सोमवार, 24 दिसंबर 2012

न्‍याय की माँग में !!!

आँख नम है
न्‍याय की माँग में
जुल्‍म देख
...
पीड़ा के क्षण
मन का संताप ये
किससे कहें
...
दर्द की चीख
निकलती है जब
घुटती साँसे
...
दमन यूँ ह‍ी
कब तक होगा ये
कहे दामिनी
...
जन आक्रोश
अंज़ाम है चाहता
हक़ के साथ
....

35 टिप्‍पणियां:

  1. उम्मीद यही है की ये न्याय बहुत जल्दी होगा . सख्त कानून बने. काश किसी और की ज़िन्दगी न बर्बाद हो !! और इश्वर दामिनी को शीघ्र स्वस्थ करे.

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  2. bahut achha likha hai sada sis...
    2 shabd uss masoom ke liye ...
    जिन्दगी के चौबीस बसंत देखे ना हो जिसने,
    जाने कितनी पीड़ा सही होगी उस मासुम ने।

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  3. बहुत संवेदनशील हाइकु .....
    दर्द अंतस तक उतार आया है .....बस प्रार्थना करते हैं ....

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  4. पलक नम ,
    छाती गीली ,
    तुम्हारे ही लिए!

    फडकी भुजा
    गर्वित मुख
    तुम से ही!

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  5. शासन तंत्र
    संवेदनहीन है
    जनता त्रस्त...

    दर्द को उकेरते सार्थक हाइकु ।

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  6. जब जनता जाग जाएगी ,न्याय को कोई रोक नहीं पायेगा
    नई पोस्ट: "सास भी कभी बहू थी "

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  7. आदरणीया दीदी वर्तमान परिस्थिति की दशा को दर्शाता सुन्दर हाइकू हेतु आपको हार्दिक बधाई.

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  8. जन आक्रोश को राजनीति नहीं आती बस यही मजबूरी है ...

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  9. जन आक्रोश
    अंजाम पाए
    यही है दुआ...
    पीड़ा भरे शब्द...

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  10. दामिनी यानी बिजली।
    जो वक्त पड़ने पर उजाला करती है,
    और छेड़खानी करने पर विनाश भी।

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  11. सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति बधाई बहुत सही बात कही है आपनेनारी महज एक शरीर नहीं

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  12. जन आक्रोश
    अंज़ाम है चाहता
    हक़ के साथ

    bilkul...

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  13. छोटी छोटी पर गहरी ... कम शब्दों में दूर की बात कही है ...

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  14. बढ़िया,
    जारी रहिये,
    बधाई !!

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  15. जन आक्रोश
    अंज़ाम है चाहता
    हक़ के साथ,,,,दर्द को समेटे उत्कृष्ट हाइकू,,,,

    recent post : समाधान समस्याओं का,

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  16. दमन यूँ ह‍ी
    कब तक होगा ये
    कहे दामिनी

    भारत का शर्मनाक कानून बलात्कारियों का संरक्षक है , इसे जब तक नहीं बद्लेगे तब तक दमन करने वाले राक्षस दमन करते ही रहेंगे । मार्मिक प्रस्तुति के लिए आभार ।

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  17. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 25/12/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है ।

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  18. पीड़ा के इस क्षण में उनके लिए इतनी आवाजें समवेत निकल रही है यह देखकर अच्छा लगता है भगवान उन्हें शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें।

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  19. जन आक्रोश
    अंज़ाम है चाहता
    हक़ के साथ

    सटीक अभिव्यक्ति

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  20. दर्द-पीड़ा के सटीक हाइकु

    और इस उम्मीद पर कि बदलाब आएगा और जरूर आएगा

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  21. पीड़ा भरे शब्द.
    शर्मनाक सरकार की संवेदना मर गयी है

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  22. दर्द को शब्दों में ढाल दिया इन हाइकू में, सामयिक भी । जन आक्रोश का ेक मजबूत परिणाम सामने ाये ।

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  23. हर हाइकु
    कह रहा दर्द है
    नम आँखों से...उत्कृष्ट !!

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....