सोमवार, 17 दिसंबर 2012

कुछ रिश्‍ते ... (8)













कुछ रिश्‍ते
सिर्फ सम्‍मान के होते हैं
सम्‍बोधन उनका कुछ भी हो
बस उन्‍हें
सज़दा करने का जी चाहता है !
.....
कुछ रिश्‍ते
जो अभिमानी होते हैं
उन्‍हें सिर्फ विनम्रता से ही
एक नई राह पर
लाया जा सकता है !
.....
कुछ रिश्‍ते
गुल्‍लक होते हैं
जिनमें हर रोज़ डालना होता है
कुछ अंश स्‍नेह का !
....
कुछ रिश्‍ते
पूँजी होते हैं जीवन की
जिनके संचय में
हर पल सावधानी
रखना आवश्‍यक होता है !
....
कुछ रिश्‍ते
सिर्फ आखेट हो जाते हैं
रिश्‍तों के नाम पर
और अपना मान खो देते हैं !

...

46 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ रिश्‍ते
    सिर्फ आखेट हो जाते हैं
    रिश्‍तों के नाम पर
    और अपना मान खो देते हैं !

    सही भी सार्थक भी

    मेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है: नम मौसम, भीगी जमीं ..

    जवाब देंहटाएं
  2. कुछ रिश्ते आखेट होते हैं ...सच्चे अच्छे , खट्टे मीठे रिश्तों के बीच ऐसे रिश्ते भी होते ही हैं , कब तक आँख मूंदे रहें !

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  3. कुछ रिश्‍ते
    सिर्फ आखेट हो जाते हैं
    रिश्‍तों के नाम पर
    और अपना मान खो देते हैं !"

    सही चित्रण किया रिश्तो का---

    रिश्ते भी पोधो के सामान होते है जहाँ रोज़ पानी डालो तो फलेगे -फुलेगे ..और पानी नहीं तो मुरझा जायेगे ---

    जवाब देंहटाएं
  4. रिश्तों को बड़ी गूढ़ नज़रों से देखा है. सुन्दर रचना.

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  5. बहुत सुंदर रिश्तों की व्याख्या !

    ~रिश्तों की राह,
    है बहुत कठिन,
    रखना पाँव,
    सँभल -सँभल के,
    कोई दिल ना दुखे!~

    -सादर!!!

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  6. रिश्तों पर सुंदर गहन अभिव्यक्ति .....सदा जी ॥

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  7. गुल्लक का बिम्ब बहुत अच्छा लगा .... सभी क्षणिकाएं सत्य को कहती हुई ...

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  8. रिश्तों को बहुत सम्हाल कर रखना होता है।

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  9. कुछ रिश्‍ते
    गुल्‍लक होते हैं
    जिनमें हर रोज़ डालना होता है
    कुछ अंश स्‍नेह का !
    .... बहुत सुंदर रिश्तों की अभिव्यक्ति सदा जी........

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत कुछ सीखा गई रिश्तों के बारे में ....

    शुभकामनायें !!

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  11. कुछ रिश्‍ते
    सिर्फ आखेट हो जाते हैं
    रिश्‍तों के नाम पर
    और अपना मान खो देते हैं !

    ...बिल्कुल सच..रिश्तों के विभिन्न रूपों का सुन्दर और सटीक आंकलन..

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  12. रिश्तों की पहचान ...आजकल बहुत जरूरी है .....
    आभार आपका !

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  13. कुछ रिश्‍ते
    सिर्फ आखेट हो जाते हैं
    रिश्‍तों के नाम पर
    और अपना मान खो देते हैं !

    बिल्कुल सच..रिश्तों के विभिन्न रूपों का सुन्दर और सटीक आंकलन..
    रिश्तों पर सुंदर गहन अभिव्यक्ति .....सदा जी ॥

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  14. रिश्तों का गणित बहुत उलझा होता है और एक बार समझ आ जाये तो दो और दो चार हो जाता है।

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  15. रिश्तों को समझना बड़ी उलझन का काम है सदा जी, आपने बहुत अच्छी व्याख्या की है इनकी...

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  16. रिश्ते इतने हसीं होते हैं जिनके सजदे में सर झुकाया जा सकता है, जहाँ अभिमान होता नहीं, प्रेम रूपी धन से भरा दिल सदा हमारा इंतज़ार करता है

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  17. बहुत सुंदर व्याख्या की रिश्तों की आपने, शुभकामनाएं.

    रामराम

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  18. कुछ रिश्‍ते
    गुल्‍लक होते हैं
    जिनमें हर रोज़ डालना होता है
    कुछ अंश स्‍नेह का !

    वाऽह ! क्या बात है !
    बहुत खूबसूरत !
    आदरणीया सदा जी
    सुंदर कविता के लिए आभार !

    शुभकामनाओं सहित…

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  19. सही चित्रण किया रिश्तो का.....

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  20. रिश्तों की बेहतरीन अभिव्यक्ति,सुंदर चित्रण,,,,

    recent post: वजूद,

    जवाब देंहटाएं
  21. कुछ रिश्‍ते
    सिर्फ आखेट हो जाते हैं
    रिश्‍तों के नाम पर
    और अपना मान खो देते हैं !"रिश्तों की सुन्दर चित्ररण किया है

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  22. सजदा वाले और गुल्लकवाले रिश्ते समझ में आ जाते हैं पूँजीवाले भी ठीक पर शेष को समझना टेढ़ी खीर है !

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  23. बहुत बहुत सुन्दर ......
    हर परिभाषा पर दिल भीगा जाता है....
    बेहद खूबसूरत...
    सस्नेह
    अनु

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  24. रिश्तों का निभाना एक कला है। खेल नहीं। खेल समझने वाले हारते ही हैं।

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  25. कुछ रिश्‍ते
    गुल्‍लक होते हैं
    जिनमें हर रोज़ डालना होता है
    कुछ अंश स्‍नेह का !
    ..............................................
    हाल के दिनों में ब्लॉग पर की सर्वोत्तम रचना.......................

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  26. रिश्तों के अनेक रूप उजागर करती ... लाजवाब रचना है ...

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  27. रिश्तों की ये पूरी सीरीज ही काबिले तारीफ है ।

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  28. सच ही कहा है किसी ने रिश्ते बनाना बहुत आसान है मगर निभाना उतना ही मुश्किल... :)रिश्तों को परिभाषित करती सुंदर एवं सार्थक रचना....

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  29. रिश्तों की नज़ाकत को उतनी ही नाज़ुकी से बयान किया है आपने हर रंग में.. रंगों की विविधता ने कविता को इन्द्रधनुषी बना दिया है!!

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  30. रिश्तों की धूप मन को सहलाती है...सुंदर रचना !

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  31. सदा जी हमारी महाता तभी है जब हम दूसरो के ब्‍लाग पर भी कमेनट करे

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  32. हर रिश्ते की अपनी ही परिभाषा होती है

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  33. हर रिश्ते का भूगोल वर्णित कर दिया आपकी इस रचना ने...सुंदर प्रस्तुति।।।

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  34. कुछ रिश्‍ते
    सिर्फ आखेट हो जाते हैं
    रिश्‍तों के नाम पर
    और अपना मान खो देते हैं !
    ..सच आज यही हाल होता जा रहा है रिश्तों का ..
    बहुत बढ़िया चिंतन कराती रचना

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  35. रिश्तों की सच्चाई को बयां करती खुबसूरत रचना ..
    सादर !

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  36. bahut sundar Vyakhyaa ki hai rishto'n ki apne ...
    Atti sundar ...sada sis

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....