मैं हारी नहीं हूं
कदमों में थकान भी नहीं है
तन शिथिल भी नहीं हुआ है
मन निरूत्साहित भी नहीं है
पर मैं अब
जीतना नहीं चाहती किसी के मन को
मैं इन बातों से परे एक
अलग दुनिया में
लगाना चाहती हूं
अपने उत्साह को
अपनी ऊर्जा को
अपने साहस को
बोना चाहती हूं बीज विश्वास के
जहां परम्पराओं के जल
के सिंचन की आवश्यकता न होती हो
विचारों की शुद्धता के लिए
आस्थाओं पर कुठाराघात न किया जाता हो
कुल के दीपक के नाम पर
वंश की बेल को बढ़ाने के लिए
बेटियों की बलि न चढ़ाई जाती हो
ज्ञान के अर्जन के लिए
पोथियों को पाठ नहीं बल्कि
ढाई अक्षर का जीवन दर्शन दिखलाना चाहती हूं
कहो अब
क्या तुम्हें मेरे साथ चलने में खुशी होगी ?
या दिशा बदलकर
तुम भी पूर्व पथ का अनुगमन करना चाहोगे
याद रखो परिवर्तन सृष्टि का नियम है
जो होकर रहेगा
मैने नहीं बोया तो कोई बात नहीं
एक न एक दिन वक्त ये बीज़ बोकर रहेगा ...!!!
बोना चाहती हूं बीज विश्वास के
जवाब देंहटाएंजहां परम्पराओं के जल
के सिंचन की आवश्यकता न होती हो
विचारों की शुद्धता के लिए
आस्थाओं पर कुठाराघात न किया जाता हो
कुल के दीपक के नाम पर
वंश की बेल को बढ़ाने के लिए
बेटियों की बलि न चढ़ाई जाती हो
ज्ञान के अर्जन के लिए
पोथियों को पाठ नहीं बल्कि
ढाई अक्षर का जीवन दर्शन दिखलाना चाहती हूं
सार्थक सोच ... परम्पराओं के नाम पर अब अंकुरण नहीं होना चाहिए ... परिवर्तन ज़रूर होगा ... सुंदर रचना
बदलेगा वक़्त जरुर .बहुत अच्छी कविता है
जवाब देंहटाएंयाद रखो परिवर्तन सृष्टि का नियम है
जवाब देंहटाएंजो होकर रहेगा
मैने नहीं बोया तो कोई बात नहीं
एक न एक दिन वक्त ये बीज़ बोकर रहेगा ...!!!... aasha mein hi sanchaar hai
आपकी कविता हमेशा मन-मस्तिष्क में एक नया संचार कर देती है...
जवाब देंहटाएंRegards.......
बीज तो बोया जा चुका है, पेड़ पल्लवित होकर रहेगा।
जवाब देंहटाएंpallavit aashamai sundaror sarthak...
जवाब देंहटाएंहैट्स ऑफ इसके लिए....अंतिम पंक्तियाँ तो लाजवाब हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
वे पुरातन पथ जिनपर अब सिर्फ कांटे ही रह गए हों, वे पुरातन मान्यताएं जिनमें दीमक लग चुकी हो.. उन्हें बिलकुल त्याग देना चाहिए.. क्रान्ति के बीज यूँ ही प्रस्फुटित होते हैं..
जवाब देंहटाएंआने वाले कल के लिए एक उत्साह भरा आह्वान!!
जो होकर रहेगा
जवाब देंहटाएंमैने नहीं बोया तो कोई बात नहीं
एक न एक दिन वक्त ये बीज़ बोकर रहेगा ...!!!
.....बहुत सच लिखा आपने.
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
ज़रूर !..हमें भी यही विश्वास है ,...
जवाब देंहटाएंमैने नहीं बोया तो कोई बात नहीं
जवाब देंहटाएंएक न एक दिन वक्त ये बीज़ बोकर रहेगा ..
वाह !!!!!! बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...
बीज बोते हैं -
जवाब देंहटाएंविश्वास करते हैं -
वृक्ष बनेगा ।।
उम्मीद की बेहतरीन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंये ढ़ाई आखर जो सीख ले, उसी में उसकी सार्थकता है। एक सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंNyC woRk . . . ! :)
जवाब देंहटाएंबोना चाहती हूं बीज विश्वास के
जवाब देंहटाएंजहां परम्पराओं के जल
के सिंचन की आवश्यकता न होती हो
विचारों की शुद्धता के लिए
आस्थाओं पर कुठाराघात न किया जाता हो
प्रभावित करती पंक्तियाँ...... बहुत उम्दा
परिवर्तन के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए...ये बीज सही समय आने पर स्वयं विकसित हो जायेगा...
जवाब देंहटाएंहर बीज के साथ एक परिवर्तन पैदा होता है. हम सभी परिवर्तन के बीज हैं. सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.....अंतिम पंक्तियों ने तो मन मोह लिया।
जवाब देंहटाएंऐसा समय जरूर आएगा ... सब कुछ तो एक सा नहीं रहता ...
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब रचना ...
अनुकरणीय भाव समेटे सार्थक कविता। ...शुक्रिया इसे पोस्ट करने के लिए।
जवाब देंहटाएंएक न एक दिन वक्त ये बीज़ बोकर रहेगा ...!!!
जवाब देंहटाएंप्रेरक और संकल्पयुक्त रचना
बहुत ही सुंदर भाव संयोजन अंतिम पंक्तियों ने समा बाँध दिया सकरात्म्क सोच लिए सार्थक अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!!
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक रचना, आमीन - ऐसा ही हो!!
जवाब देंहटाएंसादर
याद रखो परिवर्तन सृष्टि का नियम है
जवाब देंहटाएंजो होकर रहेगा
मैने नहीं बोया तो कोई बात नहीं
एक न एक दिन वक्त ये बीज़ बोकर रहेगा ...!!!
....लाज़वाब अहसास और उनकी प्रभावी अभिव्यक्ति...बहुत सुंदर
पोथियों को पाठ नहीं बल्कि
जवाब देंहटाएंढाई अक्षर का जीवन दर्शन दिखलाना चाहती हूं
Sada ji bahut hi prabhavshali rachana likhi hai aap ne ....badhai ke sath hi mere blog pr amantran bhai sweekaren
आशा का संचार करती बहुत ही उत्कृष्ट रचना...
जवाब देंहटाएं