माँ कैसे तुम्हें
एक शब्द मान लूँ
दुनिया हो मेरी
पूरी तुम
ऑंखे खुलने से लेकर
पलकों के मुंदने तक
तुम सोचती हो
मेरे ही बारे में
हर छोटी से छोटी खुशी
समेट लेती हो
अपने ऑंचल में यूँ
जैसे खज़ाना पा लिया हो कोई
सोचती हूँ ...
यह शब्द दुनिया कैसे हो गया मेरी
पकड़ी थी उंगली जब
पहला कदम
उठाया था चलने को
तब भी ...
और अब भी ...मुझसे पहले
मेरी हर मुश्किल में
तुम खड़ी हो जाती हो
और मैं बेपरवाह हो
सोचती हूँ
माँ हैं न सब संभाल लेंगी .....
माँ की कलम मेरे लिए ...!!!
लगता है
किसी मासूम बच्चे ने
मेरा आँचल पकड़ लिया हो
जब जब मुड़के देखती हूँ
उसकी मुस्कान में
बस एक बात होती है
'मैं भी साथ ...'
और मैं उसकी मासूमियत पर
न्योछावर हो जाती हूँ
आशीषों से भर देती हूँ
कहती हूँ
'मैं तो तुम्हारे पास हूँ ...'
साथ से साथ ऐसे ही चलता जाता है कभी अंगुली कभी दामन पकडे!
जवाब देंहटाएंमाँ का प्यार अतुल्नीय होता है .. माँ को समर्पित एक बेहद प्यारी व उम्दा कविता ..जिसका कोई जवाब नही ..
जवाब देंहटाएंमेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है बेतुकी खुशियाँ
साथ साथ चलती रहे और खुशियाँ बांटती रहे सदा : बहुत सूरत रचना
जवाब देंहटाएंमाँ तो हर पल साथ रहती है ... साथ रहने की सुंदर यात्रा ।
जवाब देंहटाएंमाँ के लिए तो जितना लिखो लगता है कम है , बेहद मासूमियत से लिखी हुई उत्तम रचना |
जवाब देंहटाएंआज सिरहाने एक हवा आई ,
जैसे उसकी कोई दुआ आई ,
वो वक्त सोचता हूँ , ठहर जाता हूँ ,
जिस वक्त मेरी जिंदगी में माँ आई |
सादर
:)
जवाब देंहटाएंयही तो माँ होती है
जवाब देंहटाएंमाँ की ममता सबकी थाती,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंदिल को छूती रचना !!
शुभकामनायें !!
दिल को छूती रचना, माँ की ममता का कोई जवाब नही ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजब भी बात मां की होती है तो मुनव्वर राना की दो लाइने याद आ जाती हैं
मां मेरे गुनाहों को कुछ इस तरह से धो देती है,
जब वो बहुत गुस्से में होती है तो रो देती हैं।।
..ऐसी ही होती है ममता की छाँव 'माँ '!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर हृदयस्पर्शी रचना ...सदा जी ...
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारे रिश्ते के लिए उतने ही प्यारे भाव........
जवाब देंहटाएंमाँ है न...कितना विश्वास कितनी खुशियाँ भर देता है यह एहसास !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति !!
मेरी हर मुश्किल में
जवाब देंहटाएंतुम खड़ी हो जाती हो
और मैं बेपरवाह हो
सोचती हूँ
माँ हैं न सब संभाल लेंगी ..
माँ तब ही तो महान है
हर छोटी से छोटी खुशी
जवाब देंहटाएंसमेट लेती हो
अपने ऑंचल में यूँ.....
.....................................
बेहतरीन
साधू-साधू
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर
कोमल भावो की अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंमाँ मे तो संसार छिपा है..सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंजब तलक बाहर से बेटा लौट कर आता नही,
जवाब देंहटाएंआँख चौखट पर लगाए जगा करती है वो माँ!,,,
बहुत उम्दा,लाजबाब रचना....
recent post: रूप संवारा नहीं,,,
सदा जी!
जवाब देंहटाएंकविता और उसमें माँ के प्रति व्यक्त किये तमाम जज़्बात से कौन इनकार कर सकता है.. और आपकी कविता में यह सब खुलकर स्पष्ट हुआ है..
लेकिन कुछ संदेह आज उभर कर आये हैं.. आशा है उत्तर देंगी.. और यह प्रश्न दो कारणों से उपजा है.. पहला कविता की एक पंक्ति को रेखांकित करना (अन्य रंग से लिखा जाना).. क्या यह कविता जन्मदात्री माँ के लिए है?? यदि हाँ तो इस प्रकार रेखांकित किये जाने की आवश्यकता नहीं थी.
और दूसरी बात जो मेरे ऊपर के ही कथन को बल देता है.. वो हैं आपकी ये पंक्तियाँ:
पकड़ी थी उंगली जब
पहला कदम
उठाया था चलने को
तब भी ...
ऐसा क्यों कहा आपने.. ऐसा क्यों नहीं कहा कि
जब गर्भ में आयी थी मैं/
और तुमने सम्भाला था मुझे/
दूसरा जन्म पाकर मुझे जन्म दिया था
यह दुनिया देखना सिखाया था
खैर यह तो बस एक प्रतिक्रया है मेरी.. कविता को बियोंड द कविता पढ़ने का दुस्साहस...
:)
भाव कई रास्तों से गुजरते हैं .... माँ एक भावना,माँ एक कल्पना,माँ एक सत्य ... अपना अपना होता है . यशोदा के संग कृष्ण का गर्भ का रिश्ता नहीं था ..... बस कुछ एहसास कहकर भी अनकहे रहें तो अर्थ पाते हैं
हटाएंमाँ के प्रेम की कोई सीमा नहीं...लाज़वाब अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंmaa har samy bachche ke paas hoti hai chahe bachche usse kitane hi door kyon na ho...sundar rachna.
जवाब देंहटाएंbhavnaon ka sundar chitran...ek khubsurat kavita..achchi rachana ke liye aabhar !!!
जवाब देंहटाएंसदा दी बेहतरीन रचना ढेरों बधाइयाँ
जवाब देंहटाएंममता से भरी रचना.
जवाब देंहटाएंmaa kaa paas honaa hee khudaa kee niyaamat hai,badhiya rachnaa
जवाब देंहटाएंप्यारी सी ... बोला एहसास लिए ... माँ का दुलार लिए ...
जवाब देंहटाएंममता भरी रचना ...
बहुत खूब.. माँ के लिए कविता!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर पोस्ट और प्यारी सी तस्वीर भी।
जवाब देंहटाएंमाँ सा न कोई .........हर शब्द छोटा है माँ के समक्ष !!!
जवाब देंहटाएंmaa ...kya kehoon...maa to bas maa hai...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लगी ..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ...हर भाव को अपने ही भीतर समेटे हुए
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंएक मासूम कविता, ठीक उस नन्हें बच्चे की कोमल भावनाओं सी जो मां को समझता तो है पर बयां नहीं कर पाता।।।
आज तलक वह मद्धम स्वर
जवाब देंहटाएंकुछ याद दिलाये, कानों में !
मीठी मीठी धुन लोरी की ,
आज भी आये , कानों में !
आज मुझे जब नींद ना आये, कौन सुनाये आ के गीत ?
काश कहीं से, मना के लायें , मेरी माँ को , मेरे गीत !
माँ .....कहाँ हो ....याद आ गयी माँ की...:(
जवाब देंहटाएं