शनिवार, 26 मार्च 2011
मां मेरी हमजोली है ...
मैने अभी-अभी
मां कहना सीखा है,
और कोई शब्द मुंह से
निकलता है न मेरी बोली
कोई समझता है,
सच मानो तो
मां मेरी हमजोली है
मेरे आंखों की भाषा को
वह पढ़ लेती है,
मेरे मौन को भी सुन लेती है
मैने अभी-अभी ....।।
मेरी भूख-प्यास का
मुझसे पहले
मां को पता चल जाता है,
जब भी मैने
मां की उंगली थामी है
चलते से रूक जाती है
मेरी ममता की मनुहार को
आंचल में अपने छिपाती है
माथे पे मेरे
बुरी नज़र से बचने को
काज़ल का टीका भी लगाती है
मैने अभी - अभी ....।।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
लेबल
- 13 फरवरी / जन्मदिन (1)
- काव्य संग्रह 'अर्पिता' (1)
- गजल (1)
- ग़ज़ल (21)
- नया ब्लाग सद़विचार (1)
- बसन्त ... (1)
- यादें (1)
- kavita (30)
ब्लॉग आर्काइव
मेरे बारे में
- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
सटीक और ममत्त्व भरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंReally touching.
जवाब देंहटाएंदिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ......
जवाब देंहटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंवाक़ई नायाब रचना.
जवाब देंहटाएंममत्वभरी पुकार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ममत्वभरी रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंbahut bahut sundar rachna likhi hai aapne
जवाब देंहटाएंdaudna bhi aayega , gana bhi aayega ... maa ke saath sabkuch aayega
जवाब देंहटाएंLOVELY BABY.......
जवाब देंहटाएंLOVELY POEM.......
Very nice...Very Touching.
मै तो कहूँगा बस माँ माँ माँ .... इसके सिवा कुछ नहीं माँ की याद दिलादी आपने
जवाब देंहटाएंशिशु की बोली में भावनामय कविता सुकोमल स्पर्श का अनुभव दे रही है.
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबच्चे ने ही तो सबसे पहले ईश्वर की पहचान माँ के रूप में की.पिता को उसके बाद पहचाना.
इसीलिए कहा गया 'त्वमेव माता श्च पिता त्वमेव'
उसके बाद बंधू,फिर सखा ,विद्या और धन आदि आदि.
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर आपका स्वागत है.
नवजात शिशु के नाज़ुक भावों को बड़े सलीके से उकेरा है आपने. इस सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएं---देवेंद्र गौतम
आपकी इस कविता को पढ़कर मैं भी अभी-अभी अपने बचपन से लौटी...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर...
bahut sunder bhaavon se saji kavita -
जवाब देंहटाएं..प्यारी कविता।
जवाब देंहटाएंदिल को छू लेने वाली कविता.
जवाब देंहटाएंbahut marmik varnan ,matritva ki koyi anya upma nahin , maa ke sthan se koyi uncha sthan nahin .
जवाब देंहटाएंatulaniy, apratim . sundar kavy ke liye abhar .
होली की बहुत बहुत शुभकामनाये आपका ब्लॉग बहुत ही सुन्दर है उतने ही सुन्दर आपके विचार है जो सोचने पर मजबूर करदेते है
जवाब देंहटाएंकभी मेरे ब्लॉग पे भी पधारिये में निचे अपने लिंक दे रहा हु
धन्यवाद्
http://vangaydinesh.blogspot.com/
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://pareekofindia.blogspot.com/
nice
जवाब देंहटाएंआपकी भावना और आपके शब्द दोनों अच्छे लगे .
जवाब देंहटाएंमैं आपके लिए नेक ख्वाहिशात पेश करता हूँ.
मातृत्व छलक रहा है ... बहुत ही मन को छू रही है आपकी रचना ...
जवाब देंहटाएं