तुम्हारे और मेरे बीच
दूरियॉं कोई मायने नहीं रखतीं
हम कितना भी दूर हो जाएं
सोचते हैं बस
एक दूसरे को
मन की नज़दीकियां हैं न हमारे पास
....
ये आहटें कैसी
तुम्हारे और मेरे बीच
मीलों की दूरी है
फिर भी
मुझे हर बात का एहसास
कैसे हो जाता है
हर बार ही तो ऐसा होता है
इत्तेफ़ाक कभी-कभी होता होगा
पर हर बार जब हो तो ...
शब्द-शब्द में जिया है तुम्हें
यकीं तो होगा न
मेरी बात पर
...
हंसती हो जब तुम
शब्द भी मुस्कराते हैं संग
तुम्हारी उदासी से
कैसे बिखर जाते हैं शब्द
तुम्हारी सिसकियों से
शब्दों की नमी से दर्द रिसता है जब
कागज भी भीग जाता है
इस कदर ....
मेरी रूह की सिहरन से
मन कांप जाता है ..
तुम जब भी
हंसी का प्रतीक :) बनाती हो
मुझे पता है ...
तुम्हारी पलकें भीगी होती हैं
तुम्ही कहती हो उदासी की चीखें
खामोशी ही सुनती है
खामोशी ही कहती है आंसुओं से
बस तब वो बह कर
अपना मन हलका कर लेती है
और सुकून के कुछ पल
म़यस्सर होते हैं बोझिल मन को ... !!!
दूरियॉं कोई मायने नहीं रखतीं
हम कितना भी दूर हो जाएं
सोचते हैं बस
एक दूसरे को
मन की नज़दीकियां हैं न हमारे पास
....
ये आहटें कैसी
तुम्हारे और मेरे बीच
मीलों की दूरी है
फिर भी
मुझे हर बात का एहसास
कैसे हो जाता है
हर बार ही तो ऐसा होता है
इत्तेफ़ाक कभी-कभी होता होगा
पर हर बार जब हो तो ...
शब्द-शब्द में जिया है तुम्हें
यकीं तो होगा न
मेरी बात पर
...
हंसती हो जब तुम
शब्द भी मुस्कराते हैं संग
तुम्हारी उदासी से
कैसे बिखर जाते हैं शब्द
तुम्हारी सिसकियों से
शब्दों की नमी से दर्द रिसता है जब
कागज भी भीग जाता है
इस कदर ....
मेरी रूह की सिहरन से
मन कांप जाता है ..
तुम जब भी
हंसी का प्रतीक :) बनाती हो
मुझे पता है ...
तुम्हारी पलकें भीगी होती हैं
तुम्ही कहती हो उदासी की चीखें
खामोशी ही सुनती है
खामोशी ही कहती है आंसुओं से
बस तब वो बह कर
अपना मन हलका कर लेती है
और सुकून के कुछ पल
म़यस्सर होते हैं बोझिल मन को ... !!!
विरह -प्रेम के भावों की सुन्दर बानगी..
जवाब देंहटाएंkhoobsurat bhawon ki sahaz rachna.....
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंमन की परतें खुल गयीं।
जवाब देंहटाएंतुम जब भी
जवाब देंहटाएंहंसी का प्रतीक :) बनाती हो
मुझे पता है ...
तुम्हारी पलकें भीगी होती हैं
तुम्ही कहती हो उदासी की चीखें
खामोशी ही सुनती है
दूरी होने पर भी न जाने क्यों हर बात पता होती है ...मन जो मिले होते हैं ... सुंदर प्रस्तुति
तुम जब भी
जवाब देंहटाएंहंसी का प्रतीक :) बनाती हो
Smiley ko nayaab bhaw de diye aapne, virah-prem ki meethi kavita mein!
Saadar
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
विरह का सुन्दर निरूपण
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.....कोमल भाव संजोये हैं..
जवाब देंहटाएंसस्नेह.
समझ ही जोड़ती है
जवाब देंहटाएंसमझ ही दूरियां पैदा करती हैं
.... बहुत ही अच्छी रचना
गज़ब ...अभी जब मै आपकी पोस्ट पढ़ रही थी तो मुझे ऐसा लगा रहा था की एक एक शब्द मेरी ही लिखी हुई है ..... इन सारी अहसासों के साथ, मै भी जीती हूँ .... !!!
जवाब देंहटाएंआपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएं----------------------------
कल 23/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
हंसती हो जब तुम
जवाब देंहटाएंशब्द भी मुस्कराते हैं संग
तुम्हारी उदासी से
कैसे बिखर जाते हैं शब्द
तुम्हारी सिसकियों से
शब्दों की नमी से दर्द रिसता है जब
कागज भी भीग जाता है
इसे कहते हैं भावों की अभिव्यक्ति. वाह!
सुन्दर कलात्मक बुनावट... खुबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंसादर.
न रोना अच्छा,न रुलाना।
जवाब देंहटाएंहंसती हो जब तुम
जवाब देंहटाएंशब्द भी मुस्कराते हैं संग
तुम्हारी उदासी से
कैसे बिखर जाते हैं शब्द ..achchhi panktiyan..
तुम्हारी पलकें भीगी होती हैं
जवाब देंहटाएंतुम्ही कहती हो उदासी की चीखें
खामोशी ही सुनती है
खामोशी ही कहती है आंसुओं से
बस तब वो बह कर
अपना मन हलका कर लेती है
और सुकून के कुछ पल
म़यस्सर होते हैं बोझिल मन को ...
kya kahun in sunder bhavon me bhige shabdon ke liye bahut sunder
rachana
बहुत खूब लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंप्रेम में दूरिया कोई माईने नहीं रखती
सुन्दर कलात्मक रचना...
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti badhai.हे!माँ मेरे जिले के नेता को सी .एम् .बना दो.
जवाब देंहटाएं.bahut sundar prastuti badhai.हे!माँ मेरे जिले के नेता को सी .एम् .बना दो.
जवाब देंहटाएंबड़ा ही करुण अभिव्यक्ति है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण.
जवाब देंहटाएंआभार....
मुझे हर बात का एहसास
कैसे हो जाता है
हर बार ही तो ऐसा होता है
इत्तेफ़ाक कभी-कभी होता होगा
पर हर बार जब हो तो ..
virah vedna aur prem bhaav me doobi rachna.bahut behtreen.
जवाब देंहटाएंमन के गहरे भाव.....
जवाब देंहटाएंadbhut...bahut sundar bhaav...
जवाब देंहटाएंसुकोमल भाव
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना:-)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति| नवसंवत्सर २०६९ की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंमन के गहन भाव को बहुत ही खुबसूरती से व्यक्त किया ..
जवाब देंहटाएंमुझे तो इस विरह ने बिटिया की याद दिला दी ...चाहे सात समुन्दर पार हो , उसकी हर आह एक टीस बनकर चुभती है ...उसके आँसू हमारी आँखों से बहते हैं.. माँ का दिल जो ठहरा .....!!!!!!
जवाब देंहटाएंbhaut hi sundar hai psot|
जवाब देंहटाएंहंसती हो जब तुम
जवाब देंहटाएंशब्द भी मुस्कराते हैं संग
तुम्हारी उदासी से
कैसे बिखर जाते हैं शब्द
sundar pyar bhar bhaw...:)
मन के गहरे भाव लिए बेहद उम्दा पोस्ट....
जवाब देंहटाएंउदासी के क्षणों में सुकून ढूँढ लेना इसी मन की आदत है. बहुत ही सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंख़ामोशी को शब्दों में बयाँ कर डाला. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
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