आज मैने कुछ उदासियों को
कमरे में आने नहीं दिया
यादें बिखरी थीं
हर तरफ मैने उन्हें
खुद से दूर
कहीं जाने नहीं दिया
...
एक वो लम्हा
जिसमें तुमने मेरी जिद पर
गाया था गाना
मुझसे कहा था अपना मुँह
दीवार की तरफ कर लो
मैने कहा चलो गनीमत है
कान में उंगली डालने को नहीं कहा :)
याद करके अकेले में भी
हँसी बिखर गई कमरे में चारो तरफ
...
गुज़रा हुआ हर लम्हा
यादों के कमरे में
देता है दस्तक़
तभी झांकती है इक
अलसायी सी याद
ये कहतें हुए
आज सूरज़ को मेरे कमरे में
आने मत देना
आ भी जाए ये जिद से
तो मुझे जगाने मत देना .
सुबह का सपना सच होता है !
मुझे अपना सपना
सच होते हुए देखना है !!!
...
मुझसे कहा था अपना मुँह
जवाब देंहटाएंदीवार की तरफ कर लो
मैने कहा चलो गनीमत है
कान में उंगली डालने को नहीं कहा :)
वाह...अद्भुत रचना है...बधाई स्वीकारें...
नीरज
आज मैने कुछ उदासियों को
जवाब देंहटाएंकमरे में आने नहीं दिया
यादें बिखरी थीं
हर तरफ मैने उन्हें
खुद से दूर
कहीं जाने नहीं दिया
adbhud rachna ,super....
http://blondmedia.blogspot.in/
सुबह का सपना सच होता है !
जवाब देंहटाएंमुझे अपना सपना
सच होते हुए देखना है !!!
Bhagwaan kare aapka har sapna sach ho!
आज सूरज़ को मेरे कमरे में
जवाब देंहटाएंआने मत देना
आ भी जाए ये जिद से
तो मुझे जगाने मत देना .
सुबह का सपना सच होता है !
मुझे अपना सपना
सच होते हुए देखना है !!!......ईश्वर आप का हर सपना सच करे........
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंउफ़ क्या चाहत है क्या सपना है क्या हसरत है………आह!
जवाब देंहटाएंआज मैने कुछ उदासियों को
जवाब देंहटाएंकमरे में आने नहीं दिया
यादें बिखरी थीं
हर तरफ मैने उन्हें
खुद से दूर
कहीं जाने नहीं दिया
बहुत ही सुन्दर .....शानदार ।
स्मृतियाँ गुदगुदायें तो पर अश्रु न ढुलकायें..
जवाब देंहटाएंsapne sach ho sab ..bahut sundar rachna
हटाएंसूक्ष्म विभक्त किया आपने यादों और उदासियों को!! अनुत्तर!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति आपकी, बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंयादों का सिलसिला जब चलता है तो ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
वाह बहुत ही बढ़िया भाव संयोजन से सजी बहुत सुंदर रचना आभार....
जवाब देंहटाएंआज मैने कुछ उदासियों को
जवाब देंहटाएंकमरे में आने नहीं दिया
यादें बिखरी थीं
हर तरफ मैने उन्हें
खुद से दूर
कहीं जाने नहीं दिया
खुशनुमा यादों को समेट कर ही रखना अच्छा होता है...बेहतरीन!!
आज मैने कुछ उदासियों को
जवाब देंहटाएंकमरे में आने नहीं दिया
यादें बिखरी थीं
हर तरफ मैने उन्हें
खुद से दूर
कहीं जाने नहीं दिया.सब कुछ कह गयी ये पंक्तिया....... बहुत ही खूबसूरती स वयक्त किया है मन के भावो को.......
मीठी यादों को करीब ही रखें..सुंदर रचना सदा जी. :)
जवाब देंहटाएंगुज़रा हुआ हर लम्हा
जवाब देंहटाएंयादों के कमरे में
देता है दस्तक़ ... bahut hi achhi rachna
बहुत ख़ूबसूरत रचना..
जवाब देंहटाएंये भी खूब कही...सपने भी अपनी इच्छा से देख पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है...सुबह ही तो नींद आती है...
जवाब देंहटाएंगुज़ारे हुए लम्हों में, बीती हुयी यादों में कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें याद करना बड़ा सुखद होता है.. सुबह के सपने सच होने से पहले एक बार फिर सोचकर देखिये कि सपने टूटने का दर्द और उसके पूरा होने के बीच के फासलों में जीना मुमकिन हो पायेगा!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ख़याल हैं!!
कुछ ऐसे लमहे होते हैं जो गुज़र के भी ठहर जाते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत एहसास ... सपने सच हों ...
जवाब देंहटाएंगुज़रा हुआ हर लम्हा
जवाब देंहटाएंयादों के कमरे में
देता है दस्तक़
तभी झांकती है इक
अलसायी सी याद
ये कहतें हुए
आज सूरज़ को मेरे कमरे में
गुजरे लम्हों की बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
वाह ... क्या बात है ... किसी की यादों का जंगल ... सच में बाहर निकलने का मन नहीं करता ...
जवाब देंहटाएंआपको एक पढना सुखद अनुभव है . . काश कभी खतम न होती आपकी कविता
जवाब देंहटाएंआज सूरज़ को मेरे कमरे में
जवाब देंहटाएंआने मत देना
आ भी जाए ये जिद से
तो मुझे जगाने मत देना
खुबसूरत लोग ही खुबसूरत बातें कहते हैं और जो लोग खुबसूरत सोचतें है उनके खयालातों को बेहतरीन लफ्ज़ मिलते हैं .
ये मैं नहीं मेरे मालिक मेरे बुज़ुर्ग कहते हैं . सुन्दर एहसास ...............
कोमल भावों को समेटे हुए ....
जवाब देंहटाएंदिल को छू लेनेवाले जज्बात..
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन हृदयस्पर्शी रचना :-)