आँख नम है
न्याय की माँग में
जुल्म देख
...
पीड़ा के क्षण
मन का संताप ये
किससे कहें
...
दर्द की चीख
निकलती है जब
घुटती साँसे
...
दमन यूँ ही
कब तक होगा ये
कहे दामिनी
...
जन आक्रोश
अंज़ाम है चाहता
हक़ के साथ
....
न्याय की माँग में
जुल्म देख
...
पीड़ा के क्षण
मन का संताप ये
किससे कहें
...
दर्द की चीख
निकलती है जब
घुटती साँसे
...
दमन यूँ ही
कब तक होगा ये
कहे दामिनी
...
जन आक्रोश
अंज़ाम है चाहता
हक़ के साथ
....
उम्मीद यही है की ये न्याय बहुत जल्दी होगा . सख्त कानून बने. काश किसी और की ज़िन्दगी न बर्बाद हो !! और इश्वर दामिनी को शीघ्र स्वस्थ करे.
जवाब देंहटाएंbahut achha likha hai sada sis...
जवाब देंहटाएं2 shabd uss masoom ke liye ...
जिन्दगी के चौबीस बसंत देखे ना हो जिसने,
जाने कितनी पीड़ा सही होगी उस मासुम ने।
बहुत संवेदनशील हाइकु .....
जवाब देंहटाएंदर्द अंतस तक उतार आया है .....बस प्रार्थना करते हैं ....
जागो ...अब तो जाग जाओ !!!
जवाब देंहटाएंपलक नम ,
जवाब देंहटाएंछाती गीली ,
तुम्हारे ही लिए!
फडकी भुजा
गर्वित मुख
तुम से ही!
शासन तंत्र
जवाब देंहटाएंसंवेदनहीन है
जनता त्रस्त...
दर्द को उकेरते सार्थक हाइकु ।
जब जनता जाग जाएगी ,न्याय को कोई रोक नहीं पायेगा
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट: "सास भी कभी बहू थी "
आदरणीया दीदी वर्तमान परिस्थिति की दशा को दर्शाता सुन्दर हाइकू हेतु आपको हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंजन आक्रोश को राजनीति नहीं आती बस यही मजबूरी है ...
जवाब देंहटाएंजन आक्रोश
जवाब देंहटाएंअंजाम पाए
यही है दुआ...
पीड़ा भरे शब्द...
दामिनी यानी बिजली।
जवाब देंहटाएंजो वक्त पड़ने पर उजाला करती है,
और छेड़खानी करने पर विनाश भी।
मार्मिक ! दिल छूते शब्द !
जवाब देंहटाएंओह.... मार्मिक
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति बधाई बहुत सही बात कही है आपनेनारी महज एक शरीर नहीं
जवाब देंहटाएंजन आक्रोश
जवाब देंहटाएंअंज़ाम है चाहता
हक़ के साथ
bilkul...
छोटी छोटी पर गहरी ... कम शब्दों में दूर की बात कही है ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया,
जवाब देंहटाएंजारी रहिये,
बधाई !!
जन आक्रोश
जवाब देंहटाएंअंज़ाम है चाहता
हक़ के साथ,,,,दर्द को समेटे उत्कृष्ट हाइकू,,,,
recent post : समाधान समस्याओं का,
दमन यूँ ही
जवाब देंहटाएंकब तक होगा ये
कहे दामिनी
भारत का शर्मनाक कानून बलात्कारियों का संरक्षक है , इसे जब तक नहीं बद्लेगे तब तक दमन करने वाले राक्षस दमन करते ही रहेंगे । मार्मिक प्रस्तुति के लिए आभार ।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 25/12/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंपीड़ा के इस क्षण में उनके लिए इतनी आवाजें समवेत निकल रही है यह देखकर अच्छा लगता है भगवान उन्हें शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें।
जवाब देंहटाएंसब यही सोच रहे हैं..
जवाब देंहटाएंस्वर हमारा भी यही है।
जवाब देंहटाएंमार्मिक ! दिल छूते शब्द !
जवाब देंहटाएंसरकार की संवेदना मर गयी है
जवाब देंहटाएंजन आक्रोश
जवाब देंहटाएंअंज़ाम है चाहता
हक़ के साथ
सटीक अभिव्यक्ति
bahut sahi .badhiya rachna
जवाब देंहटाएंदर्द-पीड़ा के सटीक हाइकु
जवाब देंहटाएंऔर इस उम्मीद पर कि बदलाब आएगा और जरूर आएगा
पीड़ा भरे शब्द.
जवाब देंहटाएंशर्मनाक सरकार की संवेदना मर गयी है
मार्मिक रचना....
जवाब देंहटाएंदर्द को शब्दों में ढाल दिया इन हाइकू में, सामयिक भी । जन आक्रोश का ेक मजबूत परिणाम सामने ाये ।
जवाब देंहटाएंmarmik prastuti,
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब वाह!
जवाब देंहटाएंआप शायद इसे पसन्द करें-
ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!
वाह ......बहुत ही ज़बरदस्त।
जवाब देंहटाएंहर हाइकु
जवाब देंहटाएंकह रहा दर्द है
नम आँखों से...उत्कृष्ट !!