गुरुवार, 24 अक्तूबर 2019

मन में शुभता लिये !!

कतार लगी है दियों की
मन में शुभता लिये
मधुर है कितना कुछ 
इनके आस-पास
पकवानों से सजे हैं थाल
दीवारों पर खिलखिला रहे हैं रँग नये
देहरी पर सजी रंगोली ने
किया वंदन अभिनन्दन
लगाकर रोली चंदन
माँ लक्ष्मी के संग गौरी नन्दन का !!
हर्षित मन उल्लासित है 
दिवस विशेष की मंगल बेला में 
परम्पराओं की अखण्ड ज्योत जला
जब भी हुए नतमस्तक
एक नई ऊर्जा लिये मन
कह उठा शुभमस्तु नित्यं लोकक्षेम !!!
…..
© सीमा 'सदा'




शनिवार, 19 अक्तूबर 2019

परिक्रमा मन से मन तक !!

कैसे रंग लेते हो शब्दों को
गेरुए रंग में
जहाँ हर पंक्ति रूहानी हो जाती है
और इनके अर्थ करने लगते हैं
परिक्रमा मन से मन तक
दूरियां सिमट कर
पलकों की छांव में
बस संदली हो जाती हैं !!

पोर-पोर उँगलियों का
भर उठता है खुशबु से
हँसते हुये कहा तुमने
मन पवित्र तो हर ओर
इत्र ही इत्र है ☺️
….
©


गुरुवार, 19 सितंबर 2019

हो जाता है तर्पण !!

पापा आप नियम से
हर छह महीने में
नीम की पत्तियां पीस
उनकी गोली बना हमें
खिलाया करते
बदलते मौसम के
दुष्प्रभाव दूर करने को
और मैं बुरा सा
मुँह बनाते हुए कहती
आप कितना कुछ या
इसके बाद मीठा खिला दो
पर थोड़ी देर में
फिर से मुँह कसैला हो जाता है !
आप हँसते हुए कहते
ऐसी ही तो है
ये जिंदगी भी
कितना कुछ अच्छा हो
पर दुःख का एक लम्हा
उन कई अच्छे दिनों पर
भारी हो जाता है !!
तब चखा नहीं था
स्वाद ज़िंदगी का मैंने
अंजान थी इसकी
कड़वाहटों से
आज भोर में कुछ
नीम की पत्तियां चबा
गुटक गई पानी से
बड़ी देर तक
मुँह का कसैलापन
भला लगता रहा मन को
शायद ऐसे ही होती है
अर्पण कोई याद आपको
और हो जाता है तर्पण
पितृ पक्ष में
भीगी पलकों के साये में
आपके नाम का  !!
....


शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

माँ की बिंदी !!

ये स्वर, ये व्यजंन हिंदी के,
सारे रंग हैं माँ की बिंदी के !!


गुरुवार, 22 अगस्त 2019

बड़ी भूख है जिंदगी में !!!

तब्दीलियों की
बड़ी भूख हैं जिंदगी में
हैरान हूँ इसकी खुराक
हर रोज़ बढ़ जाती है
हज़म करना मुश्किल है
फिर भी कितना कुछ
पचाना पड़ता है
कई दफ़ा घूँट-घूँट
बहते आँसुओं के साथ !
पापा, दिन, महीने
बीते बरस के
हर लम्हे ने मुझे आपके साथ
नहीं होने पर भी
हमेशा आपके साथ रखा
हर बार असंभव को
संभव किया
और कहा है मैंने
मुस्कराते हुए
जिसके सर पर अपनों का
हाथ होता है वो
इस बहते खारे पानी को
फिल्टर करते हुये
मुश्किलों में भी मुस्करा ही लेते हैं!!!


शनिवार, 3 अगस्त 2019

दोस्त एक हो पर सच्चा हो !!!

तेरी बातों के गोलगप्पे
आज भी
मेरी ज़बान का ज़ायका
बदल देते हैं
खिलखिलाते लम्हों के बीच
वो मुस्कराती चटनी इमली की
अपनी यादों में
आज भी शामिल है
सच ही तो कहा करती थी माँ
दोस्त एक हो पर सच्चा हो
उम्रदराज़ भले हो जाओ
पर रहो ऐसे कि
जैसे कोई बच्चा हो !!
....

मंगलवार, 18 जून 2019

बाहों में आपकी पापा !!

दुआओ  के झूले
कितने हैं झूले
बाहों में आपकी पापा
थकान को
मुस्कान में बदलने का
हुनर सीखा है आपसे ही
हम मुस्कराते हैं
वज़ह इसकी आप हैं
ज़रूरत हमारी
लगती न आपको
कभी भी भारी
हिम्मत से आपने हर
मुश्क़िल की है नज़र उतारी !!
....


गुरुवार, 13 जून 2019

सारे हल आज एकजुट थे !!

पापा कोई जादू तो नहीं है
मेरे पास, है तो बस निष्ठा
जो उम्मीद भरी आँखों में
विश्वास और धैर्य की
उँगली थाम के जब चलती है
तो लगता है आप साथ हों
तो बस मुश्किलें भी घबरा जाती हैं
बुरा वक़्त देकर दस्तक़
लौट जाता है
एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया था
चुनौतियों ने
परेशानियों को देकर समझाइश भेजा भी
पर सारे हल आज एकजुट थे
इसी निष्ठा से
कोई ना कोई तो
तेरे काम जरूर आएगा
बस मन के दरवाज़े पे
भरोसे की चिटकनी लगा कर रखना
कोई भी परेशानी
भीतर प्रवेश न कर सकेगी !!


शनिवार, 1 जून 2019

तेरी यादों का वजन !!

(1)
मन कितनी भी
कसरत क्यूँ न कर ले
पर तेरी यादों का वज़न
कम होने का नाम ही नहीं लेता !
(2)
तेरी यादों से परहेज़ तो नहीं है
पर सुना है
हद से ज़्यादा किसी चीज़ का
इस्तेमाल सेहत के लिये
अच्छा नहीं होता ☺️
....


सोमवार, 20 मई 2019

तुम इच्छाशक्ति हो !!

मेरे पास सपने थे
तुमने उम्मीद बँधाई
मेरे पास हौसला था
तुमने पंख लगाये
मेरे पास
कुछ कर गुज़रने की
च़ाहत थी
तुमने मुझे
बुलंदी पे पहुँचाया !
....
मैने तुम्हें
आस-पास अपने
कभी देखा नहीं
पर हमेशा साथ पाया
माँ कहती है
तुम इच्छा शक्ति हो
जिसे जो चाहिये होता है
उसे वो मिल जाता है
तुम्हारे साथ होने से !!!
....




शुक्रवार, 10 मई 2019

माँ, तुलसी और गुलमोहर ...

माँ कहती थी
आँगन के एक कोने में तुलसी
और दूसरे में गुलमोहर हो
तो मन से बसंत कभी नहीं जाता
तपती धूप में भी
खिलखिलाता गुलमोहर जैसे
कह उठता हो
कुछ पल गुजारो तो सही
मेरे सानिध्य में
मन का कोना-कोना
मेरी सुर्ख पत्तियों के जैसा
खुशनुमा हो जाएगा!

नहीं है इस बड़े महानगर में
गुलमोहर का पेड़
मेरे आस-पास
पर कुछ यादें आज भी हैं
इसके इर्द-गिर्द
बचपन की, माँ की,
और इसकी झरतीं सुर्ख पत्तियों की
मेरी यादों में गुलमोहर
हमेशा मेरे साथ ही रहेगा
मेरे पीहर की तरह
अपनेपन की छाँव लिये !!
..

शनिवार, 4 मई 2019

माँ कवच की तरह !!!


मैं सोचती हूँ माँ कवच की तरह
मेरे साथ क्‍यूँ चलती है,
वजहें बहुत सारी हैं
बहुत स्‍पष्‍ट तरीका होता है उनका,
हर बात को कहने का
अपनी बात को स्‍पष्‍ट करने में
कभी क्रोध में भी होती हैं जब कभी
तो सामने वाले के सम्‍मान का
पूरा ध्‍यान रहता है उन्‍हें, उनके इन सदगुणों ने
मेरे कई रास्‍तों के अंधकार को हर लिया
...
माँ के नाम का कवच
मुश्किल पलों में हौसला होता है  तो
निराशा के पलों में उम्‍मीद भी जो
हार के पलों में बन जाता है जीत भी
सम्‍भावनाओं की उँगली तो
विश्‍वास का आँचल भी
जब दूर हो माँ से तो उनके
शब्‍दों की विरासत मेरे नाम
यूँ भी होती है
...
तुम और तुम्‍हारी निष्‍ठा
मेरे लिये सम्‍मान है
पर तुम्‍हें इन सबसे पार पाना होगा
मैं तुम्‍हारी हूँ
तुम्‍हें मुझसे कोई छीनेगा नहीं
ना कोई बीच में आएगा
जिन्‍दगी को जीना सीखो
मीठे बोल बोलो
जहां भी रहो पूरी तन्‍मयता से
जो भी करो दिल से
जो रिश्‍ता तुम्‍हें मान दे उसे तुम
बस सम्‍मान दो !!!!


गुरुवार, 2 मई 2019

मैं तृष्णा !!


मैं संग्रहित करता रहा
जीवन पर्यन्त
द्रव्य रिश्ते नाते
तेरे मेरे
सम्बन्ध अनगिनत
नहीं एकत्रित करने का
ध्यान गया
परहित,श्रद्धा, भक्ति
विनम्रता, आस्था, करुणा
में से कुछ एक भी
जो साथ रहना था
उसे छोड़ दिया
जो यही छूटना था
उसकी पोटली में
लगाता रहा गाँठ
कुछ रह ना जाये बाकी !!!
...
मैं तृष्णा की रौ में
जब भरता अँजुरी भर रेत
कंठ सिसक उठता
प्यासे नयनों में विरक्तता
बस एक आह् लिये
मन ही मन
दबाता रहता
उठते हुए ग़ुबार को !!!

गुरुवार, 7 मार्च 2019

जन्मदात्री बन !!


मन्नतों के धागे
कच्चे सूत से भले ही बने होते हैं
पर जब तक पूरी न हो फ़रियाद
ये हवा धूप पानी सब सहकर भी
रब की चौखट में हर पल
सज़दे में रहते हैं !

इनका बंधे रहना
गठानों का ना खुलना सबूत है
बड़ी ताकतवर है ये आस्था
सम्बल,भरोसा,विश्वास और धैर्य
पिता, भाई, पति और बेटे के रूप में
जन्म से लेकर मृत्यु तक
श्वास की आस बने
मैं इन दायरों के मध्य रहकर
जन्मदात्री बन इनकी
खुशियों उपलब्धियों के बीज बोती
बिना किसी श्रेय के
करुणा, अनुराग, प्रेम और वात्सल्य की
खाद बन इनकी जड़ों को पोषित कर
बूंद-बूंद तिनका-तिनका सवांरते हुए
इस बात से बनकर अंजान
शक्ति को अपनी बस ममता के
सांचे में डाल रहती पल -पल खुशहाल
मन्नतों के धागे सी !!!




रविवार, 13 जनवरी 2019

बचत का सलीका !!

माँ तुम जौहरी तो नहीं थी
न ही कोई व्यापारी
पर परखने का तरीक़ा
बचत का सलीका
कब कहाँ कैसे
खर्च करना है शब्दों को
कहाँ किसी टूटे औऱ
कमज़ोर का सहारा बनकर
उसे ताकतवर बना देना है
ये हुनर बखूबी सिखाया है
तुमने हमें !

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....