मंगलवार, 22 मार्च 2011
विलुप्त नहीं होती ....
(1)
ये अभिलाषाएं कभी भी
सुप्त नहीं होती
नदियां सूखी हों कितनी भी
विलुप्त नहीं होती
इनके पत्थरों
पर जमी काई सूखकर
हरी से सफेद जरूर
हो जाती है .....!!
(2)
तुम्हारी शिकायतें,
तुम्हारी रूसवाईयां किससे हैं ,
जिसकी नजरों में
तुम्हारी खुशियों की कोई
अहमियत नहीं है
तुम उसके लिये हर पल
अपना दांव पर लगा देते हो,
उसके चेहरे पर एक
मुस्कराहट लाने के लिये
खुद तुम्हारा चेहरा
आंसुओं से भीग जाता है
तुम्हें अहसास ही नहीं
तुम्हारी हर ख्वाहिश
सिर्फ उसकी
खुशी तक सीमित है ... !!
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- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
फिर शनैः शनैः सारी भावनाएं विलुप्त हो जाती हैं, आँखें सूख जाती हैं ...
जवाब देंहटाएंअद्भुत रचना...बधाई...
जवाब देंहटाएंनीरज
दोनों रचनाएँ मन को छूती सी लगीं ....सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंBAHUT HI SUNDAR LIKHI HAIN DONO BAHUT PASAND AAYIN YAH
जवाब देंहटाएंदोनो रचनाये बेहतरीन है
जवाब देंहटाएंदोनो रचनाओ मे भाव बहुत सुन्दर हैं।
जवाब देंहटाएंसमर्पण संभवतः इसे ही कहते हैं।
जवाब देंहटाएंईमानदार अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर भाव.... बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंदोनों रचनाएँ मन को छू जाती हैं...दूसरी रचना आज के यथार्थ को बहुत सटीकता से रेखांकित करती है..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंये अभिलाषाएं कभी भी
जवाब देंहटाएंसुप्त नहीं होती
नदियां सूखी हों कितनी भी
विलुप्त नहीं होती
सच कहा है आशाएं और आकांक्षाएं जीवन में रहती ही है.सुंदर रचना.
नियति कुछ ऐसी ही कभी-कभी सामने ला देती है। दोनों रचनाएँ सुन्दर हैं। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंगहन चिन्तन की परिणति हैं दोनों कवितायें . वाह
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार.... आपको होली की बहुत बहुत belated शुभकामनाएँ............
जवाब देंहटाएंbahut gahre bhaav liye dil ka hal sunati rachna.
जवाब देंहटाएंdonon rachnaye gahan chintan ko badhy karti hai badhai
जवाब देंहटाएंउभय कविताये भावप्रवणता की प्रतिमूर्ति लगी . साधुवाद ऐसी सुन्दर रचनाओ के लिए .
जवाब देंहटाएंsada ji
जवाब देंहटाएंbahut hi sateek baat likhi hain aapne ,abhilashhyen kabhi marti nahi.
dono hi prastutiyan bahut hi bhavpurn aur samvedana liye hue hain .
bahut bahut badhai
poonam
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
जवाब देंहटाएंरंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|
जवाब देंहटाएंकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
एक नदी अंदर बहती है । आपकी दोनों रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं।
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंमन को छूती अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रभावी क्षणिकाएं....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...