याद तेरी जब भी आती
जाने कितने सवाल करती
कभी जज्बातों से लड़ती
तो कभी तनहाईयों से पूछती
किस बात पे तुमने
मुझपर यूं पहरे लगाये हैं
...
मैं सिमट जाऊंगी
खुद ही एक दिन
तुम्हारी आंखों में
बन के अश्क
जिनमें आज भी
मेरी यादों के साये हैं ...
कोई कुछ कहता
इससे पहले ही
इक रूठी हुई याद ने
इस कदर हंगामा कर दिया
मेरे दिल का कोना
फ़कत तनहाईयों के नाम
कर दिया
...
कौन मनायेगा ?
उस रूठी हुई याद को
किससे पूछती ?
लब खामोश थे जहां
वहां जज्बात बेजुबान से
दिल की सदा
सुनने को कोई तैयार नहीं
दिमाग अपनी चलाता
मर्जी अपनी
सबसे पहले दिखलाता
कोई कुछ कहता तो
बस एक (: बुझी मुस्कान
कोई रास्ता नहीं
उसके पास यादों का
झगड़ा निपटाने के लिए
कोई याद तैयार नहीं थी तेरी
इस दिल से जाने के लिए ...
उत्कृष्ट प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें ।।
वाह...बहुत ही शानदार रचना प्रस्तुत की है आपने दी पढ़ते पढ़ते आनंद आ गया ......बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंकिस बात पे तुमने
जवाब देंहटाएंमुझपर यूं पहरे लगाये हैं...बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
kya likhun sda, hamesha hi aek atulniya prastuti detin haen aap .bdhai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...बधाई!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर अभिव्यक्ति है ..
जवाब देंहटाएंकिस बात पे तुमने
जवाब देंहटाएंमुझपर यूं पहरे लगाये हैं.
शानदार अभिव्यक्ति!
कौन मनायेगा ?
जवाब देंहटाएंउस रूठी हुई याद को
किससे पूछती ?
लब खामोश थे जहां
वहां जज्बात बेजुबान से
दिल की सदा
सुनने को कोई तैयार नहीं
....jab koi nahi sunta tab dil hi to hai jo apne aap ko manata rahta hai..
bahut badiya jajbaat..
बहुत बहुत सुन्दर...................
जवाब देंहटाएंसस्नेह.
रूठी यादों को मनाते चलों, प्यार बाँटते चलो।
जवाब देंहटाएंdil me jhaank len to sare uttar khud hi mil jate hain
जवाब देंहटाएंइस कदर हंगामा कर दिया
जवाब देंहटाएंमेरे दिल का कोना
फ़कत तनहाईयों के नाम
कर दिया
दिल को छू गाई ये अभिव्यक्ति सदा जी ....!!
कौन मनायेगा ?
जवाब देंहटाएंउस रूठी हुई याद को
किससे पूछती ?
लब खामोश थे जहां
वहां जज्बात बेजुबान से
दिल की सदा
सुनने को कोई तैयार नहीं,...
शानदार बेहतरीन अभिव्यक्ति!...सदा जी ....
बहुत मना कर भी ,कोई ना मना पाया
जवाब देंहटाएंअब क्या देखूं और क्या देखूं कि कौन मनाएगा ||....अनु
इक रूठी हुई याद ने
जवाब देंहटाएंइस कदर हंगामा कर दिया
मेरे दिल का कोना
फ़कत तनहाईयों के नाम
कर दिया
जब याद अभी भी बसी है तो तनहाई कैसी ? सुंदर प्रस्तुति
रूठना मनाना ही जिंदगी है।
जवाब देंहटाएंतन्हाई और यादों का तो घनिष्ठ रिश्ता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
उफ़ यादे भी कैसे कैसे ज़ुल्म ढाती है
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार !
ये यादें भी तो हट्ठी होती हैं आसानी से जाती नहीं ... और फिर ये तन्हाई से मिल जुल के भी रहती हैं ... अच्छी रचना ...
जवाब देंहटाएंकोई याद तैयार नहीं थी तेरी
जवाब देंहटाएंइस दिल से जाने के लिए ...बहुत खूब...
ये यादें भी बड़ी संगदिल हुआ करती हैं ... सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंयादे तो सच में मनको झकजोर के रख देती है ...बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंयही जीवन है ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.
जवाब देंहटाएंविरोधाभाषों का समुच्चय आपकी इस कविता को अद्भुत बनाता है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआज 08/04/2012 को आपका ब्लॉग नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक किया गया हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
वाह सदाजी! ....आपकी लेखनी ने जुबां को चुप कर दिया ....यह वाह तो दिलसे निकली है ....!!!
जवाब देंहटाएंवह याद ही ऐसी थी .....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
इक रूठी हुई याद ने
जवाब देंहटाएंइस कदर हंगामा कर दिया
मेरे दिल का कोना
फ़कत तनहाईयों के नाम
कर दिया
वाह!! बहुत सुंदर रचना.
कौन मनायेगा ?
जवाब देंहटाएंउस रूठी हुई याद को
किससे पूछती ?
लब खामोश थे जहां
वहां जज्बात बेजुबान से
दिल की सदा
सुनने को कोई तैयार नहीं
लाजवाब !!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति......
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावमय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसुनीता जी के दिल में अच्छा ख्याल आया हैं.
क्या खूबसूरत अदाकारा हैं आप ?
भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
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