गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

यादों की हथेली को ....


















इक याद ने तेरी
हठ ठानी है
उसके आगे मेरी
हर बात हुई बेमानी है .... !
जरूर उसने कोई
काला जादू सीखा होगा :)
मैं कितना भी उसे  कहती
मुझको न यूँ आकर
अपने रंग दिखलाओ
कुछ यादों ने
अभी-अभी ही पलकें मूंदी हैं
उनको न जगाओ
कभी हिचकी  तो
कभी बेवज़ह खिलखिलाना
सोती हुई यादों को
गुदगुदाना ... !!
फ़कत इक लम्‍हा हँसी का  देकर
फिर खो जाना दूर कहीं
अचानक भरी भीड़ में सब के बीच
कभी चुपके से आ जाना
यादों की हथेली को
पलकों पे रख
धीमे से फुसफसाना
पहचानो मुझे ... !!!

40 टिप्‍पणियां:

  1. स्मृतियाँ यूँ ही दस्तक देती रहती हैं.... सुंदर रचना

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  2. उम्र चाहे जो भो हो .....
    यादोँ का काम है सुकून देन!
    शुभकामनाएँ!

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  3. यादें कहीं मानती है क्या ,आये बिना.....बड़ी जिद्दी होतीं हैं.....

    सुंदर भाव...

    सस्नेह.

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  4. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!....आभार!

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  5. बहुत बढ़िया यादों की सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  6. hmmm...kuch yaadein badi nalayak hoti hai...bin bulaye aa tapakti hai :)

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  7. कभी चुपके से आ जाना
    यादों की हथेली को
    पलकों पे रख
    धीमे से फुसफसाना
    पहचानो मुझे ... !!!
    ...........बहुत ही सुन्दर बहुत ही सुकून भरी पंक्तियाँ..!

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  8. वाह बहुत ही खुबसूरत ।

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  9. कभी चुपके से आ जाना
    यादों की हथेली को
    पलकों पे रख
    धीमे से फुसफसाना
    पहचानो मुझे ...
    sundar bhaav liye,behatariin rachana.

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  10. वाह, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..

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  11. ज़िन्दगी में हंसी-ठिठोली के ये दो चात क्षण बडे महत्वपूर्ण होते हैं।

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  12. ये यादें नहीं जाती ....
    शुभकामनायें आपको !

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  13. यादों की हथेली को
    पलकों पे रख
    धीमे से फुसफसाना
    पहचानो मुझे ... !!!
    बस यही तो यादों की आँख मिचौली होती है :)

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  14. यादें वैसे भी अंधियारे में एक प्रकाश की किरण की तरह होती है.. या फिर अनजान लोगों की भीड़ में किसी दोस्त की तरह.. बहुत ही हौले से दिल को छूने वाली कविता!!

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  15. यादें ऐसी ही होती है , भरी भीड़ में चुपके से आँखों पर हाथ रख आँख मिचौली खेलती है !
    मन को भिगोती कविता !

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  16. अनूठे शब्द और अद्भुत भाव से सजी इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें...

    नीरज

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  17. सुन्दर रचना। सहज अभिव्यक्ति। मन पर प्रभाव
    छोड़ने वाली प्रस्तुति।

    आनन्द विश्वास

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  18. मेरे पास शब्द नहीं
    कि
    प्रतिक्रिया दे सकूं
    मौन भावनाएँ अर्पित है
    सादर
    यशोदा

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  19. छोटी छोटी घटनाएँ भी कितनी संवेदना जगाती है यह आपकी कविता दर्शाती है. बधाई इस सुंदर प्रस्तुति के लिये.

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  20. इक याद ने तेरी
    हठ ठानी है

    इन चार शब्दों में ही पूरी कहानी है....

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  21. बहुत ही प्यारी रचना है... मन में एक मीठी मुस्कान बिखेर गयी... :)

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  22. कभी चुपके से आ जाना
    यादों की हथेली को
    पलकों पे रख
    धीमे से फुसफसाना
    पहचानो मुझे ... !!!

    aisi pahachan se bhala kaun nahi vakif hoga ....badhai ke sath abhar bhi .

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  23. कोमल भावो की सुन्दर ,प्यारी रचना....

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....