सोमवार, 19 मार्च 2012

आंसू खारापन लिए हुए भी ... !!!



आंसुओं को आत्‍मा की जुबान कहूं तो
कोई अतिश्‍योक्ति न होगी ...
ये हर भाव पूरी सच्‍चाई से बयां करते हैं
खुशी में भी इनके होने का एहसास
आंखों से छलकने पर हो जाता है
हंसते-हंसते भी आंखें स्‍वत:
तरल हो उठती है  ...
पीड़ा ... शरीर के किसी भी हिस्‍से में
तकलीफ़ हो तो ये सहज़ ही बहते हैं
आंसुओं का बहना ...
किसी से बिछड़ने का दुख हो
किसी से मिलने की खुशी हो
ये खुद को बखूबी व्‍यक्‍त करते हैं
इंसान तो इंसान ईश्‍वर भी
इन आंसुओं को रोक नहीं पाए
कहते हैं सती के वियोग में
भगवान शिव की आंखों से
आंसू की धारा बह निकली थी तो
वैतरणी नदी का जन्‍म हुआ था
रूद्राक्ष की उत्‍पत्ति भी
शिव के आंसुओं से मानी जाती है  ..
आंसु जितना बहते हैं प्रेम व विरह में
उतना ही कवि की कविताओं से भी
ये अपना रिश्‍ता कायम रखते हैं
शायद ही कोई रचनाकार होगा
जिसने अपनी रचनाओं में
इनका जिक्र न किया हो
भावनाओं से आंसुओं का नाता
जन्‍म जन्‍मांतर का तो है ही
आंसू खारापन लिए हुए भी
जीवन में एक मिठास
कायम रखते हैं ....
आपको क्‍या लगता है ... ???


44 टिप्‍पणियां:

  1. शब्दश : सत्य व सुन्दर ..सबको ऐसा ही लगता है..

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  2. आंसू खारापन लिए हुए भी
    जीवन में एक मिठास
    कायम रखते हैं ....

    बहुत सुन्दर लिखा है आपने !
    गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ ज़बरदस्त प्रस्तुति!

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  3. बिल्कुल वो ही लगता है …………दोनो ही स्वाद ज़िन्दगी के लिये जरूरी हैं।

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  4. आँसू की उत्तम कथा, सदा हिलाए देह ।
    ख़ुशी विवशता विछुरना, पीड़ा हँसी सनेह ।।
    पीड़ा हँसी सनेह, धुआँसे से भी आगे ।
    झोंक आँख में धूल, कभी जब अपना भागे ।
    पराकाष्ठा पार, कहानी बनती धांसू ।
    फिल्मकार आभार, खरीदे-बेंचे आँसू ।।

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  5. आंसु जितना बहते हैं प्रेम व विरह में
    उतना ही कवि की कविताओं से भी
    ये अपना रिश्‍ता कायम रखते हैं ...sundar

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  6. आपको क्‍या लगता है ... ???wahi jo aap likhe hain.....

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  7. आंसू खारापन लिए हुए भी
    जीवन में एक मिठास
    कायम रखते हैं ....
    आपको क्‍या लगता है ... ???hamko to yah bilkul sach lagta hai sundar rachna

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  8. बहुत सुन्दर...........
    सच है, आँसू आत्मा की जुबान हैं....

    बस मगरमच्छी ना हों :-)
    सस्नेह.

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  9. बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन सटीक रचना,......


    शिव के आंसुओं से मानी जाती है ..
    आंसु जितना बहते हैं प्रेम व विरह में
    उतना ही कवि की कविताओं से भी
    ये अपना रिश्‍ता कायम रखते हैं

    MY RESENT POST... फुहार....: रिश्वत लिए वगैर....

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  10. आंसू खारापन लिए हुए भी
    जीवन में एक मिठास
    कायम रखते हैं ....

    हमें भी यही लगता है ..
    सुंदर भावाभिव्‍यक्ति !!

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  11. बहुत सुंदर रचना ....एक बूँद में ही जीवन का सार समाया हुआ ...

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  12. जिसे माटी की महक न भाये ,उसे नहीं जीने का हक़ है ,

    जीवन हंशी भी जीवन रुदन भी ,

    जीवन ख़ुशी भी ,जीवन घुटन भी ,

    जो न जीवन की गत पे गाये ,

    उसे नहीं जीने का हक़ है .

    आंसु जीवन की ले ताल है अभिव्यक्तिं हैं सुख की दुःख की .hirdy गति रुकने के खतरे को कम करतें हैं .

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  13. अस्तित्व का क्षार निकाल देते हैं आँसू।

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  14. आंसू खारापन लिए हुए भी
    जीवन में एक मिठास
    कायम रखते हैं ....

    ..बहुत सच कहा है...बहुत सुंदर अहसास...

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  15. हजारों तरह के ये होते हैं आंसू....

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  16. बहुत सुंदर
    क्या कहने

    शायद ही कोई रचनाकार होगा
    जिसने अपनी रचनाओं में
    इनका जिक्र न किया हो
    भावनाओं से आंसुओं का नाता

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  17. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)

    बेहतरीन चित्र के साथ उत्कृष्ट रचना पढने को मिली...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  18. अन्दर का खारापन कम करने का यही एक उपाय है...जीवन में मिठास बनाये रखने के लिए...ज़रूरी हैं आंसू...

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  19. आंसू खारापन लिए हुए भी
    जीवन में एक मिठास
    कायम रखते हैं .... बिल्कुल यही लगता है

    …सुंदर अभिवयक्ति

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  20. आंसू ख़ुशी के ही हों..तभी खारे आंसू भी मीठे लगते हैं..

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  21. aapne khud hi ek savaal kiya aur khud hi uska javaab bhi dediyaa :)aapki baaton se sahamt hoon sundar evam saarthak rachna....

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  22. आंसुओं को आत्‍मा की जुबान कहूं तो कोई अतिश्‍योक्ति न होगी । ये हर भाव पूरी सच्‍चाई से बयां करते हैं। खुशी में भी इनके होने का एहसास आंखों से छलकने पर हो जाता है। हंसते-हंसते भी आंखें स्‍वत:तरल हो उठती है। पीड़ा,शरीर के किसी भी हिस्‍से में तकलीफ़ हो, तो ये सहज़ ही बहते हैं। आंसुओं का बहना. किसी से बिछड़ने का दुख हो, किसी से मिलने की खुशी हो ये खुद को बखूबी व्‍यक्‍त करते हैं। इंसान तो इंसान ईश्‍वर भी इन आंसुओं को रोक नहीं पाए। कहते हैं सती के वियोग में भगवान शिव की आंखों से आंसू की धारा बह निकली थी तो वैतरणी नदी का जन्‍म हुआ था। रूद्राक्ष की उत्‍पत्ति भी शिव के आंसुओं से मानी जाती है। आंसु जितना बहते हैं प्रेम व विरह में उतना ही कवि की कविताओं से भी ये अपना रिश्‍ता कायम रखते हैं । शायद ही कोई रचनाकार होगा जिसने अपनी रचनाओं में इनका जिक्र न किया हो। भावनाओं से आंसुओं का नाता जन्‍म जन्‍मांतर का तो है ही। आंसू खारापन लिए हुए भी जीवन में एक मिठास, कायम रखते हैं।

    आपको क्‍या लगता है ... ???

    हमको लगता है आपको ऐसे लिखना चाहिए था। आँसू पर आलेख अच्छा है।

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  23. आंसुओं में भी मिठास होती है .... क्यों कि दुख में आँसू आते हैं तो खुशी में भी निकल पड़ते हैं ...

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  24. आंसू खारापन लिए हुए भी जीवन में मिठास रखते हैं !
    क्योंकि जीवन का खारापन तो उनके माध्यम से बाहर निकल जाता है !
    सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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  25. अभिभूत करती रचना सार्थक प्रयास बधाईयाँ जी

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  26. आंसू आत्मा की ही व्यथा होते
    तो इन्सान मगरमच्छ नहीं कहलाता
    आँखें आत्मा की होती हैं
    उसे पढ़ना सबको नहीं आता

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  27. आंसू बहुत कुछ कह जाते है और बहुत कुछ बहा ले जाते है ------------बहुत सुन्दर भाव

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  28. आँसू तो मन की बातें कहते हैं कभी खुशी तो कभी वेदना की अभिव्यक्ति के लिए बहते हैं। एक शेर आपकी रचना को देखकर याद आया ‘मजाज़’ का -
    ‘इन आँसुओं से लहज़े को सींचा करो मजाज़
    जिंदा वही है पेड़ जो पानी के पास है।’
    बहुत अच्छी रचना के लिए बधाई आपको ।

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  29. सुख में हो कि दुख में,निज़ात पाना चाहिए आंसुओं से।

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  30. आंसू खारापन लिए हुए भी
    जीवन में एक मिठास
    कायम रखते हैं ....
    आपको क्‍या लगता है ... bilkul sahi.

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  31. सत्य है आंसुओं से बहुत कुछ धुल जाता है पर कई बार आंसू सुख जाते हैं दर्द में ।

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  32. आंसुओं का खारापन शायद इसी कारण है कि वे हमारे सारे अवसाद स्वयं में समाहित कर लेते हैं और हमारे लिए मीठापन छोड़कर स्वयं खारे हो जाते हैं!!

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  33. आंसू खारापन लिए हुए भी
    जीवन में एक मिठास
    कायम रखते हैं .... सच है..सुन्दर और सार्थक रचना..

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  34. ये आंसू मेरे दिल की जुबां हैं ...
    आंसुओं की ताकत का अंदाजा लगाना आसान नहीं है ... गहरी पोस्ट है ...

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  35. आंसू का गहन तलस्पर्शी दर्शन प्रस्तुत कर दिया इस रचना में।
    सार्थक!!

    निरामिष पर पधारें
    निरामिष पर - पश्चिम में प्रकाश - भारत के बाहर शाकाहार की परम्परा

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  36. आंसू खारापन लिए हुए भी
    जीवन में एक मिठास
    कायम रखते हैं ....
    आपको क्‍या लगता है ... ???

    Bahut Sunder, Ghari Baat

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