मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

नये वर्ष की नई खुशियाँ !!

इसे दिसम्बर नहीं
सांता आया कहना चाहिए
इसके काँधे पे
जो झोली है न उसमे से
झाँकती है जनवरी
कुनमुनाता है बसन्त
बिखरा है गुलाल
मचाते हुए धमाल !
..
कच्ची अम्बियों के साथ
मनभावन सावन
झूलों की पींगे
वीर की कलाई पे
बंधने को रेशम की डोर
कितना कुछ समेटे
पटाखों की लड़ी से
झगड़ती वो फुलझड़ी !!
..
समेट कर सारे दिन सुहाने
आया फ़िर से दिसम्बर में
झोली लेकर सांता
हम सबको लुभाने
नये वर्ष की नई खुशियाँ लुटाने !!!
©


गुरुवार, 29 नवंबर 2018

बेहिसाब उम्मीदें !!!!

कोशिशों का एक थैला दिया था
माँ ने बचपन में
जिसमे बेहिसाब उम्मीदें भरी थीं
तभी तो मन आज भी
हार मान कर
चुप बैठता नहीं है !!!!
...

शनिवार, 3 नवंबर 2018

उत्सव के रंग .....

उत्सव के रंग से रंगी हो
द्वार की रंगोली
माँ लक्ष्मी के मङ्गल चरण
हों ड्योढ़ी पर
शुभ लाभ का निवास हो
स्वास्तिक प्रतीक के संग
उत्सव का आनन्द हो
घर के कोने-कोने में
दीपावली की शुभकामनाओं का
प्रकाश अन्तर्मन को
सदा यूँ ही आलोकमय रखे _/\_
....
© सीमा 'सदा'


बुधवार, 24 अक्टूबर 2018

माँ की ममता से !!!!

माँ तुम्हारे
शब्दों की विरासत
मेरी हथेलियों को देती है ताक़त
मन को संबल
कदमों को हौसला
मस्तिष्क को
कभी हार कर भी
नहीं हारने देना
सोचती हूँ
शब्दों में इतनी हिम्मत
पहले तो नहीं थी
जरूर तुमने अभिमंत्रित किया होगा
इन्हें अपनी ममता से
सुना है कि
माँ की ममता से
कोई पार नहीं पा सकता !!!
....


बुधवार, 26 सितंबर 2018

तर्पण करता मन !!!!

तर्पण करता मन
जब भी
भावनाओं की अँजुरी से
गंगाजल के साथ
कुछ बूँदें नयनों से भी
आ मिलतीं
पलकों की मुंडेर पे
कितने पलों को
भीगते देखा है हर बार
पितृपक्ष में पापा !!!
....

सोमवार, 10 सितंबर 2018

बोलती ही नहीं !!!!

ये ख़ामोशी
सिर्फ बोलती ही नहीं
लड़ती भी है
और कई बार जंग भी हो जाती है
बिना किसी गोली बारूद के
और सब ख़त्म हो जाता है
ख़ामोशी से !!!!
...


शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

बूँद बूँद गिरता नेह !!!!

सावन आता
बूँद बूँद गिरता
नेह मन का !
...
मेहंदी सजा
सावन में बहना
शुभ करती !
...
पावन रिश्ता
बंधन है स्नेह का
निभाना सदा !
...
अक्षत रोली
सजा थाली में राखी
बहना लाई !
...
चूड़ी खनके
मेंहदी वाले हाँथ
बाँधे जो राखी !
...

मंगलवार, 14 अगस्त 2018

उत्सव मनाना तुम !!!

स्वतंत्रता दिवस का
उत्सव मनाना तुम
तिरंगा भी फहराना पर
शपथ मत लेना उसके नीचे
आन बान शान की
तुम्हारे शब्दों की ये गुलामी
वो सह नहीं पायेगा
साये में उसके छल होता तो है
पर वो किसी से कह नहीं पायेगा !!!
...
जहाँ बेटी को जन्म देने से
माँ घबराती
मौत हो जाती है
भूख से
सौदेबाज़ी हो जाती
ख़ाकी वर्दी में
दरिंदों की बस्तियों में
कैद हो जाती है
मासूमियत सुरक्षा गृहों में
जश्न मनाने को बचा क्या
पढ़ाने को इतिहास में
रहा क्या ????

शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

मन का मौसम !!!!

इन बेचैनियों को
सुकून तेरे साथ से मिलता है
दूरियों को ये बातें
मैं कैसे समझाऊं भला !
...
उदास शाम की क्यारी में
मैंने रोप दिया है पौधा
रात की रानी का
जब भी इसके क़रीब से गुजरोगे
मन का मौसम बदल जायेगा !!!
....


शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

उगता हुआ सूरज !!!!

बुज़दिल होने से अच्छा है
मन को ताकतवर बनाया जाये
कुछ घूँट हौसले के
उम्मीद से भरकर
जिन्दगी को रोज़
उगता हुआ सूरज दिखाया जाये !!!


बुधवार, 18 जुलाई 2018

मन का भूगोल !!!

जिंदगी के जोड़ घटाने में
रिश्तों का गणित
अक्सर जरूरत के वक़्त
जाने क्यों शून्य हो जाता है
और मन का भूगोल
सब समझ कर भी
कुछ नया खोजने लग जाता है।

शनिवार, 16 जून 2018

पिता का स्नेह
खुशियों का आँगन
झूमता मन !
...
थाम ऊँगली
खिलखिलाता मन
पापा के संग !
...
थाम के हाँथ
जग दिखे मेले सा
पापा के संग !
..
पिता का साया
जीवन धड़कन
हँसते हम !
..
काँधे पे हाँथ
पापा ने जब रखा
मन मुस्काया !
...

शुक्रवार, 8 जून 2018

घर की दहलीज़ !!!!

घर की दहलीज़ ने
आना-जाना और निभाना देखा
बन्द किवाड़ों ने सिर्फ़
अपना वजूद जाना
ये भूलकर की उन्हें थामकर
रखने वाली दहलीज़ 
कोई साँकल नहीं जो हर बार
बजकर या कुंदे पे चढ़कर
अपने होने का अहसास कराती
वो तो बस मौन ही
अपना होने का फ़र्ज निभाती है !!
...
खुशियों में रौनक बन जाती 
त्योहारों पे दीप सजा
जगमग हो जाती 
बने रंगोली जब भी
ये फूली न समाती
रंग उत्सव के पूछो इससे
हर क्षण बस मंगल गाती !!!!

मंगलवार, 5 जून 2018

श्रृंगार धरती का !!!!

हरियाली ये
श्रृंगार धरती का
उजाड़ो मत !
....
हैं वरदान
धरा में पेड़ पौधे
बचा लो इन्हें !
...
बो देना बीज
धरा की गोद सूनी
प्रकृति कहे !
....
खुद तपते
शीतल छाँव देते
हमें वृक्ष ये!
...
कड़वी नीम
मीठी निम्बोली देती
शीतल छाँव !
....
कुल्हाड़ी मार
गिराया जो पेड़ को
चीखी थीं जड़ें !
...

शुक्रवार, 25 मई 2018

रुको मत !!!!



ये खटपट वाले रिश्ते भी
जब मौन होते हैं
तो मन को छटपटाहट होती है
जाने क्या  हुआ
इनका लड़ना-झगड़ना ही
साबित करता है
जिंदगी में बाकी है
अभी बहुत कुछ करना
किसी को मनाना है तो
किसी को सोते से जगाना है !
...
सीधी लाईन होती है न
जब ईसीजी में
तो उसका अर्थ होता है
हम जीवित नहीं है
उतार-चढ़ाव ये टेढ़े-मेढ़े रास्ते
जिन पर उछल-कूद करते हुये
जिंदगी बिंदास होकर
अपना संतुलन बना ही लेती है
तब हम मुस्करा देते हैं
तो रूको मत
जिंदगी और समय के साथ
कदम मिलाते जाओ
उसकी ही ताल में
खुशियां मिलेंगी हर हाल में !!!

मंगलवार, 8 मई 2018

जब माँ साथ होती है !!!

जाने कहाँ छिप जाती है
उदासी, ख़ामोशी,
और तन्हाई
जब माँ साथ होती है !!!
...
सारी मुस्कराहटों को
पता होता है
माँ की धड़कनों से
हर कोना हँसता है
और दीवारें
जगमगाती हैं !!!
....


सोमवार, 23 अप्रैल 2018

मरहम के साये में दर्द !!!!

कड़वे शब्द
कठिन समय में
बस मरहम होते हैं
जख्मो की ज़बान होती
तो वो चीखते शोर मचाते
आक्रमण करते
मरहम के साये में दर्द नम होकर
यूँ पसीज हिचकियाँ ना लेते !!!!
...
छलनी होती रूह पे
घड़ी दो घड़ी की तसल्ली
वाले शब्दों से
कुछ हुआ है ना कभी होगा
गुनाहों की शक्ल
बदलने के वास्ते
रूहों का लिबास बदलना होगा !!!
...

सोमवार, 2 अप्रैल 2018

मन भी सिक्का !!!

मौन मेरा
आज कुछ बातों को
सिक्के की तरह
उछाल रहा है
गगन की ओर
चित्त और पट
अब मन की मुट्ठी में है
किस बात को
कैसे कब और कहाँ
इस्तेमाल करना है।
...
जब बातें
कड़क और स्प्ष्ट हों
तो मन भी सिक्का हो जाता है
क्या लेना है और क्या छोड़ना
निर्णय किसी हथेली पर
चाहकर भी नहीं छोड़ता मन !!!

बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

होली है होली !!!


प्रेम फागुनी
मन के उत्सव में
भीगता रहे !
..
धरा ने खेला
अम्बर संग रंग
मचा धमाल !
...
होली के रंग
अपनों के संग हैं
कहे फागुन !
...
होली के रंग
पिचकारी के संग
भीगे गुलाल !
...
पीकर भंग
बोले होली है होली
रंगों की टोली !


बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

बेटी तो सदा दिल का अरमान होती है !!!

बेटी बाबुल के दिल का टुकड़ा भैया की मुस्कान होती है,
आँगन की चिड़िया माँ की परछाईं घर की शान होती है !
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खुशियों के पँख लगे होते हैं उसको घर के हर कोने में
रखती है अपनी निशानियां जो उसकी पहचान होती हैं !
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माँ की दुलारी पापा की लाडली भैया की नखरीली वो
रूठती झगड़ती इतराती हुई करुणा की खान होती है !
..
भाई की राखी दूज का टीका मीलों दूर होकर भी जब
वो सजल नयनों से भेजकर हर्षाये तो सम्मान होती है !
..
संध्या वंदन कर एक दिया आँगन की तुलसी पे रखती,
मानो ना मानो बेटी तो सदा दिल का अरमान होती है !




शनिवार, 27 जनवरी 2018

दुआओं का ताबीज़ !!!!

दुआओं का ताबीज़
डाला है माँ ने
गले में बचपन से
हर मुश्किल
बस खफ़ा होकर
गुज़र जाती है !!

सोमवार, 8 जनवरी 2018

सपनों के लिये !!!

क्या आती है
तुम्हे सपनो के लिये
खरीदनी कोई उम्मीद
क्या तुमने लगाई है
किसी सपने को
सोफि़याई क्रीम
नहीं ना तो कैसे पूरे होंगे
तुम्हारे सपने
उनका जतन करना सीखो
जिस दिन
तुम प्यार से उन्हें
सहेज़ना सीख जाओगे
यकीं मानो तुम्हारे सपने
अपने आप पूरे हो जाएंगे !!!

सोमवार, 1 जनवरी 2018

नूतन वर्ष !!!

नूतन वर्ष
दस्तक़ देता द्वार
स्वागत करो !
..
अभिनन्दन
नववर्ष का हुआ
हुई रौशनी !
..
नव प्रभात
नूतन दिवस की
हर्षित मन !
...
नव वर्ष की
नई सुबह आई
उम्मीदों संग !

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....