मन बग़ावत करने लगा है
आजकल उसका
समझाइशो की भीड़ में
नासमझ मन
हर बात पर खुद को
कटघरे में पाकर
बौखला उठता है जब
आक्रोश उसका
फूलों की जगह कांटों को
थामकर अपनी
रक्त रंजित हथेलियों से
तर्पण कर उठता है
दर्द का ...
चीखें पत्थर दिल दीवारों से
टकराकर लौटती हैं
रूदन के बीच जब
कंपकपाते कदम साथ नहीं देते
फिर चौखट को लांघने का
....
सोचती इतना सन्नाटा न होता तो
वो अनसुना कर देती
इन चीखों को
एक कोना जो मन का
हमेशा उसकी परवाह में बेकरार हो
उसका ही रहता था सदा
उसकी ही सुनता था सदा
आज वो अपने हक़ के लिए
बस क़ातर नयन लिए
उसकी राह निहारता रहता है
आओगे तुम कभी तो
इस राह पर ... इस राह पर
रहूंगा मैं सदा ... तुम्हारा ही ...
तुम्हारे लिए ही ...!!!
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया भाव ।
बहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंगहन भाव.....
सादर.
बहुत खूब गहन भाव अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंआओगे तुम कभी तो
जवाब देंहटाएंइस राह पर ... इस राह पर
रहूंगा मैं सदा ... तुम्हारा ही ...
तुम्हारे लिए ही ...!!!
POSITIVE NOTE.
bahut sundar rachana!....sundar abhivyakti!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
रश्मि दीदी आपकी यूं ही तारीफ नहीं करती हैं।
चीखें पत्थर दिल दीवारों से
टकराकर लौटती हैं
रूदन के बीच जब
कंपकपाते कदम साथ नहीं देते
सुंदर सम्प्रेषण.... उम्दा भाव...
जवाब देंहटाएंसादर।
आओगे तुम कभी तो
जवाब देंहटाएंइस राह पर ... इस राह पर
रहूंगा मैं सदा ... तुम्हारा ही ...
तुम्हारे लिए ही ...!!!बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
BAHUT KHOOB .BADHAI
जवाब देंहटाएंLIKE THIS PAGE AND SHOW YOUR PASSION OF INDIAN HOCKEY मिशन लन्दन ओलंपिक हॉकी गोल्ड
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंदर्द लिखना, दर्द पढ़ना, दर्द महसूस करना और दर्द में ही उम्मीद पालना... आह! कितना कठिन है!!
जवाब देंहटाएंगहन मर्मान्तक अनुभूतियों का चित्रण!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआओगे तुम कभी तो
इस राह पर ... इस राह पर
रहूंगा मैं सदा ... तुम्हारा ही ...
तुम्हारे लिए ही ...!!!
यही तो प्रेम है
गहन भाव लिए सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसुन्दर ....बहुत सुंदर !!!
जवाब देंहटाएंआओगे तुम कभी तो
जवाब देंहटाएंइस राह पर...
इंतज़ार का मीठा दर्द- मीठी ख़ुशी
सादर
आओगे तुम कभी तो
जवाब देंहटाएंइस राह पर ... इस राह पर
रहूंगा मैं सदा ... तुम्हारा ही ...
तुम्हारे लिए ही ...
बहुत सुंदर...
बेहद सजीव रचना..आभार !!
जवाब देंहटाएंदिल से निकली और दिल तक पहुँचती कविता!!
जवाब देंहटाएंआओगे तुम कभी तो
जवाब देंहटाएंइस राह पर ... इस राह पर
बहुत सुन्दर ..
दर्द को ऊँचाइयों तक पहुँचाती हुई उत्कृष्ट रचना.
जवाब देंहटाएंmann ko chhute ehsaas
जवाब देंहटाएंमन की बात भी सुन लेनी चाहिए।
जवाब देंहटाएंमन की बगावत .... कभी तो मन भी करेगा ही न ... बहुत भावप्रवण रचना
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्टस पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं....
आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
गहन भाव.....
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर ढंग से अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब. दिल की गहराइयों से लिखी गई एक शानदार रचना.
जवाब देंहटाएंआभार.
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
उत्कृष्ट...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और लाजवाब है पोस्ट।
जवाब देंहटाएंबहुत गहन भाव और उनका प्रभावी सम्प्रेषण...आभार
जवाब देंहटाएंगहन भाव संजोए बेहतरीन प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसटीक रचना!!
जवाब देंहटाएंमन में किसी का आमन्त्रण स्थायी रूप से बस जाता है।
जवाब देंहटाएंगहन भाव से लिखी सुन्दर अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंकविता बहुत अच्छी लगी...
जवाब देंहटाएंbahut achha likha hain aapne.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कृति, बधाई.
जवाब देंहटाएंसोचती इतना सन्नाटा न होता तो
जवाब देंहटाएंवो अनसुना कर देती
इन चीखों को
इन पंक्तियों में छिपी कविता तो खूब है.
यह रचना अच्छी लगी. आप इसी प्रकार और रचनाएं लिखें
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