ये जादू क्या होता है ...?
यह सवाल मन में
जाने-अंजाने
एक लम्बी सी
परछाईं की तरह
आकर खड़ा हो जाता है
जिसका आकार
मेरे सवाल से इतना बड़ा होता
जिसके जवाब में
मैं बस खामोशी की
चादर तान लेती हूं ताकि
वो परछांई अदृश्य हो सके ...
हंसी जादू होती है क्या ?
या रूप जादू होता है
कहूं तो किसी की आवाज में
जादू होता है ... नहीं, ये सब तो आकर्षण है
फिर ....ये जादू क्या है ?
कोई परी जिसके हाथ में
होती जादू की छड़ी
हम उसके साथ हो लेते थे
अपनी ख्वाहिशों के साथ
लेकिन सच कहें तो
ये जादू .... .!!!
वास्तव में यह माया है
माया का
सीधा सा अर्थ है भ्रम
जिसमें हम ताउम्र जीते रहते हैं
ये किसी भी वस्तु या विशेष के लिए
हो सकता है या फिर जो
अद्भुत कला-कौशल का ज्ञाता हो
तब भी यही अहसास
उठता है जरूर यही जादू है ....
जब छोटे थे तो भी यह सवाल रहता था
मन में हमेशा
कोई शैतानी कर लेते जब
उसकी खबर मां को होती तो
लगता इन्हें कैसे पता चला
तब लगता था
जरूर मां को जादू का पता है
सच आज भी कई बातें
जब बिन बताए मां
जान जाती हैं
तो यही लगता है
सबसे बड़ा जादू तो यही हैं....
जिन्हें हमारी
हर आहट की खबर होती है ...
बिना कहे ...!