पापा कोई जादू तो नहीं है
मेरे पास, है तो बस निष्ठा
जो उम्मीद भरी आँखों में
विश्वास और धैर्य की
उँगली थाम के जब चलती है
तो लगता है आप साथ हों
तो बस मुश्किलें भी घबरा जाती हैं
बुरा वक़्त देकर दस्तक़
लौट जाता है
एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया था
चुनौतियों ने
परेशानियों को देकर समझाइश भेजा भी
पर सारे हल आज एकजुट थे
इसी निष्ठा से
कोई ना कोई तो
तेरे काम जरूर आएगा
बस मन के दरवाज़े पे
भरोसे की चिटकनी लगा कर रखना
कोई भी परेशानी
भीतर प्रवेश न कर सकेगी !!
मेरे पास, है तो बस निष्ठा
जो उम्मीद भरी आँखों में
विश्वास और धैर्य की
उँगली थाम के जब चलती है
तो लगता है आप साथ हों
तो बस मुश्किलें भी घबरा जाती हैं
बुरा वक़्त देकर दस्तक़
लौट जाता है
एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया था
चुनौतियों ने
परेशानियों को देकर समझाइश भेजा भी
पर सारे हल आज एकजुट थे
इसी निष्ठा से
कोई ना कोई तो
तेरे काम जरूर आएगा
बस मन के दरवाज़े पे
भरोसे की चिटकनी लगा कर रखना
कोई भी परेशानी
भीतर प्रवेश न कर सकेगी !!
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (15 -06-2019) को "पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक- 3367) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
विश्वास और धैर्य की
जवाब देंहटाएंउँगली थाम के जब चलती है
तो लगता है आप साथ हों
तो बस मुश्किलें भी घबरा जाती हैं
बहुत सुंदर रचना ,पापा के होने के एहसास भर से सारी मुस्किले आसान हो जाती हैं।
आस्था व विश्वास बहुत बड़े सम्बल हैं .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति मन तक गहरे उतर गई उस अथाह विश्वास में कितनी आस्था और कितनी दृढ़ता है
जवाब देंहटाएंअप्रतिम रचना।
कई बार उम्मीद, आस्था बड़े से बड़ा कार्य खुद कर जाती है ...
जवाब देंहटाएंक्योंकि किसी का संबल रहता है साथ जो हिम्मत देता है ...
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं