दर्द को कहना
उसके साथ - साथ बहना होता है
नदी की तरह
कभी शब्दों को शब्द दर शब्द
विष का पान कराना
जैसे अमृत हो जाना हो
फिर मुहब्बत का ...
...
जाने कितनी किस्मों में
तकसीम़ हुई वह
कभी दरिया कभी नदिया
कभी धारा कभी लहर
कभी बूंद
जब वह तेरे नयनों से बही थी
अंतिम बार
....
यह कैसा द्वंद है
भावनाओं का भावनाओं से
जहां अभिलाषा है
बस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
...
यह कैसा द्वंद है
जवाब देंहटाएंभावनाओं का भावनाओं से
जहां अभिलाषा है
बस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!!
अद्धभुत अभिव्यक्ति :))
बेहद प्रभावशाली पंक्तियाँ गहन अभिव्यक्ति दी वाह क्या बात है.
जवाब देंहटाएंयह कैसा द्वंद है
भावनाओं का भावनाओं से
जहां अभिलाषा है
बस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
दर्द को कहना
जवाब देंहटाएंउसके साथ - साथ बहना होता है
नदी की तरह
कभी शब्दों को शब्द दर शब्द
विष का पान कराना
जैसे अमृत हो जाना हो
फिर मुहब्बत का ...
Behad sundar!
दर्द को कहना
जवाब देंहटाएंउसके साथ - साथ बहना होता है
..सही है।
तेरी आँखों से
जवाब देंहटाएंटपकी बूंद ने
रूप धार लिया है
धारा का
जो बह रही हैं कहीं
मेरे मन में
नदिया बन कर .....
बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति
कैसी है ये अभिलाषा , इनके दम पर ही टिकी है यह दुनिया अब तक !
जवाब देंहटाएंबस यही तो है दर्द की परिणति
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंदर्द को कहना
उसके साथ - साथ बहना होता है
नदी की तरह
कभी शब्दों को शब्द दर शब्द
विष का पान कराना
जैसे अमृत हो जाना हो
फिर मुहब्बत का ...
बहुत सुन्दर एहसास....
सस्नेह
अनु
नदी की तरह
जवाब देंहटाएंकभी शब्दों को शब्द दर शब्द
विष का पान कराना
जैसे अमृत हो जाना हो
फिर मुहब्बत का ...
बहुत सुंदर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति
नदी की तरह
जवाब देंहटाएंकभी शब्दों को शब्द दर शब्द
विष का पान कराना
जैसे अमृत हो जाना हो
बहुत सुन्दर v सार्थक अभिव्यक्ति .आभार माननीय कुलाधिपति जी पहले अवलोकन तो किया होता
मुझे क्यों अज़ीज़ तर है, ये धुंआ धुंआ सा मौसम
जवाब देंहटाएंये हवा-ए-शाम-हिज्र मुझे रास है तो क्यों हैं......
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दमदार कलम.....
यह कैसा द्वंद है
जवाब देंहटाएंभावनाओं का भावनाओं से
जहां अभिलाषा है
बस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
Sundar Bhaavnaaayein.
शानदार अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा रचना अनुपम भाव संयोजन के साथ ....बहुत खूब सदा जी मज़ा आ गया आज इसे पढ़कर...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भाव .....
जवाब देंहटाएंबधाई सदा जी ...
सुंदर....
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाओं में जो मानव मन की टीस होती है वह अन्तस् को झकझोर देती है !
जवाब देंहटाएंभावनाओं का भावनाओं से
जवाब देंहटाएंजहां अभिलाषा है
बस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
बहुत सुंदर भाव, सुंदर प्रस्तुति.
यह कैसा द्वंद है
जवाब देंहटाएंभावनाओं का भावनाओं से
जहां अभिलाषा है
बस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
बहुत सुंदर भाव, सुंदर प्रस्तुति.
निर्लिप्त भाव से रची गई सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंयह कैसा द्वंद है
जवाब देंहटाएंभावनाओं का भावनाओं से
जहां अभिलाषा है
बस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की,,,,भावमय बेहतरीन पंक्तियाँ,,,
recent post: बात न करो,
बहुत प्रभावशाली प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंयह कैसा द्वंद है
जवाब देंहटाएंभावनाओं का भावनाओं से
जहां अभिलाषा है
बस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
गहन विचारों वाली एक बेहतरीन पोस्ट
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
बहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंजहां अभिलाषा है
जवाब देंहटाएंबस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
सुन्दर... :)
सुन्दर अभिव्यक्ति ,अंतिम पंक्तियाँ लाजवाब है -सुन्दर ,बधाई .
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट "पर्यावरण-एक वसीयत " हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों में.
जाने कितनी किस्मों में
जवाब देंहटाएंतकसीम़ हुई वह
कभी दरिया कभी नदिया
कभी धारा कभी लहर
कभी बूंद
जब वह तेरे नयनों से बही थी
अंतिम बार
....वाह! सभी क्षणिकाएं लाज़वाब...मन की व्यथा को बहुत ख़ूबसूरत शब्दों में पिरोया है...
जहां अभिलाषा है
जवाब देंहटाएंबस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
बहुत सुंदर.............
जाने कितनी किस्मों में
तकसीम़ हुई वह
कभी दरिया कभी नदिया
कभी धारा कभी लहर
कभी बूंद
जब वह तेरे नयनों से बही थी
बहुत खूबसूरत !
आदरणीया सदा जी
सुंदर भाव और सुंदर शब्दों से सजी रचना है …
बहुत खूबसूरत !
बेहतर प्रस्तुति !
शुभकामनाओं सहित…
भावनाओं का भावनाओं से
जवाब देंहटाएंजहां अभिलाषा है
बस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
बहुत खूबसूरत सुंदर भाव, सुंदर प्रस्तुति.
दर्द के साथ बहुत कुछ होता है जो बह जाए तो शेष नहीं रहता कुछ भी ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लखा है ...
जहां अभिलाषा है
जवाब देंहटाएंबस मिट जाने की
चाह नहीं कुछ पाने की !!!
सुंदर भाव सुंदर अभिव्यक्ति !!
बहुत सुन्दर , जाने क्यूँ इसे पढते वक्त मेरे दिमाग में जगजीत जी की वो गजल बज रही थी -
जवाब देंहटाएंदर्द से मेरा दामन भर दे , या अल्लाह |
सादर
बहुत ही बेहतरीन भावभीनी रचना....
जवाब देंहटाएं:-)