कच्चे सूत से भले ही बने होते हैं
पर जब तक पूरी न हो फ़रियाद
ये हवा धूप पानी सब सहकर भी
रब की चौखट में हर पल
सज़दे में रहते हैं !
…
इनका बंधे रहना
गठानों का ना खुलना सबूत है
बड़ी ताकतवर है ये आस्था
सम्बल,भरोसा,विश्वास और धैर्य
पिता, भाई, पति और बेटे के रूप में
जन्म से लेकर मृत्यु तक
श्वास की आस बने
मैं इन दायरों के मध्य रहकर
जन्मदात्री बन इनकी
खुशियों उपलब्धियों के बीज बोती
बिना किसी श्रेय के
करुणा, अनुराग, प्रेम और वात्सल्य की
खाद बन इनकी जड़ों को पोषित कर
बूंद-बूंद तिनका-तिनका सवांरते हुए
इस बात से बनकर अंजान
शक्ति को अपनी बस ममता के
सांचे में डाल रहती पल -पल खुशहाल
मन्नतों के धागे सी !!!
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 10 मार्च 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (09-03-2019) को "जूता चलता देखकर, जनसेवक लाचार" (चर्चा अंक-3268) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका
हटाएंभावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंजी आभार
हटाएंबहुत प्रभावी और भावपूर्ण प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंजी आभार
हटाएंबहुत सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
जवाब देंहटाएंजी आभार
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब....
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण .... ये आस्थाएं हैं तो जीवन को डोर भी है ... अन्यथा दिशाहीन पशु ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ...
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को शुभकामनायें : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंआस्था और विश्वास के बल पर ही जीवन एक लय में बंधा रहता है..
जवाब देंहटाएंशानदार उम्दा भावपूर्ण रचना ,धन्यवाद आपका ,सबने ठीक ही कहा है ।
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