गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013

दीप पर्व ये !!!!













दिये के संग
राैशन मुँडेर है
आई दिवाली !
....
लक्ष्‍मी पूजन
शुभकामनाओं का
प्रकाश पर्व !
...
दिवाली मने
रँगोली सजे जब
घर आँगन !
...
सजा आँगन,
दीप से दीप जला
लो वरदान !
...
दीप पर्व ये
लक्ष्‍मी संग गणेश
पूजन करो !
...
जला के दीप
माँ लक्ष्‍मी को मनाना
रंगोली सजा !
...
श्रद्धा का दीप
भक्ति की साधना है
दीप जला लो !
...
दिया आस्‍था का
आँगन में जलाना
होगा प्रकाश  !
...
प्रकाश पर्व
उल्‍लासित है दीप
चाैखट पर !
... 


सोमवार, 21 अक्टूबर 2013

वक्‍़त के पन्‍नों पर !!!

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
जिंदगी तुम कई बार
मुस्‍कराहटों के मायने बदल देती हो
पढ़ती हो जब भी
वक्‍़त की किताब
सोच में पड़ जाती हो
हर पृष्‍ठ इसका
विस्‍मय की स्‍याही से भरा होता है
जिसके मायने तुम्‍हें भी
झकझोर देते हैं !
....
वक्‍़त के पन्‍नों पर
जिंदगी बारीकी से अपने अनुभव
शब्‍दश: उकेरती
कभी कोई आकृति
मन मस्तिष्‍क पर गढ़ देती
जिसके बिना जीवन का हर पल
बस व्‍यर्थ ही जान पड़ता
फिर भी अगले पृष्‍ठ पर
उम्‍मीद की हल्‍की सी एक लक़ीर
खींचकर तुम
कुछ पंक्तियों को जब रेखांकित करती हो
वो लम्‍हा ज़ज्‍़ब नही होता जब
छलक पड़ती है टप् से
एक बूँद नयनों के कोटर से
फैल जाती है स्‍याही
धुँधला जाते हैं शब्‍द
पर उनके अर्थ बोलते हैं !!!


बुधवार, 9 अक्टूबर 2013

जड़ता का सिद्धांत !!!!!

नियमों के विपरीत
चलकर कभी देखोगे तो
कुछ अलग ही दृश्‍य दिखाई देगा
कभी जड़ता का सिद्धांत
पढ़कर समझ पाओगे यह भी
कि जड़ होना इतना आसान भी नहीं
टिका रहता है समूचा अस्तित्‍व इस पर
...
अच्‍छी बातें, अच्‍छे विचार
पढ़कर कितना अच्‍छा लगता है,
पर अनुसरण कितने ही कर पाते हैं
इस अच्‍छाई पर  ?
सच्‍चाई की राह पर चलने की सीख देना
भला मानव कहलाना कितना ही प्रिय लगता है
वह भला शख्‍स, और सच की टेक  पर
हर कदम आगे बढ़ाता हुआ आदर्श व्‍यक्तित्‍व
जाने कितनी आंखों की किरकिरी होता है  !
.....
जो श्रेष्‍ठ है वह तो सदा श्रेष्‍ठ ही रहेगा,
हेर-फेर तो हमारी सोच का होता है
झूठ कितने ही लिबास बदल ले
कितने ही नकाब लगा ले
पर सच्‍चाई हमेशा बेनकाब होती है
यही उसकी जड़ता का सिद्धांत है !!!!!

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....