स्मृतियां आने से पहले
नहीं देती दस्तक़
वरना मैं आपको आज भी
हँसती हुई मिलती पापा
बना रही हूँ
मीठी सिवइयां
इनके बिना फीका लगता था
आपको हर त्यौहार
नेह के बन्धनों में बंधे हम
विस्मृत नहीं होते
कभी इन स्मृतियों से !
…
अक्षत से रोली
हँस के बोली
तुम भी मेरे भाई के माथे पर
सितारों से चमकते हो
मेरे रतनारी रँग पर
पावन सी दुआ बनते हो
इस विश्वास के साथ कि
मेरे भाई की कोई क्षति नहीं होगी
धागा नेह का
बंध के कलाई पर
अडिगता से निभाता है वचन
पवित्र रिश्ते का
सम्मान के संग !!
...
पिता की याद के साथ भाई के माथे पर लगा तिलक और नेह के धागे में बुना पवित्र रिश्ता सम्मान बनाये रखता है । सुंदर भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंजी स्नेहवन्दन 🙏🏼🙏🏼
हटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार 23 ,अगस्त 2021 को साझा की गई है ,
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
स्नेहाभार 🙏🏼🙏🏼
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजी 🙏🏼🙏🏼
हटाएंबेहद पवित्र और गंगाजल सी छलकती भावनाएँ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भावपूर्ण सृजन दी।
सस्नेह
सादर।
स्नेहाभार अनुजा ...
हटाएंबहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन आदरणीया दी।
जवाब देंहटाएंसादर
जी स्नेहाभार
हटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका
हटाएंअति पावन भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंस्नेहाभार आपका
हटाएंअक्षत से रोली
जवाब देंहटाएंहँस के बोली
तुम भी मेरे भाई के माथे पर
सितारों से चमकते हो
सचमुच बहुत ही पावन दुआ ....पा की यादों संग पावन पर्व।
हृदयस्पर्शी सृजन।
जी स्नेहवन्दन 🙏
हटाएंजी स्नेहाभार
जवाब देंहटाएंमन को छू गई आपकी रचना और उसके भाव ...
जवाब देंहटाएंबेरी पिता को याद करना नहीं भूलती किसी भी क्षण में ...
paawan si dua, badi hi sunder line likhi hai aapne
जवाब देंहटाएंZee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara
Zee Talwara