अटी पड़ी है. सुंदर कविता.
ye khalipana bhee ajeeb hota hai isame kitana kuch jee lete hain narajagee bhee aur pyar bhe
जवाब देंहटाएंएक खा़ली पन्ना भी है जिसे इन्त़ज़ार है
जवाब देंहटाएंकौन पहल करेगा
एक दूसरे को मनाने की ...
इस खाली पन्ने कों प्रेम के रंगों से जितना जल्दी भर दिया जाए उतना ही अच्छा है ... नहीं तो समय की स्याही कालख पोंछ जाती है ...
जब किसी से कोई गिला रखना...
जवाब देंहटाएंसामने अपने आइना रखना...
खुद को खुश रखना ज़रूरी है...रूठने-मनाने का समय ही कहाँ है...
कोई ऐसा सुबूत
जवाब देंहटाएंजो तुम्हारे सामने आए
मेरे वज़ूद की निशानी की तरह
नहीं रहने देना चाहती
पहल कौन करेगा ... शायद तुमको ही करनी पड़ेगी पहल .. ॥सुंदर रचना ॥
प्यार की उम्र सिर्फ दो घडी है
जवाब देंहटाएंलड़ने को उम्र सारी पड़ी है ...
शुभकामनाएँ!